Jharkhand News: श्रीलंका में जैविक खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया गया. उर्वरक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया. इसके सकारात्मक पक्ष उभरकर सामने आये, लेकिन इस प्रयोग ने श्रीलंका के सामने भुखमरी की समस्या पैदा कर दी. अनाज का उत्पादन कम हुआ और भोजन की कमी हो गयी. अनाज के लिए श्रीलंका को बड़े पैमाने पर दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ा. ये बातें एचएसबीसी भारत व श्रीलंका की अर्थशास्त्री आयुषी चौधरी ने कहीं. वे जमशेदपुर के एक्सएलआरआई में एक्सपीजीडीएम की ओर से ‘श्रीलंका में संकट की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, साथ ही इससे भारत को क्या सबक लेनी चाहिए’ विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं.
खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा श्रीलंका
एचएसबीसी भारत व श्रीलंका की अर्थशास्त्री आयुषी चौधरी ने कहा कि कोरोना ने अर्थव्यवस्था को और अधिक विनाशकारी बनाया है क्योंकि पर्यटन अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, लेकिन पर्यटन ठप हो गया. कोविड की वजह से अर्थव्यवस्था चरमरा गयी. पर्यटन एक बड़ा सेक्टर था, जो लॉकडाउन में पूरी तरह से ठप हो गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में स्वतंत्रता मिलने के बाद श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. देश में महंगाई के कारण बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं.
निर्यात में विविधता लाकर भारत ने खुद को किया मजबूत
बार्कलेज कॉरपोरेट के एमडी सह चीफ इकोनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा कि पाकिस्तान, नेपाल व मालदीव जैसे देशों के साथ ही कई दक्षिण पूर्व एशियाई देश भी इसी प्रकार के संकट का सामना पूर्व से कर रहे हैं, लेकिन वे कुछ हद तक इस संकट से बाहर निकले, इससे भारत को सबक लेने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि कि कैसे भारत ने अपने निर्यात में विविधता लाकर भुगतान संतुलन की समस्या पर काबू पा लिया.
ऋण पर अधिक ब्याज भुगतान भी है संकट का एक कारण
कार्यक्रम के दौरान तीसरे वक्ता के रूप में अंकुर शुक्ला ने कहा कि ब्लूमबर्ग एलपी के दक्षिण एशिया के अर्थशास्त्री थे. उन्होंने कहा कि निर्यात के मामले में श्रीलंका पीछे है. इसके साथ ही वहां ऋण पर काफी अधिक ब्याज का भुगतान भी श्रीलंका की आर्थिक विपन्नता के प्रमुख कारणों में से एक है. इससे भारत को सबक लेने की आवश्यकता है. मौके पर एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर सह अर्थशास्त्री प्रोफेसर एचके प्रधान ने कहा कि अधिकतर ऋण अल्पकालिक ऋण होते हैं, इसलिए समय पर ऋण चुकाने में असफल होने की आशंका अधिक होती है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपने घरेलू ऋण बाजार को विकसित करने में भारत से सीख ले सकता है.
रिपोर्ट : संदीप