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पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांदा में ‘पन्ना’ की सालों से हो रही अवैध खनन, दूसरे राज्य के कारोबारी हो रहे मालामाल

Jharkhand News (गुड़ाबांदा, पूर्वी सिंहभूम) : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर ओडिशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा प्रखंड की धरती के भूगर्भ में करीब 6,700 किलो पन्ना पत्थर का भंडार है. इसकी कीमत अरबों रुपये आंकी गयी है. गुड़ाबांदा का पन्ना हाई क्वालिटी का है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2021 3:43 PM
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Jharkhand News (मो परवेज/ शिव शंकर, गुड़ाबांदा, पूर्वी सिंहभूम) : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर ओडिशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा प्रखंड की धरती के भूगर्भ में करीब 6,700 किलो पन्ना पत्थर का भंडार है. इसकी कीमत अरबों रुपये आंकी गयी है. सूत्रों के मुताबिक, गुड़ाबांदा का पन्ना हाई क्वालिटी का है. पत्थर कारोबारियों की मानें, तो एक रत्ती (182.25 मिली ग्राम) की कीमत करीब 5000 रुपये है. इस हिसाब से एक किलो पन्ना का मूल्य 2,74,34,842 रुपये होता है. अब निगाहें सरकार की ओर है. यहां पन्ना खनन शुरू होने की दशा में न सिर्फ सरकार को करोड़ों का राजस्व मिलेगा, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा.

पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांदा में 'पन्ना' की सालों से हो रही अवैध खनन, दूसरे राज्य के कारोबारी हो रहे मालामाल 2

वर्ष 2012 से पूर्व तक यहां दूसरे राज्यों के व्यापारियों ने ग्रामीणों को मामूली मजदूरी देकर खूब कमाई की. अवैध खदान में दबने से तीन लोगों की मौत के बाद सरकार को यहां खनिज भंडार का पता चला. इसके पूर्व दूसरे राज्यों के व्यापारी धन कुबेर हो गये, जबकि खदान में मजदूरी करने वाले स्थानीय लोग आज भी गरीब हैं.

केंद्र व राज्य सरकारों को भेजी गयी रिपोर्ट

गुड़ाबांदा प्रखंड के बारुनमुठी और थुरुकूगोड़ा में 6000 किलो व बाउटिया में 700 किलो पन्ना भंडार है. खान व भूतत्व विभाग के पूर्व उप निदेशक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में हुए सर्वे में यह जानकारी सामने आयी. सर्वे टीम में जियोलॉजिस्ट ज्योति शंकर सतपति, निरल धान व सर्वेयर जय प्रकाश के अलावा हैदराबाद से आये NMDC के AGM, जियोलॉजी संतोष आनंद, मैनेजर जियोलॉजी बीबी महतो, डिप्टी मैनेजर ए प्रकाश, रांची से आये JSMDC के प्रो अरविंद कुमार शामिल थे. विभाग ने सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी. राज्य सरकार ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी. सूत्रों के मुताबिक, पिछले वर्ष से शुरू हुई कोरोना महामारी के कारण यहां खदान खोलने की स्वीकृति नहीं मिल पायी है.

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गुड़ाबांदा वर्ष 2010 में प्रखंड बना, लेकिन आज तक अपना बीडीओ नहीं है. धालभूमगढ़ के सीओ बीडीओ के प्रभार में हैं. किसी विभाग के प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी नहीं है. प्रखंड की चार पंचायत घाटशिला विस क्षेत्र व चार पंचायत बहरागोड़ा विस क्षेत्र में आती हैं. एक प्रखंड में दो-दो विधायक हैं, इसके बावजूद प्रखंड उपेक्षित है. यहां सड़कें बदहाल हैं. राशन के लिए लोगों को 12 से 15 किमी दूरी तय करनी पड़ती है.

20 मीटर गहराई तक पन्ना का भंडार, मैग्नेटाइट भी

पूर्व खान व भूतत्व विभाग के उप निदेशक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम ने गुड़ाबांदा के बारुनमुठी, थुरकूगोड़ा और बाउटिया में दो दिनों तक सर्वे किया. पता चला कि 20 मीटर गहराई तक पन्ना का भंडार है. वहीं, मैग्नेटाइट का भंडार भी है. विभाग ने दो साल पूर्व सर्वे कर केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी.

तब तत्कालीन खनन सचिव अबू बकर सिद्दिकी और तत्कालीन खान एवं भूतत्व विभाग की निदेशक कुमारी अंजली के स्तर पर खदान को PSU(पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) के मार्फत चलाने का निर्णय लिया था. नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NMDC) और झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JSMDC) के संयुक्त तत्वावधान में पन्ना खदान चलाने की बात सामने आयी. कंपोजिट लाइसेंस देने के बाद दोबारा सर्वे किया गया.

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वर्ष 2012 में अवैध खनन के दौरान सुरंग धंसने से बेनीडांगर (गुड़ाबांदा) के तीन लोग झापोल मुर्मू, रवि मुर्मू (दोनों सगे भाई) और बद्रीनाथ मुर्मू की मौत हो गयी थी. इसके बाद जांच में यहां कीमती पन्ना के भंडार का पता चला. इसके एक साल पूर्व से यहां अवैध रूप से पन्ना का खनन हो रहा था.

राजस्थान, यूपी से आते हैं कारोबारी

वर्ष 2012 से पहले गुड़ाबांदा में राजस्थान के जयपुर, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, बंगाल आदि राज्यों के पत्थर के कारोबारी आते हैं. मजदूरों को मजदूरी देकर करोड़ों-अरबों के पन्ना पत्थर ले जाते हैं. यहां के स्थानीय लोगों को पता नहीं था कि यह पत्थर इतना कीमती है. बाहरी लोग यहां के पन्ना से धन कुबेर हो गये. वहीं स्थानीय लोग गरीबी में जी रहे हैं.

पहले घोर नक्सल प्रभावित था यह क्षेत्र

गुड़ाबांदा के बारुनमुठी, थुरकूगोड़ा और बाउटिया में पूर्व में नक्सल प्रभावित था. कान्हू मुंडा समेत छह नक्सलियों के 15 फरवरी 2017 को सरेंडर करने से इलाका नक्सल मुक्त हो गया.

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एक साल पूर्व थुरुकूगोड़ा में अवैध खदान में मिट्टी भर कर सील कर दिया है. यहां दूसरी खदान अभी खुली है. इसमें बरसात में पानी भर गया है. बारुनमुठी पहाड़ पर दो जगह खदान है. वहां चोरी-छिपे अवैध खनन समय-समय पर होता है. पिछले दिनों वन विभाग ने तीन लोगों को खनन करते पकड़ा था.

बाहरी लोग लूट कर ले गये पन्ना : ग्रामीण

थुरुगोड़ा के गोपीनाथ सोरेन, बोलाई मुंडा, सोरनी मुंडा, कुनू मुंडा आदि ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2012 के पहले यहां काफी बाहरी लोग आते थे. मजदूरों से पन्ना खनन करा कर ले जाते थे. अब भी कई जगह गड्ढे हैं. कुछ खदानों को वन और खनन विभाग ने मिट्टी डलवा कर भर दिया है.

अवैध खनन का मामला उठाया : सांसद

इस संबंध में सांसद विद्युतवरण महतो ने कहा कि गुड़ाबांदा में उच्च क्वालिटी का बेशकीमती पन्ना भंडार है. मैंने गुड़ाबांदा क्षेत्र में अवैध खनन का मामला उठाया था. सरकार विभागीय प्रक्रिया पूरी कर वहां खदान खोले. इससे सरकार को
राजस्व और स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा.

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वहीं, खान व भूतत्व विभाग के पूर्व उप निदेशक संतोष कुमार सिंह ने कहा कि गुड़ाबांदा के बारुनमुठी और थुरुकूगोड़ा में 6000 किलो से अधिक पन्ना भंडार का पता चला है. यहां मैग्नेटाइट का भंडार भी है. बाउटिया में 700 किलो पन्ना है. खनन शुरू करने की योजना है.

सील हुआ थुरकूगोड़ा और बाउटिया खदान : वन क्षेत्र पदाधिकारी

वन क्षेत्र पदाधिकारी प्रदीप कुमार गोस्वामी ने कहा कि थुरुकूगोड़ा और बाउटिया खदान को सील कर दिया है. बारुनमुठी पहाड़ पर खदान को मिट्टी भर कर सील करेंगे. अवैध खनन रोकने को वन विभाग पेट्रोलिंग कर रहा है.

Posted By : Samir Ranjan.

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