संताली भाषा में Sahitya Akademi का पहला पुरस्कार जीतने वाले जदुमणि बेसरा का आज होगा अंतिम संस्कार

Jharkhand News: संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार सह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित जदुमणि बेसरा का गुरुवार को खड़गपुर रेलवे अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. शुक्रवार देर शाम उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव बिसोई में किया जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2022 2:31 PM

Jharkhand News: संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार सह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित जदुमणि बेसरा का गुरुवार को खड़गपुर रेलवे अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. शुक्रवार देर शाम उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव बिसोई में किया जायेगा. संताली भाषा के साहित्यकार जदुमणि बेसरा को उनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह भाबना के लिए 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. संताली भाषा के पहले साहित्यकार थे, जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

हार्ट अटैक से निधन, आज देर शाम अंतिम संस्कार

ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के रविंद्र मुर्मू ने बताया कि रेलवे में कार्यरत 58 वर्षीय जदुमणि बेसरा की शाम साढ़े आठ बजे अचानक घर पर तबीयत बिगड़ी. उन्हें इलाज के लिए परिवार के लोग रेलवे अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां जांच के दौरान चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. चिकित्सकों ने बताया कि उन्हें मेजर हार्ट अटैक हुआ था, जिसके कारण उनका निधन हो गया. साहित्य सम्मान से सम्मानित जदूमणि बेसरा ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन संस्थापक महासचिव थे और वर्तमान में वे सलाहकार के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे. 2008 में साहित्य अकादमी के संयोजक रहने का भी उन्हें गौरव हासिल रहा. वे अपने पीछे पत्नी, दो पुत्रियां एक पुत्र से भरा परिवार छोड़ गये हैं. उनके निधन पर एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू, पद्मश्री खेरवाल सोरेन, रविंद्र मुर्मू, सपना हेंब्रम, सूर्य सिंह बेसरा समेत अन्य सदस्यों ने गहरा दुख व्यक्त किया है. शुक्रवार को एसोसिएशन के सदस्य व साहित्यकार खड़गपुर पहुंचे. जहां से उनकी अंतिम यात्रा रायरंगपुर स्थित पैतृक गांव बिसोई पहुंची. देर शाम उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.

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ओड़िशा के बिसोई गांव में हुआ था जन्म

17 मार्च 1964 को मयूरभंज ओड़िशा के बिसोई गांव में जन्म हुआ था. 1984 में कटक के रेवेनशॉ कॉलेज से बी कॉम पास की. इसके बाद 6 जून 1986 को रेलवे में सीनियर एकाउंट ऑफिस गोल्डन रॉक तामिलनाडु में योगदान दिया. 1987 में तबादला होकर खड़गपुर पहुंचे वहां सीनियर डीएओ बनाये गये. 2012 में चाइना दौरे पर गये. 2012 में उन्हें पश्चिम बंगाल संताली अकादमी का सदस्य 2015 तक बनाया गया. इनके द्वारा संयुक्त रूप से लेखक रूपचांद हांसदा के साथ मिलकर 1991 में कविता संग्रह ओनहोर महक, 2004 में शार्ट स्टोरी जियान गदा, 2009 में लेख अनोल माला, 1995 में बिबिलियोग्राफी ऑफ संताली राइटर्स पार्ट-1 र 2015 में संताली राइटर्स एसोसिएशन के सोविनयर का संपादन किया. साहित्यकार जदुमणि बेसरा ने 1983 में जिवी झरना, 1991 में फागुन कोयल, 2012 तक मंतर और 2015 तक दिशा मैगजीन में संपादन का भी काम किया. साहित्यकार जदुमणि बेसरा के लिखे आर्टिकल छिया चंपा, सनस अहला, सागेन सकम, जिवी झरना, फागुन कोयल, खेरवाल दाहर, मांतर तेतरे, सिली, रिमिल, संध्यारानी, सिरोम करम, नोवा सागेन सकम, जिवी, होर संबद प्रकाशित हुए.

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रिपोर्ट : संजीव भारद्वाज, जमशेदपुर

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