सफेद हाथी साबित हो रहा 186 करोड़ का ईएमसी, 7 साल बाद भी पड़ा है वीरान, नशेड़ियों-जुआरियों का बना अड्डा
186 करोड़ रुपये का इलेक्ट्रोनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) वर्तमान समय में सफेद हाथी साबित हो रहा है. सात साल बाद भी यहां औद्योगिक गतिविधियां जोर नहीं पकड़ सकीं. पूरा क्षेत्र वीरान पड़ा है. ईएमसी परिसर नशेड़ियों, जुआरियों व असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है.
आदित्यपुर (जमशेदपुर), प्रियरंजन : जियाडा के अधीन औद्योगिक क्षेत्र के फेज सात के निकट 2016 में केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित 186 करोड़ रुपये का इलेक्ट्रोनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (इएमसी) वर्तमान समय में सफेद हाथी साबित हो रहा है. 82 एकड़ भूखंड में फैले इएमसी में इलेक्ट्रोनिक सामान बनाने के लिए 51 प्लॉट व पांच तल्ला चार भवन वाले फ्लैटेड फैक्ट्री में 92 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की व्यवस्था की गयी है, लेकिन अब तक यहां पर प्लॉट पर छह इकाई व फ्लैटेड फैक्ट्री में दो इकाइयां ही लग पायी हैं. करोड़ों के निवेश व 400 लोगों को रोजगार मिलने के लक्ष्य से स्थापित इस इएमसी में औद्योगिक गतिविधियों के जोर नहीं पकड़ने के कारण पूरा क्षेत्र वीरान पड़ा हुआ है. रख-रखाव के अभाव में इसके भवन व परिसर नशेड़ियों, जुआरियों व असामाजिक लोगों के लिए अभ्यारण्य बन गये हैं. भवनों में लगे शीशे तोड़ दिये गये हैं और चारों ओर झाड़-झंखाड़ उग आये हैं. गार्ड रूम में लगे सभी फिटिंग की चोरी हो चुकी है. पेवर्स ब्लॉक उखड़ चुके हैं.
इएमसी एक नजर में
योजना शुरू हुई थी : 2016
लागत : 186 करोड़
भूखंड : 82 एकड़ भूखंड में फैला हुआ
51 प्लॉट व 92 मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने की व्यवस्था
अब तक प्लॉट पर छह इकाई व फ्लैटेड फैक्ट्री में दो इकाई लगी है.
लक्ष्य
400 लोगों को रोजगार देने का
17 प्लॉट व 90 फ्लैटेड फैक्ट्रियों का होना है आवंटन
इएमसी के 17 प्लॉट व 90 फ्लैटेड फैक्ट्रियों का आवंटन होना बाकी
इएमसी के संबंध में विशेष जानकारी रखने वाले जियाडा आदित्यपुर के परामर्शी अशोक बिहानी की मानें, तो इएमसी के 17 प्लॉट व 90 फ्लैटेड फैक्ट्रियों का आवंटन होना बाकी है. करीब छह इकाइयों में उत्पादन शुरू हुआ है. यहां एंकर यूनिट लगाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है.
एंकर यूनिट लगने से ही होगा बेड़ा पार
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक जाने माने वरिष्ठ उद्यमी ने अपनी पहचान छुपाते हुए बताया कि इएमसी में जब तक बड़ी कंपनी (एंकर यूनिट) नहीं लगेगी, तब तक इसका बेड़ा पार नहीं हो सकता है. यहां जो उद्यमी महंगी कीमत चुका कर उद्योग लगायेंगे, वे अपने उत्पाद कहां बेचेंगे. उनके सामने बाजार की समस्या है. इसके लिए झारखंड सरकार को आगे आना होगा. बड़ी कंपनी को यहां उद्योग लगाने के लिए सुविधा देनी होगी. जैसे अन्य राज्यों में उद्यमियों को लुभाने के लिए योजनाएं लायी जा रही है, वैसी ही योजना यहां लानी होगी.
सरकार की उदासीनता से उपेक्षित है इएमसी
जानकार बताते हैं कि इएमसी झारखंड सरकार की उदासीनता के कारण उपेक्षित है. सरकार चाहेगी, तो एंकर यूनिट को यहां लगने से कोई रोक नहीं सकता है. जिस तरह टाटा मोटर्स की अनुषंगी इकाइयों के कारण आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र हरा-भरा है, ठीक उसी प्रकार बड़ी कंपनी के यहां आने से उसकी कई अनुषंगी इकाई यहां स्थापित हो जायेगी.
बिग बायर्स को लाये सरकार : इंदर
एसिया के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने बताया कि झारखंड सरकार के उद्योग विभाग को यहां टाटा मोटर्स की तरह बिग बायर्स को लाना चाहिए. इसके लिए कार्यक्रम का आयोजन कर उद्यमियों को समझाने की आवश्यकता है. इएमसी में सिर्फ ई-रिक्शा व बैटरी बनने से काम नहीं चलेगा. ऑटो मोबाइल क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियां यहां से माल ले रही है. टाटा मोटर्स, वोल्वो, अशोक ले लैंड के ट्रकों में कई प्रकार के इलेक्ट्रोनिक सामान लगते हैं, जो वे बाहर से मंगवाते हैं. यदि उन्हें इएमसी में स्थापित उद्योगों से आपूर्ति करवाने पर राजी किया जाये, तो समस्या का हल हो सकता है. सरकार जितनी सुविधा दे रही है, उसका लाभ उद्यमियों को नहीं मिल रहा है.
अब तक कई बड़ी कंपनियों को मिला है आमंत्रण : सुरेश सोंथालिया
इएमसी प्रबंधन समिति के निदेशक मंडल के सदस्य सह कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने बताया कि इएमसी में एंकर यूनिट की स्थापना के लिए अब तक कई बड़ी कंपनियों को आमंत्रित किया जा चुका है, लेकिन झारखंड की स्थिति के कारण कोई कंपनी नहीं आयी है. फिलहाल कई कंपनियों से बात की भी जा रही है. इसके लिए सरकार को टाटा मोटर्स को राजी करना होगा. झारखंड सरकार की पहल के बिना इएमसी का विकास संभव नहीं है. यहां की अधिक दर के कारण भी उद्यमी अपना पैर खींच लेते हैं.
इएमसी में बड़ा प्रोजेक्ट लाने का प्रयास किया जा रहा है. उक्त क्षेत्र में पेट्रोलिंग नहीं होने का फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं. वैसे अपने स्तर से भी सुरक्षा की व्यवस्था करने का प्रयास हो रहा है.प्रेम रंजन, क्षेत्रीय निदेशक, जियाडा, आदित्यपुर