पहली जुलाई से कानूनों में होगा व्यापक बदलाव, जानकारी के लिए सेमिनार व संगोष्ठी हो
झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने जमशेदपुर समेत राज्यभर के सभी बार काउसिंल को पत्र जारी किया
झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने राज्यभर के सभी बार काउंसिल को पत्र जारी किया (फ्लैग)
मुख्य संवाददाता, जमशेदपुर
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि भारत के आपराधिक कानूनों में पहली जुलाई 2024 से भारत सरकार बदलाव कर रही है. पहली जुलाई से होनेवाले बदलाव को लेकर राज्य के सभी बार एसोसिएशनों को स्टेट बार काउंसिल को पत्र जारी किया है. पत्र में नये कानूनों पर व्यापक सेमिनार और संगोष्ठी का आयोजन हर स्तर पर कराने का अनुरोध किया गया है, ताकि अधिवक्ताओं को नये कानूनों की व्यापक जानकारी और दक्षता तथा कौशल विकास हो सके. उन्होंने बताया कि इस बदलाव में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की शुरुआत होगी, जो मौजूदा भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. उन्होंने कहा है कि सभी जिला और अनुमंडल बार एसोसिएशनों से इन नये कानूनों की व्यापक जानकारी के लिए सेमिनार और संगोष्ठियों के आयोजन की जरूरत है. श्री शुक्ल ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं है जो मौजूदा 511 से कम होंगी, लेकिन इसमें 20 नये अपराध शामिल होंगे.
33 अपराधों के लिए दंड और 83 के लिए जुर्माना की राशि बढ़ायी गयी
33 अपराधों के लिए दंड बढ़ाये गये हैं, 83 अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ाये गये हैं और 23 अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम दंड की शुरुआत की गयी है. इसके अलावा 6 अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा दंड संहिता स्थापित किये गये हैं और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है. उन्होंने बताया कि भारतीय सुरक्षा संहिता सीआरपीसी का स्थान लेगी. इसमें अब 484 की तुलना में 531 धाराएं होंगी. संशोधित संहिता में 177 परिवर्तित प्रावधान शामिल किये गये हैं, इनमें 9 नयी धाराएं और 39 नयी उपधारा शामिल है एवं प्रक्रियात्मक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से 44 नये प्रावधान और उनकी पूर्ण व्याख्या शामिल है. इसी तरह नये भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 से बढ़कर 170 प्रावधानों तक विस्तारित किया गया है. इसमें 2 नये प्रावधान और 6 उप प्रावधान शामिल किया गया है, जबकि 6 को निरस्त किया गया है. इस अधिनियम का मूल उद्देश्य साक्ष्य प्रबंधन को आधुनिक बनाना है. और विशेष रूप से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए 35 विभिन्न संदर्भों में ऑडियो, वीडियो को शामिल करने का प्रावधान है.
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