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Jamshedpur News :खरकई व स्वर्णरेखा नदी में नहीं बहेगा नाले का गंदा पानी, तीन स्थानों पर बन रहा ट्रीटमेंट प्लांट

Jamshedpur News : खरकई और स्वर्णरेखा नदी में अब नाले का गंदा पानी नहीं बहेगा. इस नाले को नियंत्रित करने के लिए टाटा स्टील यूआइएसएल (पहले जुस्को) की ओर से शहर में तीन अलग-अलग स्थानों पर पोर्टेबल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (पीएसटीपी) की स्थापना की जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 22, 2024 10:10 PM
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Jamshedpur News :

खरकई और स्वर्णरेखा नदी में अब नाले का गंदा पानी नहीं बहेगा. इस नाले को नियंत्रित करने के लिए टाटा स्टील यूआइएसएल (पहले जुस्को) की ओर से शहर में तीन अलग-अलग स्थानों पर पोर्टेबल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (पीएसटीपी) की स्थापना की जा रही है. इसके तहत सोनारी स्वर्ण विहार के पास 2000 किलो लीटर प्रतिदिन (केएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट किया जायेगा, जिसका काम चल रहा है. यह सबसे बड़ा नाला है, जहां से गंदा पानी निकलता है और सीधे नदी में जाकर मिलता है. इसका ट्रीटमेंट कर पानी नदी में छोड़ा जायेगा. इसी तरह सोनारी के खरकई इंक्लेव के पास 500 किलो लीटर प्रतिदिन सीवेज ट्रीटमेंट का प्लांट लगाया जा रहा है. यहां से सोनारी इलाके के निचले इलाके का नाला सीधे नदी में जाता है, जिसको रोकने के लिए ट्रीटमेंट किया जायेगा. इसी तरह कदमा उलियान स्थित हेमछाया कॉम्प्लेक्स के पास 2000 किलो लीटर प्रतिदिन ट्रीटमेंट का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है. यहां पूरे कदमा एरिया का नाला आता है और यहां से सीधे नदी में चला जाता है. इसके ट्रीटमेंट का उपाय किया जा रहा है. अभी तीन ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है. योजना है कि आगे भी सारे नालों पर इस तरह का ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाये, ताकि नाले का गंदा पानी सीधे नदी में नहीं जा सके. इसके जरिये पानी का रियूज और कचरा का रिसाइकिल भी किया जायेगा. साल 2025 में इन तीनों परियोजना को पूर्ण करने का लक्ष्य है.

एनजीटी ने दिया है आदेश, टाटा स्टील गंभीर, सरकार-प्रशासन चुप

आपको बता दें कि करीब 32 नाला सीधे खरकई और स्वर्णरेखा नदी में बह रहे हैं. इसमें से टाटा स्टील कमांड एरिया के नाले पर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम टाटा स्टील यूआइएसएल की ओर से शुरू किया गया है. लेकिन अब प्रशासन और सरकारी मशीनरियों को भी पहल करने की जरूरत है, क्योंकि मानगो से लेकर भुइयांडीह, बिरसानगर, जुगसलाई, बागबेड़ा समेत अन्य स्थानों से भी नाले सीधे बिना ट्रीटमेंट के नदी में जा रहे हैं. इसको लेकर एनजीटी में एक केस दायर किया गया था. इसके आलोक में ट्रीटमेंट प्लांट बनाने को कहा गया है. टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआइएसएल ने गंभीरता से इसपर काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक सरकारी मशीनरी और प्रशासन चुप्पी साधे है.

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