झारखंड प्राथमिक शिक्षकों के प्रमोशन की गाइडलाइन तय, मेरिट लिस्ट होगी वरीयता का आधार
प्रारंभिक शिक्षकों की आपसी वरीयता के निर्धारण एवं वरीयता सूची का निर्माण अनुशंसा के आलोक में यथाशीघ्र पूर्ण करते हुए नियमानुकूल प्रोन्नति की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश प्राप्त हुआ है.
जमशेदपुर. राज्य भर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाले प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से सरकार के सचिव के रवि कुमार ने सभी जिलों के उपायुक्त एवं जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र भेजा है. इसमें राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों की वरीयता सूची के निर्माण में शिक्षकों की आपसी वरीयता के निर्धारण के बिंदु पर मार्गदर्शन भेजा है. पत्र में कहा गया है कि नयी संशोधित नियमावली के गठन की तिथि तक प्रारंभिक शिक्षकों की आपसी वरीयता के निर्धारण एवं वरीयता सूची का निर्माण अनुशंसा के आलोक में यथाशीघ्र पूर्ण करते हुए नियमानुकूल प्रोन्नति की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश प्राप्त हुआ है.
ये की गयी है अनुशंसा
त्रिसदस्यीय समिति ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि यद्यपि वरीयता का आधार उनकी मेघा सूची के अनुरूप नियुक्ति के समय निर्धारित मेघा क्रम ही होगा, लेकिन जिन मामलों में वरीयता सूची का अनुमोदन वर्ष 2020 के चार वर्ष पूर्व हो चुका है तथा उसके आधार पर प्रोन्नति भी दी जा चुकी है, उन मामलों को पुन: नये सिरे से वरीयता सूची के निर्माण में री-ओपेन किया जाना अपेक्षित नहीं है. इसे अलग-अलग जिले हेतु सुविधाजनक रूप से वर्ष 2020 अथवा 2021 या 2022 भी रखा जा सकता है. इसके साथ ही जिन मामलों में मेधा सूची के अनुरूप नियुक्ति के समय निर्धारित मेघा क्रम एवं मेधांक उपलब्ध है तथा वरीयता सूची का निर्माण नहीं किया गया है, निर्मित तथा अंतिम रूप से अनुमोदित वरीयता सूची की अवधि चार वर्ष पूरी नहीं हुई है, मात्र उन्हीं मामलों में नियुक्ति के समय निर्धारित मेधा क्रम एवं मेधांक के आधार पर आपसी वरीयता के निर्धारण तथा वरीयता सूची तैयार करने अथवा पुन: नये सिरे से तैयार किये जाने की कार्रवाई अपेक्षित है.
स्पष्ट किया गया है कि पूर्व के मामले, जिनमें नियुक्ति के समय निर्धारित मेधाक्रम एवं मेधांक के आधार पर समेकित अनुशंसा सूची निर्गत नहीं है अथवा वरीयता सूची का निर्माण एवं अनुमोदन की अवधि चार वर्ष से अधिक हो चुकी है तथा नियुक्ति / प्रथम योगदान की तिथि के आधार पर वरीयता सूची तैयार एवं अनुमोदित की गयी है, उन मामलों में नये सिरे से वरीयता सूची तैयार किया जाना अपेक्षित नहीं है. उन विशिष्ट मामलों को छोड़कर, जिनमें उच्च न्यायालय का इस संबंध में स्पष्ट आदेश पारित है. वरीयता सूची के अंतिम रूप से प्रकाशन की तिथि के बाद चार वर्ष के अधिक विलंब के बाद वरीयता के दावे व आपत्ति के साथ ही उच्च न्यायालय में चुनौती दिये जाने की स्थिति में विभाग की ओर से उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों में अंतिम वरीयता निर्धारण एवं वरीयता सूची के प्रकाशन के चार वर्षों से अधिक पूर्ण होने के बाद उसे सामान्यत: चुनौती नहीं दी जा सकती है.ऐसे मामलों में विभाग की ओर से ससमय पक्ष रखा जाना अपेक्षित किया गया है.
त्रिसदस्यीय कमेटी ने इन प्रावधानों का किया अध्ययन
वरीयता सूची निर्धारण को लेकर अपनी अनुशंसा तैयार करने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक की ओर से गठित त्रिसदस्यीय कमेटी ने कुल पांच अलग-अलग बिन्दुओं का अध्ययन किया. इसमें बताया गया है कि बिहार ( झारखंड ) राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक प्रोन्नति नियमावली 1993 में कहीं भी यह अंकित नहीं है कि नियुक्ति ( प्रथम योगदान ) की तिथि, वरीयता का आधार होगी अथवा उनकी मेधा सूची के अनुरूप नियुक्ति के समय निर्धारित मेधाक्रम उसका आधार होगी. नियम-8 के प्रावधान के अनुसार एक ही ग्रेड के शिक्षकों की पारस्परिक वरीयता का आधार, उक्त ग्रेड प्राप्त करने की तिथि होगी एवं नियम-13 के प्रावधान के अनुसार अप्रशिक्षित प्रशिक्षक, जिस तिथि को प्रशिक्षित हो जाएंगे, उस तिथि से उन्हें ग्रेड-1 दिया जा सकेगा. इसके अलावा वित्त विभाग की ओर से 1999 में वरीयता निर्धारण के संबंध में जारी आदेश का अध्ययन किया गया. इसमें नियुक्ति के समय निर्धारित मेधा सूची का आधार बनाने की बात कही गयी. इसके अलावा अलग-अलग मामलों में न्यायालय की ओर से पारित आदेश का भी विस्तृत अध्ययन किया गया.