जमशेदपुर : रवींद्र भवन परिसर में 37 वें पुष्तक मेला का हुआ आगाज, दस दिनों तक चलेगा मेला
टैगोर सोसाइटी की ओर से आयोजित 37वें पुस्तक मेले का शुक्रवार को साकची स्थित रवींद्र भवन परिसर में आगाज हुआ. ख्य अतिथि उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि दस दिनों तक मेला चलेगा.
लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर : टैगोर सोसाइटी की ओर से आयोजित 37वें पुस्तक मेले का शुक्रवार को साकची स्थित रवींद्र भवन परिसर में आगाज हुआ. मुख्य अतिथि उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि दस दिनों तक मेला चलेगा. जिसका बच्चों और खासकर युवाओं को लाभ उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किताब ज्ञान का भंडार है. जिसे हाथ में लेकर पढ़ने का अपना अलग सुख है. जबकि हम सोशल मीडिया के कारण इससे दूर होते जा रहे हैं. पुस्तक हमें आंतरिक खुशी देती है. आज भी पुस्तक को ही बेस्ट गिफ्ट माना जाता है. उन्होंने अभिभावकों से बच्चों को मेले में लाने की अपील की.
एक करोड़ से ज्यादा बिक्री की उम्मीद
सोसाइटी के महासचिव आशीष चौधुरी ने कहा कि पुस्तक मेले की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई थी. पिछले वर्ष 68 प्रकाशकों के स्टॉल लगे थे. और बिक्री एक करोड़ रुपये की हुई थी. उन्होंने इस साल इससे अधिक की बिक्री की उम्मीद जतायी है. सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ एचएस पॉल ने स्वागत भाषण दिया. उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला शहर का महत्वपूर्ण इवेंट है. जिसका सभी को इंतजार रहता है. पुस्तक संस्कृति को बढ़ाना ही हमारा मकसद है. सोसाइटी के उपाध्यक्ष तापस कुमार मित्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन संगीता लाहिरी ने किया. स्वागत गीत व नृत्य पेश किया. शंख और उलू ध्वनि के साथ मेले की शुरुआत हुई. मौके पर अचिंतम गुप्ता, पूरबी घोष व अन्य मौजूद रहे.
हो, संथाली, मुंडारी की किताबें भी मिल रहीं
मेले के स्टॉल 66 में संताली भाषा (लिपि) और हो भाषा (लिपि) की पुस्तकें मिल रही हैं.”आधुनिक हो की शिष्ट काव्य” में एक तरफ हो में कविता है. दूसरी तरफ इसे देवनागरी में लिखा गया है. इसका संपादन डॉ जामुन सिंह सोय ने किया है. संताली भाषा में काव्य संग्रह है, हुल रेया सेंगेल जुले ना. जिसमें महिला व लड़कियों के संघर्ष से संबंधित कविताएं हैं. स्टॉल नंबर 24 में भी संताली, मुंडारी और हो भाषा की किताबें मिल रही है. स्टॉल नंबर 67 पर स्थानीय रचनाकारों की पुस्तकें मिल रही हैं. स्टॉल नंबर 33 में सभी पुस्तकों पर 50 प्रतिशत की छूट मिल रही है. यहां पर 21 सेंचुरी यूनिवर्सल इनसाइक्लोपीडिया का 30 वोल्यूम, श्री अरविंद की 36 वोल्यूम, रवींद्रनाथ रचनावली बांग्ला भाषा का 15 वोल्यूम मिल रहा है.
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