jamshedpur : टाटा जू में खुला बटरफ्लाइ हाउस, तितलियों की रंग बिरंगी दुनिया से रूबरू होंगे लोग
टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (चिड़ियाघर) में शनिवार को नवनिर्मित बटरफ्लाइ हाउस (तितली घर) का उद्घाटन हुआ. टाटा स्टील जूलॉजिकल सोसाइटी के अध्यक्ष और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट काॅरपोरेट सर्विसेज चाणक्य चौधरी ने इसका उद्घाटन किया.
जमशेदपुर. टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (चिड़ियाघर) में शनिवार को नवनिर्मित बटरफ्लाइ हाउस (तितली घर) का उद्घाटन हुआ. टाटा स्टील जूलॉजिकल सोसाइटी के अध्यक्ष और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट काॅरपोरेट सर्विसेज चाणक्य चौधरी ने इसका उद्घाटन किया. इस मौके पर टाटा स्टील यूआइएसएल के एमडी ऋतुराज सिन्हा, जेसीएपीसीपीएल कंपनी के एमडी अभिजीत अविनाश नानोती मौजूद थे. मुख्य अतिथि तो टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी थे, लेकिन उन्होंने इसका फीता काटने के लिए चिड़ियाघर के की महिला केयरटेकर मालती मांझी को बुलाया और उनके हाथों फीता कटवाया. इस मौके पर चिड़ियाघर के संयुक्त निदेशक नईम अख्तर, चिकित्सक सह संयुक्त निदेशक डॉ एम पालित समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे. इस पार्क को नये सिरे से बनाया गया है. करीब 1.76 करोड़ रुपये की लागत से बने इस बटरफ्लाइ हाउस का निर्माण करीब आठ माह में पूरा हुआ है. इसमें एजुकेशन सेंटर, बटरफ्लाइ को देखने का एरिया और बटरफ्लाइ का ब्रीडिंग एरिया भी मौजूद है. इसमें 41 प्रजातियों की तितलियों को प्रदर्शित किया गया है. इस अवसर पर सोसाइटी के अध्यक्ष चाणक्य चौधरी ने कहा कि पार्क का नये सिरे से जीर्णोद्धार किया गया है. हर माह नये-नये जानवर और पक्षियों को एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे चिड़ियाघरों से लाया जा रहा है. इसी कड़ी में तितली घर का निर्माण भी हुआ है. यहां तापमान को नियंत्रित करने के लिए उपकरण लगाये गये हैं और कर्मचारियों को भी नियुक्त किया गया है, ताकि तितलियों की संख्या में इजाफा हो सके.
कई प्रजातियों की तितिलयां रहेंगी
चिड़ियाघर में बनाये गये बटरफ्लाइ हाउस में 41 प्रजातियों की तितलियां शामिल हैं, जिसमें से 7 प्रजातियां चिड़ियाघर में ही प्रजनन करती हैं. टाटा जू में अभी ग्यारह और प्रजातियों की तितलियों के प्रजनन के लायक का माहौल बनाया है, जिसमें प्लेन टाइगर, कॉमन क्रो, कॉमन कैस्टर, एंगल्ड कैस्टर, लाइम बटरफ्लाइ, कॉमन मारमान, कॉमन जाय, कॉमन इमिग्रेंट, मोटल्ड इमिग्रेंट, कॉमन ग्रास येलो और स्मॉल ग्रास येलो शामिल हैं. इस बटरफ्लाइ हाउस के बनने से टाटा जू का वातावरण और बेहतर हो सकेगा. इसके तहत बटरफ्लाइ यहां अंडा दे सकेंगी, लार्वा, पूपा हो सकेगा और फिर यह बड़ी तितली भी बन सकेगी. तीन से चार दिनों में यह तितलियां नयी तैयार हो जायेंगी. इसका लाइफ करीब 15 से 20 दिन का है. इसमें ब्रीडिंग, फीडिंग और उसके लायक का माहौल बनाया गया है. तितलियों को पालन के लिए उद्यान में पौधे लगाये गये हैं. इसमें बटरफ्लाइ होस्ट प्लांट और नेक्टर प्लांट लगाये गये हैं. बटरफ्लाइ होस्ट प्लांट वो पौधे होते हैं, जो तितलियों का निवास बनते हैं. तितलियां इन्हीं पौधों पर अपने अंडे देती हैं. वहीं, नेक्टर प्लांट वो पौधे होते हैं, जिनपर तितलियां पराग चूसती हैं. इसके लिए पार्क में लेमन, मैंगो, ऑरेंज, लीची, करी पत्ता, शीशम, सखुआ, बोगनवेलिया, सहगन, सदाबहार, नाइ ओ क्लाक आदि लगभग 40 प्रकार के पौधे लगाये गये हैं.टाटा जू में पहले था तितली पार्क, बंद कर अब नया बनाया गया
टाटा जू में पहले तितली पार्क था. 2008 में इसकी शुरुआत की गयी थी. बाद में 2014 में इसको बंद कर दिया गया था. करीब 10 साल के बाद इसको फिर से शुरू किया गया है. 2008 में यहां तितलियों की संख्या 21 थी. लेकिन, बाद में सेंट्रल जू अथॉरिटी के आदेश पर तितली पार्क को बंद कर अब नये सिरे से बनाया गया है.15-20 दिन होती है छोटी तितलियों की आयु
छोटी तितलियों की आयु 15 से 20 दिन होती है. मादा तितली पौधों की पत्तियों के निचली सतह पर अंडे देती हैं. कुछ दिनों बाद अंडों से छोटा कीट निकलता है, जिसे कैटरपिलर या लार्वा कहते हैं. लार्वा पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है और इसके चारों ओर खोल बन जाता है, जिसे प्यूमा कहते हैं. कुछ समय बाद प्यूमा से तितलियां बाहर निकलती हैं. देश में 1500 प्रकार की तितलियां पायी जाती हैं. टाटा जू में 41 प्रजातियों की तितलियां हैं.कोल्हान में पाये जाते हैं कई रंग-बिरंगी तितलियां, जिसे शिड्यूल वन से लेकर शिड्यूल चार का दर्जा प्राप्त है
वन विभाग की ओर से कराये गये सर्वे के मुताबिक, कोल्हान में कई रंग-बिरंगी तितिलयां हैं. सर्वे में आधा दर्जन से अधिक पायी गयीं दुर्लभ तितलियां, जिसे वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत शिड्यूल वन से लेकर शिड्यूल चार तक का दर्जा मिला हुआ है. इस सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि कोल्हान के जंगलों में अब तक 75 प्रकार की तितलियां हैं, जो मिल चुकी है. कुछ दुर्लभ तितलियां भी सर्वे में पायी गयी थीं, जिसमें ऑर्चिड टीट तितली, जिसे शिड्यूल वन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत रखा गया है. इसी तरह गाउडी बेरोन तितली को शिड्यूूल चार में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत रखा गया है. इसके अलावा येलो पैंसी तितली, रेड पायरोट तितली, पम ज्यूडी तितली, वाटर स्नो फ्लैट तितली आदि पायी गयी हैं. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण की व्यवस्था है. उपरोक्त तितलियों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत रखा गया है. इस अधिनियम के तहत वैसे पशु-पक्षियों व तितलियों को रखा जाता है, जो लुप्त होने की कगार पर हैं. ऐसे जीवों को संरक्षण देने के लिए उसे संकटग्रस्त वनप्राणियों की सूची में रखा गया है. चाईबासा में पायी गयी रेड पायरोट तितली, राखामाइंस के जंगल में पायी गयी वाटर स्नो फ्लैट व आर्चिड टीट तितली, जो कि दुर्लभ प्रजाति की है. इसके अलावा गाउडी बारोन जमशेदपुर के जंगल में पायी गयी तितली दुर्लभ प्रजाति की है. इसके अलावा प्लेन टाइगर, लीयोपार्ड तितली आदि पायी गयी हैं. रेड पायरोट तितली चट्टान पर उगे पौधे का पत्ता खाकर अपना जीवन चलाती हैं. कोल्हान के जंगलों में पुटुस के पौधे बहुतायत पाये जाते हैं, जो तितलियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इसके अलावा तितलियों को भोजन के अलावा खनिज लवन की जरूरत पड़ती है, जो कोल्हान में उपलब्ध है.
तितलियों की काफी प्रजातियां कोल्हान में मिलती हैं : डीएफओडीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि कोल्हान में तितलियों की काफी प्रजातियां मिलती हैं. यहां कई दुर्लभ प्रजातियां भी हैं. इसका सर्वे पहले कराया गया है. इसका आने वाले दिनों में भी सर्वे कराया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है