जमशेदपुर: दक्षिण पूर्व रेलवे की दिल्ली से आने वाली लगभग सभी ट्रेनों के पहिए चांडिल के पास थम जाते हैं. चांडिल से टाटानगर तक आने में आमतौर पर सड़क मार्ग से आधा घंटा का समय लगता है, लेकिन ट्रेन से यात्रा करने वाले चांडिल से सिर्फ टाटानगर तक की यात्रा करीब दो से तीन घंटे में पूरी करते हैं. इसकी वजह यह है कि चांडिल से लेकर टाटानगर तक रेलगाड़ियां रेंगने लगती हैं. प्राय: निर्धारित समय से देर से ट्रेनें टाटानगर पहुंचती हैं. ऐसे में यात्रियों के जरूरी काम प्रभावित हो रहे हैं. ऐसी स्थिति पिछले एक माह से बनी हुई है. उम्मीद जतायी जा रही है कि थर्ड लाइन का काम पूरा हो जाने के बाद स्थिति सामान्य हो जायेगी.
चांडिल से टाटानगर पहुंचने में लग रहे दो से तीन घंटे
अगर आप सड़क मार्ग से चांडिल से टाटानगर तक आएं, तो करीब आधा घंटा का वक्त लगता है, लेकिन ट्रेन से दो से तीन घंटे का समय लग रहा है. दक्षिण पूर्व रेलवे की दिल्ली से आने वाली लगभग सभी ट्रेनों के पहिए चांडिल के पास थम जाते हैं. ट्रेनें रेंगने लगती हैं. यही वजह है कि दो से तीन घंटे का वक्त लग जाता है. पिछले एक महीने से ऐसी स्थिति बनी हुई है. इस कारण यात्रियों के कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
माल ढुलाई के कारण रोक दी जाती हैं ट्रेनें
- चांडिल से पांच जगहों पर माल ढुलाई के लिए ट्रेनों को रोका जाता है. चांडिल के बाद मानीकुई, कांड्रा, बिराजपुर, गम्हरिया और आदित्यपुर में माल की ढुलाई होती रहती है, जिस कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होता है
- मेन लाइन से ब्रांच लाइन का समायोजन इसमें होता है, जिस कारण यहां से ट्रेनों का परिचालन रोका जाता है.
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तीसरी लाइन बनने से राहत मिलने की उम्मीद
यह उम्मीद जतायी जा रही है कि थर्ड लाइन का काम पूरा हो जाने के बाद स्थिति सामान्य हो जायेगी और लोगों को राहत मिल सकती है. तीसरी लाइन का काम जुलाई के बाद तक पूरा होने की उम्मीद है.