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यादगार 2023: जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने मिली मंजूरी

वर्ष 2023 में जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी (जमशेदपुर इंडस्ट्रियल टाउनशिप) के रूप में घोषित कर दिया गया है. बिहार के तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1990 में जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की अधिसूचना निकाली थी.

जमशेदपुर को नगर निगम और औद्योगिक नगर का मामला बिहार के जमाने से 1971 से लटका हुआ था. सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है. वर्ष 2023 में जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी (जमशेदपुर इंडस्ट्रियल टाउनशिप) के रूप में घोषित कर दिया गया है. बिहार के तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1990 में जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की अधिसूचना निकाली थी. विरोध के बाद अधिसूचना को वापस ले लिया गया. वर्ष 2005 में फिर अधिसूचना निकली गयी. इस वक्त भी विरोध के कारण वापस लेना पड़ा. अब जाकर जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी (जमशेदपुर इंडस्ट्रियल टाउनशिप) के रूप में घोषित कर दिया गया. इसके अलावा स्मार्ट सिटी को लेकर सरकार की सक्रियता दिखी. जमशेदपुर अक्षेस और मानगो नगर निगम का उप प्रशासक का नया पद विकसित किया गया है. एसडीओ जमशेदपुर उप प्रशासक और जमशेदपुर अक्षेस में चार विशेष पदाधिकारी, जबकि मानगो नगर निगम में तीन सहायक नगर आयुक्त का पद सृजित किये गये. हालांकि बाद में जमशेदपुर अक्षेस और मानगो नगर निगम में उप प्रशासक का पद समाप्त कर उप नगर आयुक्त का पद सृजित किये गये.

हाइकोर्ट के आदेश से पहली बार दो पार्किंग ठेकेदार को 37. 50 लाख वापसी का आदेश

पहली बार जमशेदपुर अक्षेस (जेएनएसी) को पार्किंग ठेकेदार निशिकांत सिंह की सुरक्षित जमा राशि 29 लाख 35 हजार रुपये और पुतुल पांडेय की 8 लाख 15 हजार लौटाने का आदेश झारखंड हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया. टेंडर के बाद पार्किंग एरिया बदलने, शुल्क वसूली में मदद नहीं करने से नुकसान होने पर सुरक्षित जमा राशि आदेश पारित होने के 60 दिन के अंदर वापस करने का आदेश दिया हाइकोर्ट ने दिया.ऐसा नहीं करने पर आदेश पारित होने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज लगाने का आदेश दिया गया.

कचरा प्लांट के लिए फिर हुआ एग्रीमेंट

गोविंदपुर के खैरबनी गांव स्थित सामूटोला में 16 साल से लटकी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (कचरा प्लांट) योजना के लिए दूसरी बार समझौता हुआ. मई में जमशेदपुर अक्षेस की जगह योजना की नोडल एजेंसी आदित्यपुर नगर निगम को बनाया गया. प्रशासक इसके नोडल ऑफिसर बनाये गये. नये सिरे से तैयार योजना के डीपीआर में लागत बढ़कर 78 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है,लेकिन मई में एग्रीमेंट के बाद प्रस्तावित स्थल का डिमार्केशन व निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ सका. वर्ष 2013 में सरकार ने खैरबनी में कचरा प्लांट की प्रस्तावित योजना को रद्द कर दिया था. नये सिरे से दोबारा डीपीआर डीपीआर तैयार करने का टेंडर आइके वर्ल्ड वाइड को मिला.

नहीं बना मल्टीप्लेक्स मार्केट और क्वार्टर

शहर के सैरात बाजारों में मल्टीप्लेक्स मार्केट बनाने की योजना धरातल पर उतर नहीं सकी. शहर में सैरात बाजा साकची, बिष्टूपुर, कदमा, सोनारी, सिदगोड़ा, बारीडीह, कागलनगर, मनीफीट, बारीडीह व गोलमुरी है, जहां 7500 दुकानदारों को मल्टीप्लेक्स मार्केट में शिफ्ट करने की योजना बनायी गयी लेकिन चार साल बाद भी काम पूरा नहीं हुआ.

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