खुद को परेशानी में बता कर मांग रहे हैं मदद के तौर पर रुपये
एआई और कई अन्य सॉफ्टवेयर से वॉयस का कर रहे क्लोन
Jamshedpur News :
अगर आपके पास अनजान फोन नंबर से कोई सगा-संबंधी बन कर फोन करे और मदद के नाम पर रुपये मांगे तो सावधान हो जायें. क्यों कि साइबर ठग ने अब ठगी का नया तरीका अपनाया है. इसे वॉइस क्लोनिंग ठगी कहा जाता है. इसमें साइबर अपराधी आवाज को क्लोन करने के लिए एडवांस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. साइबर अपराधी साॅफ्टवेयर की मदद से दोस्त, रिश्तेदार या करीबियों की आवाज बदलकर फोन कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. पीड़ितों को ये भरोसा दिलाया जाता है, कि वे मुश्किल में फंसे अपने परिजनों या बच्चों से बात कर रहे हैं. आवाज बदल कर खुद को परेशानी में बता कर रुपये मंगवाते हैं और फिर उस नंबर के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ठगी करने के बाद पीड़ित से संपर्क समाप्त कर देते हैं. साइबर अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं.केस – 1
परसुडीह के रहने वाले रतन शर्मा को उनके फोन पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को उनका दोस्त बताया. उसके बाद दोस्त ने कहा कि वह परेशानी में है. उसे पांच हजार रुपये की जरूरत है. उसने लिंक भेजा और रुपये भेजने की बात की. लेकिन रतन ने पहले अपने दोस्त को कॉल किया, तो पता चला कि वह अपने कंपनी में सुरक्षित काम कर रहा है. ऐसे में उन्होंने उस फोन नंबर को ब्लॉक कर दिया.केस -2
सोनारी के रहने वाले आनंद कुमार को साइबर ठग ने कॉल किया. कॉल करने वाले ने खुद का उसका रिश्तेदार बताया. उसके बाद ठग ने कहा कि उसे उसके गुगल पे पर रुपये मंगवाना है. पहले तो आनंद कुमार ने उसे मना कर दिया. लेकिन दो- तीन बाद जिद करने पर वह राजी हो गया. उसके बाद उसने फोन कट कर दिया. ठग ने दोबारा फोन किया तो आनंद ने रुपये देने से मना कर दिया. लेकिन उसके बाद भी उसके मोबाइल पर रुपये क्रेडिट का मैसेज आया. लेकिन खाता में रुपये शो नहीं किया. बाद में हरियाणा का कॉल डिटेल आने के कारण उस नंबर को उसने ब्लॉक कर दिया.आवाज को हूबहू करते हैं कॉपी
हाल में वॉयस क्लोन के माध्यम से ठगी करने का मामला प्रकाश में आ रहा है. साइबर अपराधी एआई और अन्य टूल्स की मदद से लोगों के वायॅस का क्लोन कर ले रहे हैं. उसके बाद उसी आवाज से लोगों को फोन कर रहे हैं. पहली बार में कई लोग आवाज सुनकर फर्जी कॉल को अपने दोस्त और रिश्तेदार समझ ले रहे हैं. पहले सामान्य बात कर विश्वास में लेते हैं, फिर खुद को परेशानी में बता रुपये की मांग करते हैं. कई लोग साइबर अपराधियों के झांसे में आकर रुपये दे देते हैं. इस दौरान अगर वे कोई लिंक शेयर करते हैं या ओटीपी शेयर करते हैं तो यह भी संभव है कि उनका बैंक खाता खाली हो जाये.ऐसे करते है वॉयस क्लोनिंग
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार साइबर अपराधी पहले लोगों की प्रोफाइल को सोशल मीडिया पर चेक करते हैं. उसके बाद वे लोग सोशल मीडिया के माध्यम से कई ऑडियो क्लीप डाउनलोड करते है या फिर सोशल मीडिया पर बात करते हैं. बातचीत के दौरान साइबर अपराधी आपके वाॅयस का सैंपल सेव करता है. उसके बाद साइबर अपराधियों की टीम एआई और अन्य सॉफ्टवेयर की मदद से आपकी आवाज का क्लोन कर लेता है. उसके बाद रिश्तेदारों और दोस्तों को कॉल कर उसी आवाज में बात कर ठगी का शिकार बनाते हैं.कैसे खुद को रखें सेफ
– कोई भी कॉल आने पर भूलकर भी अपना आधार कार्ड, बैंक डिटेल, पासवर्ड, बैंक अकाउंट नंबर शेयर न करें.
– फोन करने वाले ठग की आवाज को ध्यान से सुनकर कोई भी कदम उठाएं.– फोन करने वाले ठग की परेशानी को सुनकर कोई भी कदम जल्दबाजी में न उठाएं.
– ठग गिरोह कार्ड लाना भूल गये, बाद में रुपये लौटा देंगे,उधार दे इस प्रकार की बात कहते हैं.– फोन पर कोई भी एप इंस्टॉल न करें. लिंक को ओपन न करें.
– बातचीत के दौरान अगर बीप या अन्य आवाज आ रही है तो समझ लें कि आपका कॉल रिकॉर्ड हो रहा है. ऐसे में फोन तुरंत कट करें.– अनजान नंबर उठाने से बचें.
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