Jamshedpur News:जमशेदपुर-नयी दिल्ली के एनसीएलएटी (अपीलेट अथॉरिटी) में बुधवार को कर्मचारियों की ओर से भगवती सिंह ने एनसीएलटी द्वारा आठ जनवरी 2025 को इंकैब कंपनी को लेकर पारित आदेशों के खिलाफ अपील दायर की है. अपील में भगवती सिंह ने कहा है कि एनसीएलटी ने बिना कोई वैध कारण बताए इंकैब के जमशेदपुर प्लांट के लगभग 2000 श्रमिकों के वैध दावे को खारिज कर दिया. एनसीएलटी ने एक आदेश पारित करते हुए कहा कि पूर्व रिजोल्यूशन प्रोफेशनल शशि अग्रवाल के खिलाफ आरोप शशि अग्रवाल को हटाने के साथ ही निरर्थक हो गया. इस कारण एनसीएलटी इस आवेदन को खारिज करता है. हालांकि, पीएफ विभाग के आवेदन पर आदेश पारित करते हुए नये रिजोल्यूशन प्रोफेशनल पंकज टिबरेवाल को आदेश दिया कि मजदूरों के पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए रिजोल्यूशन प्लान में पूरी व्यवस्था करें, जो तभी संभव है, जब मजदूरों के सही और वैधानिक दावे को स्वीकार किया जाये.
अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव से किया आग्रह
भगवती सिंह ने बताया कि उन्होंने अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव से आग्रह किया है कि वे इंकैब कंपनी के अच्छे मजदूरों के लिए एनसीएलएटी में इस लड़ाई को लड़ें, क्योंकि यह 2000 परिवारों के जीवन मरण का प्रश्न है और टाटा कंपनी इंकैब की जमीन को हथियाने के लिए तैयार बैठी है. उन्होंने यह भी बताया कि इंकैब के बहुत से घरों में बाहरी लोगों का अवैध कब्जा है और कुछ लोगों ने उसे किराये पर लगा रखा है. इन घरों में टायो कॉलोनी जैसा हादसा और इन पुराने घरों के गिरने से जान माल की हानि हो सकती है. इसलिए वे इस बात को एनसीएलएटी में भी उठायेंगे. मजदूरों ने अपने अपील में एनसीएलएटी में गुहार लगाई है कि 1998 में इंकैब को दिये गये किसी कर्ज का कोई दस्तावेज एनसीएलटी के पास नहीं है और अगर थोड़ी देर के लिए मान भी लें कि 1998 में आइसीआइसीआइ, एक्सिस, एचएसबीसी और सिटी बैंकों ने इंकैब को कोई कर्ज दिया था, तब भी ये सारे कर्ज 30 सितंबर 2017 तक पूरी तरह से कालातीत हो गये और इंकैब की 30 सितंबर 2017 के बाद कोई देनदारी इन बैंकों को नहीं है. भगवती सिंह के अनुसार याचिका में मजदूरों ने एनसीएलएटी को यह भी बताया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने 06 जनवरी 2016 के आदेश में बिल्कुल साफ-साफ लिखा है कि इंकैब कि सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों केवल 21 करोड़ 63 लाख रुपये देने हैं पर एनसीएलटी ने कमला मिल्स, पेगासस, ट्रॉपिकल वेंचर्रस आदि फर्जी कंपनियों के 4000 करोड़ के फर्जी दावे को मंजूर कर लिया और दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को दरकिनार कर दिया.
स्थापित कानून को एनसीएलटी ने पूरी तरह अनदेखा किया
भगवती सिंह के अनुसार याचिका में बताया गया है कि एनसीएलटी को केवल यह तय करना था कि 21 करोड़ 63 लाख का कर्ज जो दिल्ली उच्च न्यायालय ने तय कर दिया था, वह कालातीत हुआ है कि नहीं और इंकैब की कोई देनदारी 07 अगस्त 2019 को बची है या नहीं, जिसे एनसीएलटी ने पूरी तरह से दरकिनार कर दिया और एक आदेश पारित कर दिया. मजदूरों ने अपने अपील में एनसीएलएटी को यह भी बताया है कि सर्फेसी अधिनियम और रिजर्व बैंक की गाइडलाइन्स के अनुसार बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को केवल बैंकों और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनीज, जो रिजर्व बैंक में रजिस्टर्ड होते हैं, उन्हें ही बेचा जा सकता है, किसी प्राइवेट पार्टी को नहीं. इस स्थापित कानून को एनसीएलटी ने पूरी तरह अनदेखा किया और एक आदेश पारित किया है.
एनसीएलटी ने आदेश की भी की अनदेखी
मजदूरों ने अपने अपील में यह भी कहा है कि एनसीएलटी ने एनसीएलएटी के 04 जून 2021 के आदेश को भी अनदेखी कर शशि अग्रवाल के बनाये अवैध लेनदारों की कमेटी को ही काम करने दिया, जिसने वेदांता का अवैध रिजोल्यूशन प्लान स्वीकृत किया और जो सही में इंकैब कंपनी का पुनुरुद्धार करना चाहते थे, उनके आवेदनों को खारिज कर दिया है. अपील में आगे कहा गया है कि रमेश घमंडीराम गोवानी द्वारा इंकैब के लूटे गये 500 करोड़ रुपये को वसूलने का कोई भी निर्देश रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को नहीं दिया है. पंकज टिबरेवाल द्वारा फर्जीवाड़ा कर चार नये रिजोल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति कर इंकैब के पांच करोड़ रुपये का अमानत में ख्यानत करने के खिलाफ भी कोई आदेश पारित नहीं किया है.
ये भी पढ़ें: Road Accident In UP: महाकुंभ में स्नान करने जा रहीं झारखंड-बिहार की दो महिला श्रद्धालुओं की मौत, एक घायल