जमशेदपुर : प्लास्टिक बैग पर बैन की ऐसी-तैसी, रोजाना 65 टन निकलना वाला कचरा बना शहर के लिए खतरा
जमशेदपुर शहर प्लास्टिक कचरे की परेशानी से जूझ रहा है. एक तरफ प्रशासन प्लास्टिक बैग पर बैन की बात कहता है तो वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक धड़ल्ले से बेचा जा रहा है. शहर में रोजाना 25 टन प्लास्टिक की खपत है.
जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : तीन जुलाई को दुनिया अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस मनायेगा. वहीं, क्लीन और ग्रीन सिटी के नाम से मशहूर स्टील सिटी जमशेदपुर में प्लास्टिक बैग खतरा बनता जा रहा है. स्थिति कितनी भयावह हो गयी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर में रोजाना तकरीबन 25 टन प्लास्टिक की खपत है. जबकि, शहर में रोजाना निकलने वाले करीब 420 टन कचरा में 65 टन प्लास्टिक कचरा रह रहा है. अकेले टाटा स्टील यूआइएसएल गार्बेज कलेक्शन में रोजाना 270 मीट्रिक टन कचरा का उठाव करती है, जिसमें से 5 फीसदी कचरा प्लास्टिक का होता है, जिसका वजन 20 मीट्रिक टन होता है.
बैन के बाद भी प्लास्टिक पर नहीं है लगाम
बैन के बाद भी लोग धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि अब जमशेदपुर में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को रोकने के सारे अभियान बंद हो चुके हैं. काफी सरगर्मी के साथ एक जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया था. शुरुआती दिनों में इसको लेकर अभियान तो चलाया गया, लेकिन तकरीबन एक साल से अभियान भी बंद है. बाजार-हाट में दुकानदार से लेकर ग्राहक खुलेआम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. मानगो नगर निगम, जमशेदपुर अक्षेस और जुगसलाई नगर परिषद भी इसे रोकने में विफल है. जुर्माना लगाने के बाद भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं. ऐसे में इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. कुल मिलाकर शहर में प्लास्टिक बैग पर बैन की ऐसी-तैसी होकर रह गयी है.
नहीं है ठोस प्लान, नदियों में भरा प्लास्टिक
तीनों निकायों की ओर से लगभग 200 टन कचरा का उठाव किया जाता है, जिसमें प्लास्टिक का कचरा काफी अधिक होता है. इसको रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनायी गयी है. इंफोर्समेंट एजेंसियां हाथ पर हाथ धरी बैठी हैं. कानून के मुताबिक, इसके लिए जिला अधिकारी से लेकर नगर निकायों को जिम्मेदार बनाया गया है. शहर में कंपनी की ओर से भी अभियान चलाया जाता है, लेकिन उनके पास इंफोर्समेंट का अधिकार नहीं है. लिहाजा, वे लोग जागरूकता तक ही रुके हुए हैं. हालात यह है कि नदियों में भी प्लास्टिक का कचरा भरा हुआ है और शहर के लगभग 39 बड़े नाले भी प्लास्टिक से जाम हैं.
ओडिशा और दूसरे राज्यों से धड़ल्ले से हो रही आपूर्ति
शहर के व्यापारियों के अनुसार, ओडिशा और दूसरे राज्यों से रोजाना सैकड़ों क्विंटल पॉलीथिन की शहर में आपूर्ति होती है. इनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि इनका माल कहीं नहीं पकड़ा जाता. शहर में किसी स्थान पर माल को डंप कर व्यापारियों को पहुंचा दिया जाता है. यही वजह है कि सब जगह आसानी से उपलब्ध है.
शहर में चार स्थान प्लास्टिक फ्री जोन, पर जनता का सहयोग नहीं
जमशेदपुर में चार स्थान ऐसे हैं, जिसको प्लास्टिक फ्री जोन घोषित किया गया है. जुबिली पार्क, जूलॉजिकल पार्क (चिड़ियाघर), बिष्टुपुर पब्लिक स्क्वैयर और डिमना लेक को प्लास्टिक फ्री जोन घोषित किया गया है. लेकिन आम जनता का कोई सहयोग नहीं मिलने से वहां से भी हर रोज प्लास्टिक निकलता है और वहां लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर हैं.
खरकई और सुवर्णरेखा नदी में प्लास्टिक ही प्लास्टिक
शहर की लाइफलाइन सुवर्णरेखा और खरकई नदी के किनारे काफी कचरा फैला हुआ है. इसमें सबसे अधिक प्लास्टिक है. प्लास्टिक की बोतलें, रैपर, पैकेजिंग, बैग, कप-प्लेट समेत अन्य सारे सामान नदियों में डाले जा रहे हैं. लोग कचरा को प्लास्टिक में बांधकर नदी में डाल देते हैं. लगातार नदी में इस तरह का कचरा डालने से इसका पानी दूषित हो रहा है.
रिसाइकिल से ज्यादा रियूज पर जोर देना जरूरी
पर्यावरणविद गौरव आनंद कहते हैं कि नदियों की सफाई में केवल प्लास्टिक मिलता है. कचरा में भी प्लास्टिक की मात्रा काफी अधिक होती है. अगर समय रहते हुए शहर में निरंतर चलने वाला अभियान नहीं चलाया गया, तो हालात बदतर हो जायेगा. यहां जरूरत है कि निकाय घरों से लोगों से प्लास्टिक ले और कुछ पैसे दे. फिर उसका रिसाइकिल करे. प्लास्टिक की रिसाइकिल से ज्यादा रियूज पर जोर देना होगा. एक तरफ यह कदम और दूसरी तरफ शहर में प्लास्टिक की इंट्री रोक दी जाये, तभी इस पर रोक लगायी जा सकती है. इसके लिए जागरूकता के साथ ही सख्त इंफोर्समेंट की जरूरत है.
ढिलाई आयी है, लेकिन अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे
जमशेदपुर अक्षेस के नगर आयुक्त कृष्ण कुमार प्लास्टिक को लेकर जागरूकता अभियान चलता रहता है. अभी निश्चित तौर पर कुछ ढिलाई आयी है. हम लोग फिर से अभियान चलाकर प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए कार्रवाई करेंगे.