झारखंड की इंटरनेशनल फुटबॉलर आशा कुमारी खेत में काम करने को मजबूर, पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मदद के बढ़ाये हाथ
Jharkhand News (गोमो, धनबाद ) : झारखंड की इंटरनेशनल फुटबॉलर आशा कुमारी इन दिनों फुटबॉल ग्राउंड के बदले मजबूरी में खेतों में काम करने को विवश है. भूटान के थिंफू में इंटरनेशनल फुटबाॅल टूर्नामेंट में 5 मैच खेल चुकी है. वहीं, उसने 8 नेशनल मैचों में कई घरेलू टूर्नामेंट में प्रतिनिधित्व कर चुकी है. इसके बावजूद कोरोना काल में आशा कुमारी आर्थिक तंगी से जूझ रही है. आशा कुमारी धनबाद जिला अंतर्गत तोपचांची प्रखंड के विशुनपुर पंचायत स्थित आदिवासी बहुल गांव लक्ष्मीपुर की रहने वाली है.
Jharkhand News (बेंक्टेश शर्मा, गोमो, धनबाद ) : झारखंड की इंटरनेशनल फुटबॉलर आशा कुमारी इन दिनों फुटबॉल ग्राउंड के बदले मजबूरी में खेतों में काम करने को विवश है. भूटान के थिंफू में इंटरनेशनल फुटबाॅल टूर्नामेंट में 5 मैच खेल चुकी है. वहीं, उसने 8 नेशनल मैचों में कई घरेलू टूर्नामेंट में प्रतिनिधित्व कर चुकी है. इसके बावजूद कोरोना काल में आशा कुमारी आर्थिक तंगी से जूझ रही है. आशा कुमारी धनबाद जिला अंतर्गत तोपचांची प्रखंड के विशुनपुर पंचायत स्थित आदिवासी बहुल गांव लक्ष्मीपुर की रहने वाली है.
झारखंड के सोनू सूद पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने धनबाद की इस इंटरनेशनल फुटबॉल खिलाड़ी आशा कुमारी की वर्तमान स्थिति को देख सहयोग का हाथ बढ़ाया है. पूर्व विधायक ने आशा को मदद करने संबंधी केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू और झारखंड सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट किया है. ट्वीट करते हुए कहा कि फुटबॉलर आशा के पिता नहीं हैं. इसके बावजूद पढ़ाई के साथ-साथ खेल पर विशेष फोकस किया. आज इंटरनेशनल खिलाड़ी है, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. इसलिए तत्काल आशा को सहयोग की जरूरत है.
इंटरनेशनल फुटबॉलर आशा कुमारी कहती हैं कि झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह यानी मिनी लॉकडाउन के दौरान खेलों के आयोजन पर पाबंदी लगा हुआ है. काॅलेज बंद है. घर में पढ़ाई के बाद बचा हुआ समय काटना मुश्किल हो रहा है. सुबह और शाम अभ्यास के समय में ग्राउंड का याद आ जाता हैै. सरकारी आदेश के कारण फुटबाॅल का अभ्यास करने से वंचित है. घर में रहने से शारीरिक फिटनेस खराब हो जायेगा. स्टेमिना घटते चला जायेगा. उक्त दोनों की कमी होने से फुटबाॅल का खेल बहुत ज्यादा खराब हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि घर खपरैल का है. बड़ा भाई विनोद महतो मजदूरी कर रहा है. मां पुटकी देवी गोमो बाजार में सब्जी बेचती है, जिससे परीवार का भरण-पोषण होता है. गर्मी के मौसम में सिचाई का साधन नहीं होने के कारण जोरिया नाला के पास दूसरे की जमीन पर सब्जी उगाने को मजबूर होते हैं.
आशा कहती हैं कि मां से अकेले खेती तथा सब्जी बेचने का काम नहीं हो पायेगा. मैं और मेरी छोटी बहन राष्ट्रीय फुटबाॅलर ललिता कुमारी मजबूरी में खेत में कुदाल चलाने तक का काम करती हूं. जिससे मां को सहयोग करने का मौका मिल रहा है और शरीर का फिटनेस तथा स्टेमिना बरकरार है. हमलोगों के पास फिटनेस तथा स्टेमिना बरकरार रखने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. पेट पालने के लिए मजदूरी का काम करते हैं. मजदूरी का काम प्रतिदिन मिलने का गारंटी भी नहीं है. मालूम हो कि झारखंड से गोमो की आशा कुमारी तथा भूली की संगीता कुमारी का चयन एक साथ इंटरनेशनल फुटबाॅलर के लिए हुआ था.
एक बार मिली आर्थिक सहायताआशा ने बताया कि गत वर्ष लाॅकडाउन के दौरान सरकारी स्तर पर धनबाद डीसी की ओर से 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिली थी. आर्थिक मदद तो कुछ क्षण के लिए होता है. उससे पूरी जिंदगी नहीं गुजरी जा सकती. सरकार नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दे, जिससे खिलाड़ी सम्मानपूर्वक जिंदगी जी सके. कहा कि मैं देश के लिए खेलना चाहती हूं, लेकिन परिवार की माली हालत बीच में बाधा बनकर तैयार है.
तोपचांची थाना क्षेेत्र के गणेशपुर निवासी खेमन राम महतो आशा के चचेरे नाना हैं. वह आशा की बड़ी बहन सुनीता कुमारी की पढ़ाई का सारा खर्च वहन करते हैं. नाना के बूते सुनीता पटना से एमए की पढ़ाई कर रही है. मां को सब्जी से होने वाली आमदनी तथा चचेरे नाना से समय-समय पर मिलने वाली आर्थिक मदद के कारण रांची से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर अमृतसर से बीपीएड कर रही है, जबकि छोटी बहन नेशनल फुटबाॅलर ललिता कुमारी 12वीं के फाइनल ईयर में है.
थाइलैंड जाने से रह गयी वंचितआशा का चयन महिला अंडर-18 के इंडिया टीम में हुआ था. वह भूटान के थिंफू में टूर्नामेंट के मैच खेली. फिर उसे कुछ माह के बाद फुटबाॅल के टूर्नामेंट में थाइलैंड जाना था. अभ्यास के दौरान उसके घुटने में चोट आ गयी थी. जिससे वह थाइलैंड के टूर्नामेंट में भाग लेने से वंचित रह गयी.
सीधी नियुक्ति का लाभ नहीं मिलने का रहेगा मलालआशा कुमारी ने बताया कि झारखंड सरकार खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति दे रही है. यह सुनकर काफी अच्छा लगा. सीधी नियुक्ति के लिए आवेदन दिया. नौकरी के लिए इंडिया टीम के अंडर-18 का मेरिट सर्टिफिकेट भी दी थी. सर्टिफिकेट में विजेता तथा उपविजेता में टिक मार्क नहीं रहने के कारण मुझे सीधी नियुक्ति का लाभ नहीं मिला. जिसका मलाल मुझे हमेशा रहेगा.
खिलाड़ियों का मुख्य पूंजी उसका अभ्यास होता है. अभ्यास नहीं होने से आगामी राज्यस्तरीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों के लिए बेहतर तैयारी करने से वंचित रह जायेगा. खेल को सुधारने के लिए ग्राउंड में बहुत पसीना बहाना पड़ेगा. एक अच्छे खिलाड़ी के पास फिटनेस तथा स्टेमिना का होना बेहद जरूरी है जो कोरोना काल में अभ्यास के अभाव में घट रहा है. खेल के नये तकनीक सीखने से वंचित हो रहे हैं. जिसका सीधा असर खेल पर पड़ेगा. वर्तमान में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी अभ्यास के अभाव में आगामी मैचों में अपना जलवा नहीं बिखेर सकेंगे.
नेशनल फुटबॉलर आशा की उपलब्धि– वर्ष 2013 में सरायकेला-खरसावां में जिलास्तरीय स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया
– वर्ष 2013 में भुवनेश्वर में 5वीं नेशनल लेवल रूरल टूर्नामेंट
– वर्ष 2015 में रांची में ऑल इंडिया नेशनल साई रिजनल फुटबाॅल टूर्नामेंट
– वर्ष 2015 में गोवा में ऑल इंडिया फुटबाॅल फेडरेशन
– रांची में राज्यस्तरीय स्पोर्टस ऑथिरिटी ऑफ इंडिया के अंडर-17
– वर्ष 2016 में कटक में ऑल इंडिया फुटबाॅल फेडरेशन
– वर्ष 2016 में दिल्ली में सुब्रतो कप इंटरनेशनल फुटबाॅल टूर्नामेंट
– वर्ष 2015 में धनबाद जिलास्तरीय अंतर प्रखंड सुब्रतो मुखर्जी कप विद्यालय फुटबाॅल प्रतियोगिता
– वर्ष 2017 कटक में ऑल इंडिया फुटबाॅल फेडरेशन
– वर्ष 2017 रांची में सीआरपीएफ अंडर-19 फुटबाॅल टैलेंट हंट टूर्नामेंट
– वर्ष 2017 पंजाब में ऑल इंडिया फुटबाॅल फेडरेशन (सीनियर नेशनल)
– वर्ष 2017 में रांची यूनिवर्सिटी इंटर काॅलेज वुमेंस फुटबाॅल टूर्नामेंट
– वर्ष 2018 में कटक में रांची यूनिवर्सिटी रांची के पूर्वी जोन से
– वर्ष 2018 में थिंफू (भूटान) में ऑल इंडिया फुटबाॅल फेडरेशन (SAFF अंडर-18)
– वर्ष 2019 में अमृतसर में एसोसिएसन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज
– वर्ष 2019 में वाराणसी में रांची यूनिवर्सिटी के पूर्वी जोन से
Posted By : Samir Ranjan.