झारखंड : सोनारी मरीन ड्राइव में 6 महीने बाद नहीं दिखेगा कूड़े का पहाड़, बायोमाइनिंग सिस्टम से ऐसे हटेगा
जमशेदपुर के सोनारी मरीन ड्राइव में छह महीने के बाद कूड़े का पहाड़ नहीं दिखेगा. इसके बायोमाइनिंग सिस्टम से खत्म किया जाएगा. इसको लेकर जेएनएसी और गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इसके तहत कचरे को अलग-अलग कर प्रयोग में लाने की योजना बनायी गयी है.
Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जमशेदपुर शहर स्थित सोनारी मरीन ड्राइव में छह माह बाद कचरा नहीं दिखेगा. बायोमाइनिंग सिस्टम से यहां जमे कचरा के पहाड़ को हटाया जायेगा. इसके बाद खाली भूमि को मैदान या पार्क के रूप में विकसित किया जायेगा. बुधवार को इसे लेकर एक समझौता हुआ है.
48000 मीट्रिक टन कचरा हटेगा
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार और गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन की ओर से तकनीकी निदेशक डॉ प्रशांत ने समझौते पर हस्ताक्षर किया. समझौते के तहत लगभग 48000 मीट्रिक टन कचरे को बायोमाइनिंग और रिसोर्स रिकवरी के माध्यम से डंपसाइट से हटाया जायेगा. इस पर 4 करोड़ 26 लाख रुपये लागत आयेगी. एक सप्ताह में कंपनी काम शुरू कर देगी. पूरा कचरा हटाने के लिए छह माह की समय सीमा तय की गयी है. लंबे अरसे से मानगाे, जेएनएसी, आदित्यपुर व जुगसलाई नगरपालिका क्षेत्र से निकलने वाले जमे कचरे को सोनारी मरीन ड्राइव में डंपिग ग्राउंड में एकत्र किया जाता है. यहां कचरे का काफी ऊंचा पहाड़ तैयार हो गया है. मामला एनजीटी, कोलकाता में भी गया.
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बायो माइनिंग से कचरे के निस्तारण में निकलने वाली धातुओं को गलाकर ठोस रूप में लाया जायेगा. प्लास्टिक की भी रिसाक्लिंग की जायेगी. इसमें पहले मशीनें से कूड़े की छंटाई होगी. सूखा व गीला कचरा अलग किया जायेगा. निस्तारित होने वाला व निस्तारित नहीं होने वाले कचरा को भी अलग किया जायेगा. निस्तारित होने वाले कचरा से कंपोस्ट खाद बनायी जायेगी. जो कचरा निस्तारित नहीं हो सकेगा, उसे ईंधन व सड़क निर्माण कार्य के लिए संबंधित संस्थाओं को दिया जायेगा. कचरा से ईंधन भी बनाया जायेगा.
हर दिन जमा हो रहा सैकड़ों टन कचरा
बता दें कि कचरे का अंबार सोनारी मरीन ड्राइव की खूबसूरती बिगाड़ रहा है. हर दिन यहां सैकड़ों टन कचरा जमा होता है. जेएनसी और मानगो नगर निगम की ओर यहां कचरे को डंप किया जाता है. लेकिन, इसके निष्पादन नहीं होने से यहां कूड़े का पहाड़ बन गया है. लेकिन, बायोमाइनिंग सिस्टम से यहां जमे कचरा के पहाड़ को हटाया जायेगा. इसको लेकर जेएनसी और गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन की ओर से समझौता हुआ है.
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