Jamshedpur : तुलसी भवन में नृत्य-संगीत का जलवा
तुलसी भवन बिष्टुपुर शुक्रवार की शाम गीत-नृत्य और चित्रकला से सराबोर रहा. एक पल शास्त्रीय संगीत के सुर और तान, तो दूसरे ही पल गंवई खुशबू लिए ठेठ ग्रामीण वाद्य यंत्रों के साथ लोकगीत और नृत्य की प्रस्तुति.
जमशेदपुर. तुलसी भवन बिष्टुपुर शुक्रवार की शाम गीत-नृत्य और चित्रकला से सराबोर रहा. एक पल शास्त्रीय संगीत के सुर और तान, तो दूसरे ही पल गंवई खुशबू लिए ठेठ ग्रामीण वाद्य यंत्रों के साथ लोकगीत और नृत्य की प्रस्तुति. इस अवसर पर मधुबनी, सोहराई, पाइटकर जैसी पेंटिंग प्रदर्शनी कार्यक्रम की शोभा दोगुनी कर रही थी. मौका था संस्था संस्कार भारती की जमशेदपुर महानगर इकाई की ओर से आयोजित कला उत्सव का. इसमें शहर और आसपास के कलाकारों और युवाओं ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम अपराह्न साढ़े तीन बजे शुरू हुआ. इसके दूसरे सत्र में संस्था की साधारण सभा हुई, जिसमें 2024-27 के लिए कार्य समिति और संरक्षक मंडल की घोषणा की गयी.
लांगड़े ने फैलाई गंवाई खुशबू
टंगराइन मध्य विद्यालय के विद्यार्थियों ने लांगड़े नृत्य की प्रस्तुति दी, जिससे जनजातीय संस्कृति की महक आ रही थी. सभी कलाकार पारंपरिक आदिवासी साड़ी और धोती-लुंगी में थे. सोलह लड़कियों ने सामूहिक रूप से एक-दूसरे की कमर में हाथ देकर नाच प्रस्तुत किया. यह नृत्य आदिवासी समुदाय की ओर से बारहो महीने किया जाता है. इसके लिए कोई अवसर तय नहीं होता. दरअसल अपने कामों से थक हारकर आदिवासी खुद के मनोरंजन के लिए हर संध्या यह नृत्य किया करते हैं, जिसकी प्रस्तुति स्कूल के विद्यार्थियों ने दी. 16 लड़कियां नृत्य कर रही थीं और 10 लड़के वाद्ययंत्र पर थे. इसमें मांदर, नगाड़ा, झाल और झुमका जैसे वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया गया. विद्यार्थियों ने बाहा गीत भी गाया. साथ ही लोटा पानी लेकर स्वागत नृत्य की प्रस्तुति भी दी. इसका निर्देशन रामचंद्र मार्डी ने किया. यह प्रस्तुति संस्कार भारती के किशोर आयाम तरुण प्रभा की ओर से दी गयी.रास में प्यार व रार
वहीं, एक संगीत विद्यालय की छात्राओं ने रास की प्रस्तुति दी. छह बच्चों ने रास प्रस्तुत किया और दो बच्चे गायकी और वाद्य यंत्र पर रहे. रास में मंच पर राधा-कृष्ण की जोड़ी भा रही थी. इसमें राधा व उनका साथ देतीं गोपियां भी कृष्ण से छेड़छाड़ कर रही थीं. इसमें श्रीकृष्ण के साथ प्यार और रार दिखाया गया. इसका निर्देशन स्मारिका मित्रा ने किया.शास्त्रीय संगीत व बाउल गीत ने झुमाया
लोक कला की महक के बीच शास्त्रीय संगीत की खुशबू भी श्रोताओं के कानों पर पड़ी. परसुडीह की नूपुर गोस्वामी ने राग रागेश्वरी में बंदिश बेगुन को गुनवंत दाता पेश किया. उन्होंने तान और सरगम से बंदिश को सजाया. शास्त्रीय संगीत के बीच वह भी लोक रंगों में रंग गयी और मंच पर बाउल गीत पर थिरकने लगी, जिसका भाव था कि यह देह कुछ कर गुजरने के लिए मिली है. उनके साथ तबले पर प्रणव चक्रवर्ती ने संगत किया.रंगोली, चित्रकला, नाटक ने मोहा मन
कार्यक्रम के दौरान पूरबी घोष के निर्देशन में श्रीनाथ कॉलेज की रिंकी कुमारी और कीर्ति कुमार ने रंगोली बनायी. सोनी सुगंधा और सुशील ने काव्य पाठ किया. चंदन जायसवाल और चेतन जायसवाल की सोहराय, पाइटकर, बबली मीरा की मधुबनी पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी. विजय भूषण के नाटक जरा सोचिए का मंचन किया गया. इसका निर्देशन अनीता सिंह ने किया. 30 मिनट के इस नाटक के जरिये नशा मुक्ति का संदेश दिया गया. दर्शकों ने रंगोली, चित्रकला, नाटक की खूब सराहना की.
डॉ रागिनी भूषण बनीं कार्य समिति की अध्यक्ष
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में संस्था संस्कार भारती की जमशेदपुर महानगर इकाई की साधारण सभा हुई. इसमें 2024-27 के लिए कार्य समिति और संरक्षक मंडल की घोषणा की गयी. इसमें डॉ रागिनी भूषण को अध्यक्ष, अरुणा भूषण को महामंत्री और अनीता निधि को मंत्री बनाया गया. संरक्षक मंडल में गोबिंद दोदराजका, इंद्र अग्रवाल व प्रसेनजित तिवारी शामिल हैं. इसके अलावा कोषाध्यक्ष सहित अन्य पदों की भी जिम्मेदारी दी गयी. इस दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह संचालक भास्कर जोशी व अन्य मौजूद रहे.
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