‘अग्नि परीक्षा’ से गुजर रहा जमशेदपुर अग्निशमन विभाग, जर्जर दमकल-कर्मचारियों की भारी कमी, आग लगी तो भगवान भरोसे

राज्य में अग्निशमन के कुल 40 फायर स्टेशन हैं. इन स्टेशनों पर वर्तमान में 430 अग्निशमन कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 450 पद खाली है. वहीं राज्य में वाहनों की संख्या 130 है. अग्नीशमन केंद्र में मौजूद सभी गाड़ियां पुरानी हैं. गाड़ियां व मशीन पुराने होने के कारण 10 मिनट का काम एक घंटे में पूरा होता है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2023 2:08 PM

जमशेदपुर : झारखंड अग्निशमन विभाग का गोलमुरी केंद्र कर्मचारियों और संसाधनों की भारी कमी का सामना कर रहा है. आग लगने की बड़ी घटना होने पर जमशेदपुर का अग्नीशमन विभाग ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह तुरंत आग पर काबू पाकर होनी को टाल सके. मौजूदा व्यवस्था में अग्निशमन विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आगजनी की घटनाओं पर नियंत्रित करना अग्नि परीक्षा देने जैसा ही है. गोलमुरी अग्निशमन विभाग में कुल सात दमकल की गाड़ियां हैं. इसमें छह बड़े वाहन और एक छोटी जीप है. इसमें से एक गाड़ी घाटशिला में रहती है. दमकल गाड़ियों को संचालित करने के लिए केंद्र में सिर्फ 10 कर्मचारी हैं. एक दमकल की गाड़ी को ऑपरेशन पर भेजे जाने के दौरान छह कर्मचारी जरूरी हैं. इसमें एक चालक सह हेड लीडिंग फायरमैन, एक हवलदार (हेड लीडिंग फायरमैन) और चार फायरमैन (सिपाही) की मौजूदगी अनिवार्य है. केंद्र प्रभारी मंगल उरांव बताते हैं, गोलमुरी उपलब्ध संसाधन के अनुसार काम किया जाता है. आगजनी की सूचना पर बिना विलंब दमकलकर्मियों को गाड़ी के साथ भेजा जाता है.


बेहतर की उम्मीद…148 करोड़ से होगा अपग्रेड

राज्य में अग्निशमन के कुल 40 फायर स्टेशन हैं. इन स्टेशनों पर वर्तमान में 430 अग्निशमन कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 450 पद खाली है. वहीं राज्य में वाहनों की संख्या 130 है. विभाग ने एक्ट बनाकर राज्य सरकार को दिया है. इसकी मंजूरी मिलने के बाद रिक्त पदों पर भर्ती और जरूरी संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे. झारखंड में अग्निशमन विभाग को अपग्रेड करने के लिए केंद्र ने 148 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इसमें 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी. इससे संबंधित प्रस्ताव बनाकर अग्निशमन मुख्यालय ने गृह विभाग के माध्यम से केंद्र के लिए प्रस्ताव भेजा है. 148 करोड़ रुपये में से 50 प्रतिशत राशि से अग्निशमन से जुड़े उपकरण व वाहन आदि की खरीद होगी. वहीं 30 प्रतिशत राशि से अग्निशमन के कार्यालयों का निर्माण व मरम्मत पर खर्च होगा. शेष 20% राशि ट्रेनिंग व अन्य मदों में खर्च किया जायेगा.

गाड़ियां हो चुकी हैं खटारा

गोलमुरी अग्नीशमन केंद्र में मौजूद सभी गाड़ियां पुरानी हैं. इस कारण आग पर काबू पाने के काम में अधिक समय लगता है. गाड़ी की स्पीड और पानी फेंकने वाली मशीन का प्रेशर काफी महत्वपूर्ण होता है. गाड़ियां व मशीन पुराने होने के कारण 10 मिनट का काम एक घंटे में पूरा होता है. आग को नियंत्रित करने में अधिक समय लगने के कारण आगजनी की घटनाओं में अधिक नुकसान होता है. घाटशिला में तैनात दमकल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर बिहार का है.

दमकल के साथ छह कर्मी जरूरी, पर भेजे जाते हैं सिर्फ दो

गोलमुरी केंद्र में कर्मचारियों की कमी होने के कारण एक दमकल में मात्र दो लोगों को ऑपरेशन में भेजा जाता है, जबकि छह कर्मचारियों की मौजूदगी अनिवार्य है. इन कर्मचारियों को आग पर काबू पाने में बेहद कठिनाई होती है. यह कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी बेहद जोखिम भरा होता है. कर्मचारियों की कमी होने के कारण सभी लोगों को 24 घंटे ड्यूटी में तैनात रहना पड़ता है. हालात इतने खराब हैं कि अगर कहीं कोई भीषण हादसा हो जाये तो स्थिति संभालना मुश्किल हो सकता है.

इधर, सुरक्षा की अनदेखी: दमकल की राह में अतिक्रमण, वाटर हाइड्रेंट खराब

शहर के बाजारों की तंग गलियों में यदि आग लगती है तो वहां भारी जान व माल का नुकसान हो सकता है. शहर की प्रमुख बाजारों की सड़कों व गलियों को देख यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग लगी तो दमकल की गाड़ियां पहुंच ही नहीं पायेंगी.

आपात स्थिति से निपटने के लिए शहर के बाजारों में रख-रखाव सही नहीं होने से वाटर हाइड्रेंट (पानी भरने का प्वाइंट) खराब पड़े हैं. ऐसे में दीपावली के दौरान और आम तौर पर कोई हादसा होता है तो अग्निशमन वाहन न पहुंच पाने और वाटर हाइड्रेंट के खराब होने से आग पर काबू पाना काफी मुश्किल होगा. लंबे अरसे पूर्व जमशेदपुर के बाजारों में लगाये गये वाटर हाइड्रेंट में चौबीस घंटे पानी की आपूर्ति होती थी, लेकिन वाटर हाइड्रेंट में पानी आना अब बंद हो गया है. शहर में जिस तरह वाटर हाइड्रेंट्स को ठीक करवाने को लेकर उदासीनता बरती जा रही है, वो कभी भारी पड़ सकती है. बाजारों की संकरी व तंग गलियों में आग से सुरक्षा के लिए वाटर हाइड्रेंट ही कारगर होते हैं. मगर हैरानी की बात है कि सब बेकार हैं.

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