Jamshedpur News : चांडिल में बाघ ने बैल को मार डाला, बछिया को ले गया साथ, शिकार का नजारा देखने वाले किशोर दहशत में, कहा…

Jamshedpur News : सरायकेला-खरसावां जिले के चौका थाना क्षेत्र के तुलग्राम व आसपास के जंगलों में बाघ के आने की आहट से आसपास के ग्रामीण दहशत में हैं. बाघ ने एक बैल को मार डाला, वहीं एक बछिया को दबोचकर अपने साथ घने जंगल में ले गया.

By Prabhat Khabar News Desk | January 2, 2025 10:13 PM

बाघ ने उड़ायी चांडिल-चौका के लोगों की नींद, डब्ल्यूआइआइ व अन्य बाघ एक्सपर्ट तलब

वन विभाग ने ग्रामीणों को किया अलर्ट, जंगल जाने पर लगायी रोक

तुलग्राम से लौटकर ब्रजेश सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट

Jamshedpur News :

सरायकेला-खरसावां जिले के चौका थाना क्षेत्र के तुलग्राम व आसपास के जंगलों में बाघ के आने की आहट से आसपास के ग्रामीण दहशत में हैं. बाघ ने एक बैल को मार डाला, वहीं एक बछिया को दबोचकर अपने साथ घने जंगल में ले गया. घटना के बाद से ग्रामीणों ने मवेशियों को चराना और जंगल में जाना बंद कर दिया है. लोग अपने-अपने घरों में ही समूह में रह रहे हैं, ताकि बाघ का हमला हो तो उससे निबटा जा सके. घटनास्थल के आसपास करीब पांच हजार की आबादी निवास करती है. बाघ की पुष्टि होने के बाद लोग घरों से निकलना बंद कर दिये हैं. वहीं वन विभाग की पूरी टीम लगातार कांबिंग कर रही है और आसपास लगाये गये ट्रैप कैमरे से नजर रख रही है. आम लोगों के जंगल जाने पर रोक लगा दी गयी है. इस बीच डीएफओ दलमा सबा आलम अंसारी के आग्रह पर वाइल्डलाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ), सारंडा समेत आसपास के जंगलों के एक्सपर्ट को भी बुलाया गया है, ताकि उस पर नजर रखी जा सके और उसका लोकेशन पता लगाया जा सके.

बैल को बाघ ने मार डाला, बछिया को ले गया जंगल

शव के आसपास कैमरे से रखी जा रही नजर, शिकार को खाने आ सकता है बाघ

तुलाग्राम और बालीडीह जंगल चांडिल के जोएदा मंदिर के पीछे की पहाड़ियों की तलहटी में है. तुलाग्राम इसका नजदीकी गांव है, जहां करीब एक हजार की आबादी निवास करती है. गांव में करीब 200 घर है. जबकि आसपास के इलाकों में चार से अधिक गांव है. ग्रामीणों ने बताया कि 31 दिसंबर को वे लोग बैल और गायों को चराने जंगल ले गये थे. अचानक से गाय और बैल जंगल से दौड़कर भागने लगे. उनके पीछा कोई जानवर कर रहा था. यह देख चराने गये करीब दस लोग वहां से भाग निकले. मगर चरवाही कराने गया 13 साल का सुमित महतो पेड़ पर चढ़ गया था. उसने अपनी आंख से पूरे घटनाक्रम को देखा. सुमित ने ग्रामीणों को बताया कि एक बछिया को पहले बाघ ने काट लिया और फिर बैल को पहले पैर में काटा और फिर उसके गर्दन पर वार किया, जिससे बैल की मौत हो गयी. इसके बाद बाघ एक बछिया को दबोच लिया और अपने साथ लेकर चला गया. सुमित महतो और ग्रामीणों ने ही वन विभाग को सूचित किया, जिसके बाद वन विभाग की टीम वहां पहुंची और देखा कि शिकार किया गया है. पैरों के निशान, बैल के गर्दन और पैर पर किये गये वार से यह पता चला कि बाघ ने ही हमला किया है. मांसाहारी जानवर के हमले में ही बैल की मौत हुई है, यह तय है. यही कारण है कि अभी वहां ट्रैप कैमरा लगाये गये हैं. वन विभाग का मानना है कि बाघ अभी बछिया को खायी है तो बैल को खाने भी आयेगा, क्योंकि शिकार करने के बाद भी बाघ आता है. इस कारण वहां कैमरा लगाये गये हैं.

घटनास्थल पर काफी दूरी तक घसीटने और जंग जैसा नजारा

घटनास्थल पहाड़ की तलहटी में है. दो पहाड़ों के बीचोबीच यह स्थान है. यहां सूरज की किरण भी नहीं पहुंचती है. घटनास्थल को वन विभाग ने कैमरे से घेर रखा है. घटनास्थल पर काफी लंबे एरिया में घसीटने और आसपास में जंग जैसा दृश्य है. चश्मदीद पहाड़ सिंह महतो ने बताया कि भगदड़ मच गयी थी, जिस कारण वहां ऐसा दाग है. वहां से घसीटकर बछिया को बाघ ले गया, जिस कारण यह निशान हैं.

बाघ को लाइव देखने वाले बच्चे की तबीयत बिगड़ी, दहशत में बोल भी नहीं पा रहा

सुमित पास के ही घाटदुलमी मध्य विद्यालय का छात्र है. सुमित घटना के बाद से इतना दहशत में है कि वह बोल भी नहीं पा रहा है. लड़खड़ायी जुबान से उसने सारी बातें बतायी है और तब से वह लगातार बुखार से तप रहा है. वह पूरी तरह दहशत में है. सुमित महतो ने बताया कि वह चरवाही करने के लिए गया था. सारे लोग बैल और गाय को छोड़कर आपस में बातें कर रहे थे. वह पेड़ पर चढ़ गया था. उसने देखा कि अचानक से भगदड़ मची. वहां बाघ आ गया और बैल पर हमला कर दिया. चूंकि, बैल निशाने पर था, इस कारण सारे ग्रामीण वहां से भागने में कामयाब हो गये और वह पेड़ पर था तो उसी पर दुबक गया. जैसे ही बाघ अपने शिकार को लेकर नीचे गया, वह पेड़ से नीचे उतरकर दौड़ता हुआ घर पहुंचा और सारी बात बतायी. इसके बाद से वह लगातार रोता रहा. घटना के करीब 48 घंटे से भी अधिक वक्त हो चुका है, लेकिन वह दहशत से बाहर नहीं आया है. उसकी मां ने बताया कि बेटे की हालत खराब है. आप ही बताइये अगर बाघ को कोई सामने देख ले यानी मौत का सामना हो जाये तो उसकी हालत क्या होगी, आप खुद समझ सकते हैं. शाम होते ही लोग अपने घरों में छिपने को मजबूर हो गये हैं. बाघ के कारण तुलाग्राम, घाट डुलमी, झुरगु, पलगाम, खूंटी, करली, मूसारी, बेद पाल स्टैंड, केदर्दी पालन, कोक बेड़ा रेडी और आसपास के गांवों के लोग दहशत में हैं.

तीन फारेस्टर जान जोखिम में डालकर कर रहे निगाहबानी

सबको यकीन – बाघ हो या तेंदुआ, है तो मांसाहारी जानवर

इस घटना के बाद से वन विभाग अलर्ट मोड में है. दलमा के डीएफओ सबा आलम अंसारी खुद घटना के बाद दिन में घटनास्थल पर गये थे. घटना की जानकारी ली थी और फारेस्टर को सचेत होकर काम करने को कहा था. इसके बाद से घटनास्थल और आसपास लगातार फॉरेस्टर सनातन रेवानी, सुरेंद्र गोप और कैलाश चंद्र महतो निगाह रख रहे हैं. ग्रामीणों को उस ओर जाने से रोक रहे हैं. चूंकि, मानव को देखकर बाघ नहीं आयेगा, इस कारण किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है. फॉरेस्टर सनातन रेवानी ने बताया कि बाघ हो या तेंदुआ है तो कोई मांसाहारी जानवर ही. कैमरे से नजर रखी जा रही है. सुरेंद्र गोप ने भी बताया कि बाघ का ही हमला हो सकता है, क्योंकि उसके पंजे के निशान भी मिले हैं. यह तेंदुआ है या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता है. कैलाश चंद्र महतो ने बताया कि हमलोग पूरी तरह नजर रखे हुए हैं. गांववालों के सहयोग से बाघ पर नजर रखी जा रही है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण पूरी तरह दहशत में है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी रातों की नींद चली गयी है. वहां के रहने वाली बच्ची डॉली महतो ने बताया कि वे लोग डरे हुए हैं. घर के बाहर निकलने में भी सोच रहे हैं. वहीं जीतमोहन महतो ने बताया कि वे लोग जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं. वन विभाग मदद को तैयार है, लेकिन यह नाकाफी है. हम लोग सचेत हैं और जंगल में भी नहीं जा पा रहे हैं. शौच तक के लिए निकलने में डर लग रहा है.

40 साल पहले भी बाघ का हुआ था हमला, भैंस का उसी गांव में हुआ था शिकार

जिस बैल का शिकार बाघ ने किया है, वह बैल पहाड़ सिंह महतो का है. उसी परिवार के एक भैंस का शिकार 40 साल पहले एक बाघ ने किया था. 40 साल बाद फिर से इतिहास दोहराया है. पहाड़ सिंह महतो ने बताया कि बाघ ने ही उनके बैल को मारा है. उन्होंने बताया कि वे जब बच्चे थे, तब वे सुने थे कि वहां काड़ा (भैंस) को बाघ ने मारा था. उस वक्त जंगल में बाघ भी होते थे.

जमशेदपुर में तेंदुआ का हो चुका है आगमन, कहीं वही तेंदुआ तो नहीं?

जमशेदपुर में तेंदुआ का आगमन करीब छह माह पहले हुआ था. उस वक्त कदमा के सिटी फॉरेस्ट में तेंदुआ देखा गया था. उस वक्त डीएफओ ममता प्रियदर्शी थीं. उन्होंने कहा था कि तेंदुआ नहीं था, बल्कि यह भ्रम था, वह बिल्ली था. लेकिन सुरक्षा गार्ड ने कहा था कि उसने खुद देखा था, वह तेंदुआ ही था. बाद में आदित्यपुर के ही एक कंपनी में भी तेंदुआ देखा गया था. अब तो लोग यह कह रहे हैं कि लोग बाघ का अंदेशा बता रहे हैं, लेकिन हो सकता है कि वही तेंदुआ हो. हालांकि, वन विभाग इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.

पहले तेंदुआ, फिर बाघिन और फिर अब बाघ

दलमा के पास चौका के तुलाग्राम में बाघ पहली बार नहीं आया है. इससे पहले जमशेदपुर शहर में तेंदुआ देखा गया. इसके बाद पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया में बाघिन चर्चा में रही. जिसने कई जानवरों का शिकार किया था. काफी मशक्कत के बाद करीब एक माह के बाद वन विभाग ने बाघिन को पकड़ा था और अब बाघ की आहट से लोग दहशत में हैं. पहले भी रॉयल बंगाल टाइगर दिखा है. दलमा और आसपास के जंगल को बाघों के लिए सुरक्षित स्थान माना जा रहा है. वन विभाग का मानना है कि अब किसी जंगल में बाघ आने लगे तो इसका मतलब है कि जंगल का घनत्व बढ़ रहा है और घने जंगल में बाघ खुद को ज्यादा सुरक्षित समझता है. यही कारण है कि प्रजनन के लिए बाघ दलमा के आसपास के हिस्से में पहुंच जाते हैं.

दलमा में पहले पाये जाते थे बाघ, शेर और तेंदुआ, 2015 के बाद अब देखी गयी बाघिन

दलमा जंगल में पहले बाघ, शेर और तेंदुआ पाये जाते थे. जंगल कटता गया. जंगल का एरिया सिमटता गया. इसके बाद जंगल से ये जानवर गायब होते चले गये. ये लोग बंगाल और ओडिशा की ओर चले गये. यही वजह है कि जब दलमा में जानवरों की गणना होती है तो बाघ और शेर का भी कॉलम होता है. दलमा के रेंजर दिनेश चंद्रा के अनुसार, ऑल इंडिया टाइगर गणना के दौरान दलमा में अब तक बाघ के निशान नहीं मिले हैं. दलमा में हाथी, साहिल और भालू के निशान मिले हैं. हाथियों के लिए प्रसिद्ध दलमा में सबसे अधिक हिरण और सूअर है. हालांकि 2015-16 में दलमा में बाघ देखा गया था. इसकी तस्वीर भी ली गयी थी. वह बाघिन गर्भवती थी. यह अनुमान लगाया गया कि बंगाल के रास्ते दलमा आकर बच्चों को सुरक्षित जन्म देने के बाद वह वापस लौट गयी.

बाघों की संख्या बढ़ना भी झारखंड में बाघ आने का कारण

बताया जाता है कि देश के टाइगर रिजर्व एरिया में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. इस कारण झारखंड की ओर इसका मूवमेंट बढ़ा है. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और दलमा के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि आबादी बढ़ने के कारण अपनी टेरिटोरी (अपना नया एरिया) की तलाश में बाघ मूवमेंट कर रहे हैं, ताकि अपना एरिया विकसित कर सकें, क्योंकि बाघ अपने साम्राज्य वाला एरिया तय करता है. इस कारण भी उसका मूवमेंट यहां हो सकता है.

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