साकची थानांतर्गत राजेंद्र विद्यालय के पास केनरा बैंक के एटीएम से तीन लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में बागबेड़ा बड़ौदा घाट निवासी संतोष कुमार शर्मा ने एचडीएफसी बैंक के मैनेजर रंजीत बनर्जी और एटीएम इंचार्ज मनीष प्रफुल्ल के खिलाफ साकची थाना में रुपये गबन करने का केस दर्ज कराया है. पुलिस की जांच में एटीएम मशीन का कार्ड स्लाट का स्थान टूटा पाया गया है.
घटना छह नवंबर की है. छह नवंबर की सुबह करीब 9.30 बजे संतोष रुपये निकालने राजेंद्र विद्यालय के पास एचडीएफसी बैंक के एटीएम में गये. मशीन खराब होने पर वह बगल के केनरा बैंक के एटीएम में चले गये. वहां उनका कार्ड एटीएम मशीन में फंस गया. वह भाई के साथ वहां दो घंटे तक खड़े रहे. कार्ड बाहर नहीं निकलने पर बाहर कतार में खड़े लोगों ने बैंक जाकर जानकारी देने को कहा.
वह बैंक में शिकायत कर लौटे तो देखा कि एटीएम मशीन क्षतिग्रस्त है. तभी उनके मोबाइल पर तीन लाख रुपये निकासी का मैसेज आया. उन्होंने बैंक मैनेजर को इसकी जानकारी दी. अगले दिन वह वह शिकायत लेकर एचडीएफएसी बैंक मैनेजर रंजीत बनर्जी से मिले तो उन्होंने घटना की जिम्मेवारी एटीएम इंचार्ज मनीष प्रफुल्ल पर टाल दी.
संतोष कुमार ने बैंक मैनेजर रंजीत बनर्जी और एटीएम इंचार्ज मनीष प्रफुल्ल के खिलाफ मिलीभगत कर अवैध रूप से रुपये निकासी करने का केस दर्ज कराया है. जांच में एटीएम का कुछ भाग टूटा मिला है. एटीएम मशीन से तीन लाख रुपये की निकासी नहीं हो सकती है. केस दर्ज कर जांच की जा रही है.
संजय कुमार, साकची थाना प्रभारी
साइबर अपराधियों ने आर्मी आफिसर बन कर मानगो के एक युवक के बैंक खाते से 33,600 रुपये की निवासी कर ली. इस संबंध में मानगो विक्टोरिया अपार्टमेंट निवासी चंडीचरण जेना ने साइबर थाना बिष्टुपुर में लिखित शिकायत की है. घटना के संबंध में बताया जाता है कि चंडीचरण जेना रुफ ट्रीटमेंट प्लांट का काम करते हैं. इसके लिए उन्होंने यू-ट्यूब पर विज्ञापन दिया है.
मंगलवार को उनके मोबाइल पर एक व्यक्ति ने फोन किया. फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को आर्मी कैंप सोनारी का मेजर बताया. उन्होंने श्री जेना को बताया कि उन्हें कैंप में रुफ ट्रीटमेंट प्लांट का काम करवाना है. इसके लिए उन्होंने अपना आर्मी का फर्जी आइ कार्ड भी श्री जेना को भेजा. उसके बाद जेना ने फर्जी आर्मी अधिकारी को बताया कि इस काम के लिए उन्हें 33600 रुपये देने होंगे. यह बात सुन कर फर्जी अधिकारी ने उन्हें बताया कि पहले उन्हें पूरा 33600 रुपये भेजने होंगे. उसके बाद भेजे गये रकम की दोगुना राशि उनके खाते में चली जायेगी.
आर्मी का पहचान पत्र देख कर श्री जेना साइबर अपराधी के झांसे में आ गया और फर्जी अधिकारी के खाते में 33600 रुपये भेज दिया. उसके बाद वह काफी देर तक रुपये वापस आने का इंतजार किया, लेकिन जब उनके खाते में रुपये वापस नहीं आया, तो वह समझ गया कि साबइर अपराधियों ने उससे ठगी कर ली है.