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Health Tips: बच्चों में बढ़ा रहा मोटापा, जमशेदपुर के स्कूलों में की जा रही फूड हैबिट सुधारने की पहल

वर्तमान समय में बदल रही जीवलशैली के चलते अब तो छोटे- छोटे बच्चें भी मोटापे के शिकार हो रहे हैं. इसे लेकर जमशेदपुर के कई स्कूलों में फूड हैबिट सुधारने की पहल हो रही है. स्कूल में बच्चों को प्लास्टिक की टिफिन बॉक्स लाने के बजाय वे स्टील के टिफिन बॉक्स लाने को कहा गया है.

By Contributor | August 30, 2022 3:14 PM
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Jamshedpur news: नौनिहालों का बचपन मोटापे का शिकार हो रहा है. भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के सर्वे के मुताबिक बच्चों को हाई प्रोटीन डाइट न मिलने के कारण वे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं.

सर्वे में 45 प्रतिशत बच्चे पाए गए अंडरवेट

सर्वे में चार साल से अधिक उम्र के करीब 45 प्रतिशत बच्चे जहां अंडरवेट पाये गये हैं, वहीं स्कूल जाने वाले 79 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. इससे बच्चों के आंखों की क्षमता, उनकी याददाश्त बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. इसे रोकने के लिए शहर के प्राइवेट स्कूलों में समय-समय पर बच्चों के खान-पान की आदत में सुधार के प्रति जहां जागरूक किया जा रहा है, वहीं बच्चों के टिफिन की रैंडम जांच भी की जा रही है.

जुस्को स्कूल साउथ पार्क में इस्तेमाल होती है स्टील की टिफिन बॉक्स

जुस्को स्कूल साउथ पार्क में स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा ये व्यवस्था की गयी है कि स्कूल में बच्चे प्लास्टिक की टिफिन बॉक्स लाने के बजाय वे स्टील के टिफिन बॉक्स को लेकर आयेंगे. प्लास्टिक की बोतल के बजाय स्टील को बोतल में बच्चों को पानी लाने को कहा गया है. कोविड 19 से पूर्व यह निर्देश दिया गया था. जिसका पालन स्कूल में हो रहा है. अलग-अलग क्लास में एक टिफिन मॉनिटर भी बनाया गया है. जो बच्चे की टिफिन पर नजर रखते हैं. प्रिंसिपल मिली सिन्हा ने कहा कि इसका सकारात्मक असर भी दिखा है. अब स्कूल के डस्टबिन में चिप्स, बिस्कुट के रैपर की मात्रा काफी कम हो गयी है.

लोयोला-कॉन्वेंट में होती है टिफिन की रैंडम जांच

लोयोला व सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों की फूड हैबिट में सुधार के लिए समय-समय पर अभिभावकों को जागरूक किया जाता है, कि वे किसी भी हाल में बच्चों को जंक फूड नहीं दें. टिफिन की रैंडम जांच भी की जाती है, ताकि उनमें ये डर बना रहे कि वे जंक फूड नहीं लेकर जाएं. अगर किसी दिन कोई छात्र जंक फूड या बैन फूड लेकर आता है तो उस वक्त छात्र के साथ शिक्षक अपनी टिफिन शेयर कर लेते हैं लेकिन उनके अभिभावक से शिकायत जरूर की जाती है. केएसएमएस-गुलमोहर में सप्ताह भर का होता है डायट चार्ट. केरला समाजम मॉडल स्कूल व गुलमोहर हाईस्कूल में स्कूल प्रबंधन सभी क्लास के बच्चों के लिए अलग से डायट चार्ट जारी किया है. अलग-अलग दिन अलग-अलग टिफिन लेकर बच्चों को स्कूल जाना होता है. इसमें सिर्फ हेल्दी फूड शामिल है.

बाग ए जमशेद में बच्चों के साथ ही टिफिन खातीं हैं टीचर

शहर के सबसे प्रसिद्ध प्ले स्कूल बाग ए जमशेद स्कूल की प्रिंसिपल अनु तिवारी बताती हैं कि नियमित रूप से अभिभावकों को यह बताया जाता है कि वे विदाउट फायर हेल्दी टिफिन ही बच्चों को देकर भेजें. अभिभावक जंक फूड या अन्य फूड दे भी देते हैं तो उसे स्कूल में बच्चों को नहीं खिलायी जाती है क्योंकि स्कूल में ये नियम है कि टीचर भी बच्चों के साथ ही टिफिन करती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

माउंट लिटरा जी स्कूल के डायरेक्टर ललिता सरीन 5 से 18 की वो उम्र है जब बॉडी का तेजी से डेवलपमेंट होता है. इस उम्र में प्रोटीन आयरन और कैल्श‍ियम का इनटेक सबसे अच्छी होनी चाहिए. अगर बच्चे से यह ये उम्मीद करें कि वे हेल्दी फूड ही खाएं तो इसके लिए घर का माहौल भी सुधारना होगा. घरवालों की इट‍िंग हैबिट भी अच्छी होनी चाहिए क्योंकि बच्चे घर से प्रेरित होते हैं.

प्रिंसिपल अनु तिवारी कहतीं हैं कि आज के समय में दो तरह के अभिभावक हैं, एक जो अपने व्यस्त रूटीन में भी समय और सही जानकारी का उपयोग कर अपने बच्चों को संतुलित आहार उपलब्ध कराते हैं और दूसरी तरफ एक वर्ग है जो जानकारी के अभाव में और आसानी से उपलब्ध प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ अपने बच्चों को दे देते हैं. आज के बच्चे ज्यादातर आकर्षक पैकेजिंग वाले हाई शूगर तथा हाई साल्ट, तले हुए पदार्थ पसंद करते हैं. वीकली मील प्लैनिंग और न्यूट्रीशनिस्ट की सलाह से आकर्षण और विविधता युक्त मेन्यू समय-समय पर स्कूल दे सकते हैं.

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