Jamshedpur News : एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल : बाहर से चकाचक, अंदर से अधूरा, कैसे शिफ्ट होगा अस्पताल

Jamshedpur News : स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह के द्वारा साकची स्थित एमजीएम अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में बने नये अस्पताल भवन में 15 से 31 जनवरी के बीच शिफ्ट करने को कहा गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 25, 2024 10:23 PM
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वायरिंग का काम भी नहीं हुआ है पूरा

फॉल सीलिंग समेत वार्ड में कई काम बाकी

Jamshedpur News :

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह के द्वारा साकची स्थित एमजीएम अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में बने नये अस्पताल भवन में 15 से 31 जनवरी के बीच शिफ्ट करने को कहा गया है. इसको लेकर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, अस्पताल के अधीक्षक सहित प्रशासनिक पदाधिकारियों के द्वारा लगातार बैठकर कर रणनीति बनायी जा रही है. लेकिन इस अस्पताल को नये अस्पताल भवन में शिफ्ट करना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. बुधवार को प्रभात खबर की टीम नये अस्पताल भवन का निरीक्षण करने पहुंची तो पाया कि दो तल्ले तक काम पूरा हो चुका है, तीसरे तल्ले का काम भी काफी हद तक पूरा हो चुका है, कुछ काम बाकी है, उसे भी जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा. मगर चौथे तल्ले से लेकर सातवें तल्ले तक काफी काम बाकी है. वहां काम कर रहे कर्मचारियों के अनुसार 15 दिनों तक पूरी तरह से काम खत्म नहीं हो सकता है. पांचवें, छठे और सातवें तल्ले में शौचालय का काम भी अधूरा है. वहीं वायरिंग तो कर दी गयी है, मगर उसे अभी तक कवर नहीं किया गया है. वहीं बोर्ड-स्वीच का काम भी बाकी है. इसके साथ ही फॉल सीलिंग का काम भी अधूरा है. अस्पताल के छठे तल्ले पर ऑपरेशन थियेटर, आईसीयू है, वह भी अभी तक अधूरा है. इसके साथ ही अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे मशीन भी लगानी बाकी है. साथ ही अबतक प्रदूषण व फायर विभाग से भी प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है, जो अस्पताल को शुरू करने के लिए सबसे जरूरी है.

चौथे से छठे तल्ले तक बिजली का काम अधूरा

मेडिकल कॉलेज परिसर में नवनिर्मित 750 बेड के नये अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है. इसमें हार्ट, कैंसर व न्यूरो सहित अन्य विभागों का संचालन किया जायेगा. लेकिन अस्पताल भवन में अभी कई काम बाकी है, जिसके कारण इसमें साकची अस्पताल को शिफ्ट करने में काफी परेशानी हो सकती है. अस्पताल के चौथे तल्ले से छठे तल्ले तक वायरिंग तो कर दी गयी है, मगर उसे कवर नहीं किया गया है. साथ ही बोर्ड-स्वीच का काम भी अधूरा है. साथ ही भवन में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. सातवें तल्ले में वायरिंग का काम भी अधूरा है. अस्पताल के रैप सहित कई जगहों पर प्लास्टर तक नहीं हुआ है.

ओटी भी नहीं है तैयार

अस्पताल में बनी कई ओटी अभी तक तैयार नहीं हुई है. उसमें जहां-तहां तार लटक रहा है. कई शौचालय सहित अन्य जगहों पर वेसिन तक नहीं लगा है. इसके साथ ही गंदगी का अंबार लगा है. जगह-जगह बिजली के तार लटक रहे हैं.

सभी लिफ्ट है बंद

अस्पताल में लगी लिफ्ट भी अभी तक चालू नहीं हो सकी है. इसके बंद रहने से गंभीर मरीजों को काफी परेशानी हो सकती है. बिजली कनेक्शन का काम पूरा होने के बाद ही इसको चालू किया जा सकता है.

अस्पताल में ऑक्सीन प्लांट नहीं

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अबतक ऑक्सीजन प्लांट भी नहीं लगाया गया है. हालांकि वार्डों में पाइपलाइन से ऑक्सीजन का कनेक्शन कर दिया गया है. जबतक प्लांट नहीं लगता है, सिलिंडर से मरीजों को ऑक्सीजन देना होगा.

सात मंजिला अस्पताल में क्या मिलेगी सुविधा

बेसमेंट : रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग व कार पार्किंग.

ग्राउंड फ्लोर : इमरजेंसी, ऑपरेशन थियेटर, रेडियोलॉजी विभाग, रजिस्ट्रेशन काउंटर, बर्न यूनिट, किचन व कैफेटेरिया.

पहला तल्ला : महिला एवं प्रसूति रोग, हड्डी रोग, मनोरोग, ऑक्सीजन प्लांट व फार्मेसी.

दूसरा तल्ला : शिशु रोग, मेडिसिन, सर्जरी, डायलिसिस सेंटर.

तीसरा तल्ला: छाती व श्वसन रोग, नेत्र व ईएनटी व सर्जरी आईसीयू, पीआईसीयू, एचडीयू.

चौथा तल्ला: न्यूरो, यूरो, हार्ट, नेफ्रो का ओपीडी, सेमिनार हॉल व प्रशासनिक कार्यालय.

पांचवां तल्ला: पांच अलग-अलग ऑपरेशन थियेटर, नेत्र व ईएनटी विभाग का इनडोर व कैदी वार्ड होगा.

छठा तल्ला: ऑपरेशन थियेटर, आईसीयूसातवां तल्ला: पेईंग वार्ड/ केबिन, गेस्ट रुम, फिजियोथेरेपी सेंटर व जिम.

किस विभाग में कितना बेड

विभाग : बेड

आईसीयू- 123

मेडिसिन – 70शिशु रोग – 40

श्वसन रोग – 20चर्म रोग – 20

मानसिक रोग – 20सर्जरी – 60

अस्थि रोग – 30नेत्र रोग – 20

ईएनटी – 20बर्न – 33

निजी वार्ड – 07महिला रोग – 60

इमरजेंसी – 107

क्या-क्या मिलेगी सुविधा

सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, फ्लोरोस्कोपी, मैमोग्राफी, सेमिनार हॉल, क्लास रूम, प्रशासनिक भवन, लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट, पीएसए प्लांट, जैविक कचरा प्रबंधन, लांड्री सिस्टम, केंद्रीकृत स्ट्रेलाइजेशन यूनिट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, 24 घंटे सात दिन बिजली आपूर्ति के लिए जेवीएनएल के अलावा 7 जेनरेटर.

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