Jamshedpur News : सरयू ने उठाया सवाल- क्या स्वास्थ्य मंत्री के यहां निविदा दर पर मोल भाव हो रहा है

Jamshedpur News : विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मांग की है कि वे सरकारी कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा से चयनित बीमा कंपनी को शीघ्र कार्यादेश देना सुनिश्चित करायें. इससे संबंधित संचिका मंत्री के यहां दो महीने से लंबित है,

By Prabhat Khabar News Desk | September 27, 2024 5:47 PM

विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा

निविदा से चयनित बीमा कंपनी को कार्यादेश देना सुनिश्चित करायें

राज्य कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने का मामला

दो माह से स्वास्थ्य मंत्री के पास पड़ी हुई है संचिका

Jamshedpur News :

विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मांग की है कि वे सरकारी कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा से चयनित बीमा कंपनी को शीघ्र कार्यादेश देना सुनिश्चित करायें. इससे संबंधित संचिका मंत्री के यहां दो महीने से लंबित है, जबकि निविदा में प्रीमियम की न्यूनतम दर वाली बीमा कंपनी को उसके चयन का पत्र दे दिया गया है, निविदा समिति ने उसके चयन की मंजूरी दे दी है, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति भी मिल गयी है. लेकिन बीमा कंपनी को कार्यादेश जारी करने के बदले संचिका स्वास्थ्य मंत्री के पास चली गयी है. श्री राय ने कहा कि इसके पहले भी 2023 में निविदा निकली थी. तीन सरकारी बीमा कंपनियों ने निविदा में भाग लिया था. एक तकनीकी दृष्टि से अयोग्य हो गया तो बाकी दो में जिसकी दर न्यूनतम थी, उसे कार्यादेश देने के बदले निविदा ही रद्द कर दी गयी. इस बार निविदा समिति, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति के बावजूद बीमा कंपनी के चयन की संचिका स्वास्थ्य मंत्री के यहां लटकी हुई है. क्या स्वास्थ्य मंत्री के यहां निविदा दर पर मोल भाव हो रहा है. रेट का निगोसिएशन हो रहा है.

विधायक सरयू राय ने कहा कि अखबार में स्वास्थ्य मंत्री का बयान है कि तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा रहा है. निविदा समिति, विधि विभाग की स्वीकृति के बाद कौन सी ऐसी तकनीकी अड़चन है, जिसे मंत्री दो महीना से दूर कर रहे हैं. यह अड़चन तकनीकी है या वित्तीय है, इसका खुलासा होना चाहिए. मंत्री के स्तर पर न्यूनतम दर वाली कंपनी से निगोसिएशन होता है तो इसकी जिम्मेदारी से सचिव समेत अन्य अधिकारी नहीं बच सकते हैं. बीमा कंपनी यदि कोई अवैधानिक तरीके से वार्ता में लगी है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल कंपनी की साख पर पड़ेगा, बल्कि इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी. राज्य सरकार को करोड़ों का हो रहा नुकसान अलग है. स्वास्थ्य सचिव से आग्रह है कि वे मंत्री के यहां से शीघ्र संचिका मंगाए और निविदा समिति का निर्णय लागू करायें.

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