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एवरेस्ट फतह का ऐसे शुरू हुआ सिलसिला, बछेंद्री पाल ने अस्मिता समेत टाटा के 11 पर्वतारोहियों को बनाया विजेता

Everest Day: इस साल झारखंड के टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की अस्मिता दोरजी ने एवरेस्ट फतह किया है. ठीक 39 साल पहले अस्मिता के पिता अंग दोरजी और बछेंद्री पाल ने भी इसी दिन एवरेस्ट फतह किया था.

जमशेदपुर, निसार. विश्व की सबसे ऊंची चोटियों में एक और हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है- माउंट एवरेस्ट. इसकी उंचाई 8848 मीटर है. हर एक पर्वतारोही का सपना होता है कि वह इस पहाड़ पर फतह हासिल करे, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होता है. दशकों के पहले तमाम कोशिशों के बाद भी लोग यहां तक पहुंचने में असफल रहे थे, लेकिन 70 साल पहले 29 मई को इस पहाड़ पर पहली बार फतह हासिल किया जा सका. इसलिए हर साल 29 मई को एवरेस्ट डे मनाया जाने लगा. इसकी शुरुआत 2008 से हुई थी.

ऐसे शुरू हुआ एवरेस्ट पर फतह का सिलसिला

सन 1953 में 29 मई को पहली बार एवरेस्ट पर फतह हासिल कर इतिहास रचने वाले में न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे थे. 29 मई को दोनों पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट पर कदम रखा था. इसी के बाद एवरेस्ट फतह का सिलसिला शुरू हुआ. भारतीय में सबसे पहले इंडियन आर्मी के कैप्टन अवतार सिंह चीमा ने इस चोटी को फतह किया. इसके बाद बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर पहुंचकर पहली भारतीय महिला द्वारा यह मुकाम हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया.

अस्मिता ने फहराया भारतीय तिरंगा और टाटा स्टील का झंडा

इस साल झारखंड के टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की अस्मिता दोरजी ने एवरेस्ट फतह किया है. 23 मई को अपने साहस के परिचय देते हुए अस्मिता दोरजी ने सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर अपने शेरपा लखपानुरु के साथ इस चोटी पर फतह पाई. उन्होंने एवरेस्ट की शिखर पर पहुंच कर भारतीय तिरंगा और टाटा स्टील का झंडा फहराया. बता दें कि अस्मिता दोरजी 6 अप्रैल को दिल्ली से काठमांडू पहुंचीं थीं. फिर वहां से 14 अप्रैल को एवरेस्ट की कठिन यात्रा शुरू कि थी. बेस कैंप पहुंचने के बाद उन्होंने रोटेशन प्रक्रिया पूरी की. इसके बाद 18 मई को वह कैंप-3 के लिए निकली. इसके बाद 22 मई को वह कैंप चार से एवरेस्ट पर चढ़ने की अंतिम यात्रा की शुरुआत रात को लगभग दस बजे शुरू किया और सबुह आठ बजकर 20 मिनट में उन्होंने सफलता पूर्वक अपनी यात्रा पूरी की.

26000 फीट तक नहीं लिया ऑक्सीजन सप्लीमेंट

अस्मिता दोरजी ने बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के ही एवरेस्ट फतह करने का निश्चय किया था, लेकिन 26000 फिट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद हाई एल्टीट्यूट संबंधित कुछ परेशानियां शुरू हो गयी. इसके बाद शेरपा की सलाह पर उन्होंने ऑक्सीजन स्पलीमेंट का सहारा लिया. आपको बता दें कि अस्मिता दोरजी पिछले साल भी बिना ऑक्सीजन स्पलीमेंट के एवरेस्ट अभियान पर गयी थीं. उस वक्त अपनी मंजिल से मात्र 100 मीटर की दूरी पर अस्मिता दोरजी बेहोश होकर गिर गयी थीं और उनका अभियान बीच में ही छूट गया था. वहीं उस दरमियान वह 27000 फीट यानि साउथ पोल तक पहुंच गयी थीं. अस्मिता दोरजी ने 45 दिन के कठिन अभियान के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना किया.

2022 में मनास्लु फतह कर रचा था इतिहास

अस्तिमा दोरजी ने अक्तूबर 2022 में नेपाल में स्थित दुनिया के आठवें सबसे ऊंचे पर्वत मनास्लु (8163) को फतह कर इतिहास रचा था. कदमा लिंक रोड निवासी अस्मिता दोरजी ने बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के एवरेस्ट अभियान में जाने से पहले काफी कठिन ट्रेनिंग की है. एवरेस्ट विजेता हेमंत गुप्ता ने बताया कि जैसे-जैसे एवरेस्ट पर चढ़ाई बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है. इसलिए यह अस्मिता का साहस ही है कि वे इतने कठिन मिशन पर जा रही हैं.

अस्मिता के पिता और बछेंद्री पाल ने इसी फतह किया था एवरेस्ट

अस्मिता दोरजी का एवरेस्ट फतह करना अपने आप में अनोखा है. क्योंकि 23 मई 2023 को अस्मिता दोरजी ने एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया. वहीं सन 1987 को यानि ठीक 39 साल पहले अस्मिता के पिता अंग दोरजी और बछेंद्री पाल ने 23 मई को ही एवरेस्ट फतह किया था. बछेंद्री पाल ने बताया कि यह संयोग है या फिर कुछ और अस्मिता ने उसी दिन एवरेस्ट फतह किया जिस दिन उनके पिता और मैंने एवरेस्ट फतह किया था. अस्मिता का साहस और भी महिलाओं को प्रेरित करेगा.

बछेंद्री पाल ने 11 को बनाया एवरेस्टर

23 मई 1984 को एवरेस्ट फतह करने के बाद बछेंद्री पाल जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलीं, तो उन्होंने शाबाशी देते हुए कहा था कि बछेंद्री तुम रुकना नहीं, क्योंकि इस देश को और भी बछेंद्री पाल चाहिए. बछेंद्री ने पूर्व प्रधानमंत्री की बातों को सच साबित करते हुए एवरेस्टरों की फौज खड़ी कर दी है. टाटा स्टील के सहयोग से बछेंद्री पाल अब तक दस लोगों को एवरेस्ट पर पहुंचा चुकी हैं.

टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के पर्वतारोही जिन्होंने एवरेस्ट किया फतह

एवरेस्टर नाम- वर्ष

प्रेमलता अग्रवाल- 20 मई 2011

बिनीता सोरेन- 26 मई 2012

मेघलाल महतो- 26 मई 2012

राजेंद्र सिंह पाल- 26 मई 2012

सुशेन महतो- 19 मई 2013

अरुणिमा सिन्हा- 21 मई 2013

हेमंत गुप्ता- 27 मई 2017

संदीप तोलिया- 22 मई 2018

पूनम राणा- 22 मई 2018

स्वर्णलता दलाई- 22 मई 2018

अस्मिता दोरजी- 23 मई 2023

क्या कहती हैं बछेंद्री पाल

पहली भारतीय महिला एवरेस्टर बछेंद्री पाल कहती हैं कि मेरे लिये तो यह बड़ी खबर है. मैं मानती हूं कि अस्मिता ने बिना ऑक्सीजन के ही एवरेस्ट फतह किया है. पिछले साल भी उन्होंने कमाल किया था.

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