Jamshedpur News :
ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है, जो आंखों को प्रभावित करती है, अगर इसका इलाज न किया जाये तो मरीज अपनी दृष्टि खो सकता है. उक्त बातें शनिवार को गोलमुरी स्थित एक होटल में जमशेदपुर ऑप्थोमोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित सेमिनार में उपस्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार गुप्ता ने कही. उन्होंने कहा कि ग्लूकोमा के मरीज को प्रिजर्वेटिव आई ड्रॉप डालना चाहिए. बहुत से ग्लूकोमा के मरीज बीच में ही आंखों में दवा डालना छोड़ देते हैं, जिससे उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है. आंखों में ड्रॉप डालते रहने से मरीज अपनी आंखों की रोशनी बचा सकता है. डॉ अजय कुमार गुप्ता ने इंजेक्टेबल टाइटेनियम ग्लूकोमा इंप्लांट के बारे में बताते हुए कहा कि इसको आंखों के अंदर के एक हिस्से में लगा देने से एक साल तक ग्लूकोमा की दवा डालने की जरूरत नहीं पड़ती. आंखों की बीमारी में लंबे समय तक दवा डालनी पड़ती है, इससे मरीजों को काफी परेशानी होती है, इसको लेकर इंजेक्टेबल इंप्लांट पर रिसर्च चल रहा है. उन्होंने कहा कि दवा को टाइटेनियम इंप्लांट में इंटीग्रेटेड किया जाता है, जिससे वह एक निश्चित मात्रा में दवा आंखों के अंदर रिलीज करता रहे. वहीं टेल्को हॉस्पिटल की सीनियर आई सर्जन डॉक्टर पूजा कुमारी ने कहा कि चश्मा हटाने के लिए लेसिक ऑपरेशन के पहले आंखों की जांच पेंटाकेम मशीन द्वारा करानी चाहिए. डॉ पूजा ने लेसिक ऑपरेशन के कीबारीकियों के बारे में जानकारी दी. इस दौरान डॉ विभूति भूषण, डॉ राजन वर्मा, डॉ पूनम रावत, डॉ अंजली सिंह सहित शहर के अन्य नेत्र रोग विशेषज्ञ मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है