2017 से न्याय की गुहार लगा रहे रघुवर सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष रहे गुरदेव सिंह राजा, झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष गुरदीप सिंह पप्पू व साकची गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष अजीत सिंह गंभीर समेत दर्जन भर लोगों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान की है. उनके खिलाफ साकची थाना में दर्ज किये गये सड़क जाम के मामले को खारिज कर दिया है. साकची थाना में साल 2017 में जमशेदपुर अक्षेस चौक के पास सड़क जाम करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसे न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने खारिज कर दिया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार साकची थाना क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था. तत्कालीन झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष गुरदेव सिंह राजा के कार्यालय को भी तोड़ दिया गया. इससे उनके समर्थक ने सड़क जाम कर दिया. इस मामले में अक्षेस जमशेदपुर के नगर पदाधिकारी एवं साकची के थाना प्रभारी पुलिस निरीक्षक मदन मोहन शर्मा द्वारा दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. स्थानीय न्यायालय में दोनों मामलों में संज्ञान लिया गया और आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया था.
इसके विरोध में झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष सरदार गुरदीप सिंह पप्पू, गुरदेव सिंह राजा एवं साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कोषाध्यक्ष अजीत सिंह गंभीर ने झारखंड उच्च न्यायालय की शरण ली. क्रिमिनल मिस पिटीशन में याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता सुरभि ने रखा. अधिवक्ता सुरभि ने कृष्ण लाल चावला बनाम उत्तर प्रदेश एवं बाबू भाई बनाम गुजरात का हवाला देते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में बताया कि दोनों प्राथमिकी में घटना, घटनास्थल, आरोपी एवं तथ्य समान है और ऐसे में दूसरी प्राथमिकी को खारिज कर दिया जाना चाहिए. साकची थाना में दर्ज किये गये मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप लगा दिये थे, जो गैर जमानतीय था.
झारखंड उच्च न्यायालय की एकल खंडपीठ याचिकाकर्ताओं के तर्क से सहमत हुई. पुलिस द्वारा दर्ज कांड को खारिज कर दिया गया. अब आरोपियों के खिलाफ जिला व्यवहार न्यायालय में जमशेदपुर अक्षेस द्वारा दायर मामले में सुनवाई जारी रहेगी. इस मामले में भाजपा नेता रिखराज सिंह रिकी, कृतिजीत सिंह रॉकी, प्रिंस सिंह, हरदयाल सिंह, ध्रुव मिश्रा व महेंद्र सिंह भी आरोपी बनाए गये थे.
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