International Yoga Day: बौद्ध धर्म में साधना विधि प्रधान, बोले सुभद्र भिक्षु

International Yoga Day|बौद्ध विहार जमशेदपुर के सुभद्र भिक्षु बताते हैं कि बौद्ध धर्म में साधना विधि प्रधान है. इसके लिए सबसे पहले बुद्ध की शरण ली जाती है.

By Mithilesh Jha | June 20, 2024 11:21 PM

International Yoga Day|जमशेदपुर, कन्हैया लाल सिंह : बौद्ध विहार जमशेदपुर के सुभद्र भिक्षु बताते हैं कि बौद्ध धर्म में साधना विधि प्रधान है. इसके लिए सबसे पहले बुद्ध की शरण ली जाती है. दोनों हाथ जोड़कर भगवान बुद्ध को प्रणाम करते हैं.

बुद्ध के आसन में बैठकर की जाती है साधना

उन्होंने कहा कि बुद्ध के आसन में बैठकर साधना की जाती है. इसमें मेरुदंड को 90 डिग्री पर (सीधा) रखना होता है. बायें हाथ को नीचे और दाहिने को ऊपर रखकर उसे नाभि के बीच में स्थिर किया जाता है. अब मस्तिष्क को शांत किया जाता है. गर्दन सीधी रहे. धीरे-धीरे आंख बंद करना है.

करना होता है भगवान बुद्ध के मंत्र का उच्चारण

उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ भगवान बुद्ध के मंत्र का उच्चारण करना है, भवतु सब्ब मंगलम्/ रखंतु सब देवता… मंत्रोचार के बाद श्वांस को स्थिर करना है. हम सांस ले रहे हैं और छोड़ रहे हैं, इतना ही ध्यान रखना है. यह अभ्यास शुरू में पांच मिनट, फिर दस मिनट करना है. धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हुए चार-पांच घंटे तक साधना की जा सकती है.

चंक्रमण भी करना चाहिए

वे बताते हैं कि साधना के बीच में चंक्रमण करना ठीक रहता है. इसमें दोनों हाथ को पीछे रखना है. बैठे हुए यह महसूस करना है कि हम अपने पांव को धीरे-धीरे उठा रहे हैं. आंखों को धीरे-धीरे खोलना है. रिलैक्स होने के बाद धीरे-धीरे मुद्रा को खोलना है.

बौद्ध दर्शन और योग दर्शन में है समानता : रवि शंकर नेवार

जमशेदपुर में स्थित जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय में योग विज्ञान विभाग के व्याख्याता रवि शंकर नेवार बौद्ध भिक्षु की बात का समर्थन करते हैं. वे बताते हैं कि बौद्ध दर्शन एक नास्तिक दर्शन के रूप में जाना जाता है. इसमें भी योग की तरह मोक्ष की मान्यता है. इसमें मोक्ष को निर्वाण के रूप में बताया गया है. निर्वाण प्राप्ति के लिए भगवान बुद्ध ने साधना का मार्ग बताया है, जिसमें योग के अंगों का वर्णन मिलता है.

पतंजलि योग की तरह बौद्ध धर्म में भी हैं 5 नियम

वह कहते हैं कि जैसे पतंजलि योग में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये पांच नियम बताये गये हैं. इसी प्रकार शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और प्राणिधान (ईश्वर पर विश्वास) ये पांच नियम बताये गये हैं. बौद्ध धर्म में भी ये नियम हैं. जिसमें अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, सत्य, धर्म में श्रद्धा, दोपहर के बाद का भोजन निषेध, सुखप्रद शय्या तथा आसन का परित्याग, विलाप से विरक्ति, सोने और चांदी आदि मूल्यवान वस्तुओं को अस्वीकार करना बताया गया है. पतंजलि योग के अष्टांग योग की भांति निर्वाण की प्राप्ति के लिए बौद्ध साधना के अष्टांग मार्ग हैं.

बौद्ध साधना के अष्टांग मार्ग

  1. सम्यक दृष्टि
  2. सम्यक संकल्प
  3. सम्यक वाक
  4. सम्यक कर्म
  5. सम्यक आजीव
  6. सम्यक व्यायाम
  7. सम्यक स्मृति व
  8. सम्यक समाधि

बौद्ध साधना में बताया गया है त्रिरत्न के बारे में

रवि शंकर नेवार बताते हैं कि बौद्ध साधना में त्रिरत्न के बारे में बताया गया है. जिसे शील, समाधि और प्रज्ञा कहा जाता है. इसमें ध्यान योग की साधना मुख्य है. यहां पांच प्रकार के ध्यान का वर्णन मिलता है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बौद्ध दर्शन और योग दर्शन में बहुत अधिक समानता है. बौद्ध दर्शन में योग के सभी अंगों का समावेश किया गया है.

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