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टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! 3500 अस्थायी कर्मचारी तीन माह में होंगे स्थायी

टाटा मोटर्स प्रबंधन को अगले तीन माह में सभी अस्थायी कर्मियों को जल्द ही स्थायी करने के संबंध में एक योजना या पैकेज प्रस्तुत करने को कहा है ताकि अस्थायी कामगार शीघ्र स्थायी हो सकें. उक्त जानकारी प्रेस वार्ता कर रविवार को अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने दी.

जमशेदपुर, अशोक झा : टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट के 3500 बाइ सिक्स ( अस्थायी ) कर्मचारियों के स्थायीकरण को लेकर बड़ी खबर है. जमशेदपुर के उप श्रमायुक्त राकेश कुमार ने टाटा मोटर्स प्रबंधन को अगले तीन माह में सभी अस्थायी कर्मियों को जल्द ही स्थायी करने के संबंध में एक योजना या पैकेज प्रस्तुत करने को कहा है ताकि अस्थायी कामगार शीघ्र स्थायी हो सकें. उक्त जानकारी प्रेस वार्ता कर रविवार को अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने दी. उन्होंने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय में कंपनी के अस्थायी कर्मचारी अफसर जावेद की ओर से रिट पिटीशन दाखिल किया गया था. 17 जून को हाईकोर्ट में न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में सुनवाई के दौरान उप श्रमायुक्त को आदेश दिया था कि वे आवेदन पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद तय करें कि यह मसला बांबे उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीधे अमल में लाया जा सकता है या इसे औद्योगिक विवाद अधिनियम की धाराओं के अनुसार अगर तथ्य भिन्न हैं, तो रेफरेंस में भेजे जाने लायक है.

अदालत ने दोनों पक्षों को उपश्रमायुक्त के समक्ष 30 जून को पेश होने के आदेश के साथ रिट पिटीशन का निबटारा कर दिया था. इसके बाद मामले की सुनवाई उप श्रमायुक्त ने की. उप श्रमायुक्त ने झारखंड उच्च न्यायालय आदेश के बाद मामले की सुनवाई की. कंपनी में रिक्तियों की संख्या एवं प्रबंधन द्वारा प्रतिवर्ष स्थायीकरण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को देखते हुए टाटा मोटर्स प्रबंधन को निदेश दिया कि वे अगले तीन माह के अंदर बचे हुए सभी अस्थायी कर्मियों को यथाशीघ्र स्थायी करने के संबंध में एक योजना / पैकेज प्रस्तुत करें ताकि अस्थायी कामगार शीघ्र स्थायी हो सकें. अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि टाटा मोटर्स पिछले तीन दशकों से अनुचित श्रम अभ्यास (अनफेयर लेबर प्रैक्टिस) में संलग्न है.

यह कंपनी स्थायी प्रकृति के कार्य में फर्जीवाड़ा कर मजदूरों को काम पर लगाती है और उन्हें वर्षों तक अस्थायी मजदूर बनाये रखती है, स्थायी मजदूरों के मुकाबले कम वेतन भत्ता देती है और इस प्रकार न केवल मजदूरों का शोषण करती है बल्कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धाराओं का घोर उल्लंघन भी कर रही है. ऐसे ही एक मामले में बांबे हाईकोर्ट ने रिट पिटीशन नंबर 5588/2017 में दिये गये आदेश था कि टाटा मोटर्स न केवल अनुचित श्रम अभ्यास (अनफेयर लेबर प्रैक्टिस) में संलग्न है बल्कि यह औद्योगिक विवाद अधिनियम की धाराओं का भी घोर उल्लंघन कर रही है. बाम्बे हाईकोर्ट ने रिट पिटीशन 5588/2017 में दिए गए आदेश के आधार पर उप श्रमायुक्त से कार्रवाई की अपील की गयी थी.

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