हो, मुंडारी, कुड़ुख, संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा देने की मांग पर उपायुक्त कार्यालय का घेराव

आदिवासी समाज के लोग कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं. यह स्थिति मुंडा-मानकी द्वारा चलाए जाने वाले स्वशासन व्यवस्था पर प्रश्न -चिह्न खड़ा कर रहा है. स्वशासन व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था कहा गया है. लेकिन, यह केवल कहने भर के लिए है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 18, 2023 10:01 PM

पूर्वी सिंहभूम जिला के सुंदरनगर के नांदुप से बुधवार (18 अक्टूबर) को मानकी-मुंडा अधिकार पदयात्रा का शुभारंभ हुआ. उसके बाद यह पदयात्रा करनडीह, टाटानगर स्टेशन, जुगसलाई घोड़ा चौक, जुगसलाई गोल चक्कर, बिष्टुपुर, साकची गोलचक्कर पहुंची. यहां भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया. पदयात्रा यहां से निकालकर साकची उपायुक्त कार्यालय पहुंची. यहां करीब 3 हजार लोगों ने विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन के बाद मानकी मुंडा संघ का एक प्रतितिधिमंडल ने सात सूत्री मांग पत्र मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को सौंपा. सात सूत्री मांगों को लेकर चार दिवसीय मानकी-मुंडा अधिकार पदयात्रा की शुरुआत हुई. इसका नेतृत्व जिलाध्यक्ष सह मानकी रोशन पुरती ने किया. पहली पदयात्रा 15 अक्टूबर को बहरागोड़ा में निकली. मानकी-मुंडा संघ के जिलाध्यक्ष सह मानकी रोशन पुरती ने कहा की रूढ़िवादी स्वशासन व्यवस्था में मुंडा-मानकियों का कार्यक्षेत्र बहुत ही सीमित है. उनका काम गांव और पीड़ में विधि-व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाना है. थाना के स्तर पर पुलिस प्रशासन के साथ सामंजस्य स्थापित करना है, ताकि गांव वालों को बेवजह पुलिस से परेशानी का सामना न करना पड़े. ज्यादातर झगड़े -फसादों को गांव के स्तर पर सुलझा लिया जाए. लेकिन वास्तविकता यह है कि कोल्हान के अधिकतर केस चाईबासा कोर्ट में लंबित हैं और हमलोग वकीलों को मोटी रकम देने को मजबूर हैं.

आदिवासी समाज लगा रहा कोर्ट-कचहरी के चक्कर

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं. यह स्थिति मुंडा-मानकी द्वारा चलाए जाने वाले स्वशासन व्यवस्था पर प्रश्न -चिह्न खड़ा कर रहा है. स्वशासन व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था कहा गया है. लेकिन, यह केवल कहने भर के लिए है. जिला प्रशासन के स्वशासन व्यवस्था को मानने के लिए तैयार नहीं है. वे स्वशासन व्यवस्था को दरकिनार करके रखे हुए है. ग्राम सभा में लिए गए फैसले को वे मानते ही नहीं हैं. ऐसे में स्वशासन व्यवस्था को कैसे मजबूती मिलेगी. राज्य व केंद्र सरकार ग्रामसभा को दिए गए संवैधानिक अधिकार को अक्षरश: लागू करना सुनिश्चित करे.

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मानकी- मुंडा संघ की प्रमुख मांगें

  • पूर्वी सिंहभूम के मानकी-मुंडा, डाकुवा, घटवाल, सरदार, नाईक, दिउरी/पाहन /लाया आदि को सम्मान राशि अविलम्ब दिया जाए.

  • हो, मुंडारी, कुड़ुख, संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए.

  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख भाषा को शामिल किया जाए.

  • कोल्हान विश्विद्यालय व महाविद्यालय में जनजातीय विषयों (हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख, संताली) के शिक्षकों के रिक्त पदों पर अविलंब नियुक्ति की जाए.

  • हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख, संताली भाषा एकेडमी का गठन किया जाए.

  • केंद्र सरकार वन संरक्षण अधिनियम 2023 को रद्द करे.

  • राज्य सरकार पेसा कानून अधिनियम 1996 एवं आदिवासी सलाहकार परिषद् उपविधि अविलंब तैयार किया जाए.

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