Jamshedpur News : एमजीएम कॉलेज छात्रावास का हाल बेहाल, ””आकस्मिकता निधि”” से मरम्मत कराये सरकार : सरयू राय

Jamshedpur News : विधायक सरयू राय ने वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को पत्र लिखकर जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज छात्रावास की अमानवीय दुर्दशा दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को वांछित निधि उपलब्ध कराने की मांग की है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 18, 2024 6:20 PM

विधायक ने वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को पत्र लिखकर मांगी मदद, बताया हाल

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विधायक सरयू राय ने वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को पत्र लिखकर जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज छात्रावास की अमानवीय दुर्दशा दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को वांछित निधि उपलब्ध कराने की मांग की है. श्री राय ने छात्रावास की तस्वीर और वीडियो भी वित्त मंत्री को भेजी है. श्री राय ने कहा कि मेधावी छात्र किस अमानवीय स्थित में छात्रावास में रहते हैं और तमाम कठिनाइयों के बीच अध्ययन करते हैं, इसका सहज अनुमान लगा सकते हैं. श्री राय ने कहा कि ऐसा नहीं कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने अपने छात्रावास की दुर्दशा की आवाज नहीं उठायी है. इन्होंने हर संभव सक्षम एवं उपयुक्त का दरवाजा खटखटाया. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक से गुजारिश की है. साल भर पहले स्वास्थ्य मंत्री ने छात्रों के अनुरोध पर इनके छात्रावास का निरीक्षण किया और स्थिति में सुधार का आश्वासन दिया, परंतु अबतक हुआ कुछ नहीं. श्री राय ने वित्तमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि वित्त विभाग एमजीएम मेडिकल कॉलेज छात्रावास की मरम्मत कराने और इसे मेधावी छात्रों के रहने एवं अध्ययन लायक बनाने के लिए विशेष निधि का उपबंध करे. महीना भर के भीतर विधानसभा चुनाव घोषित होने की संभावना है और इस बीच विधानसभा का सत्र भी अब संभव नहीं है. साथ ही राज्य का वार्षिक बजट के बाद प्रथम अनुपूरक बजट भी पारित हो चुका है, इसलिए सरकारी खजाना से निधि उपलब्ध कराने के विकल्प सीमित है. या तो एमजीएम मेडिकल कॉलेज छात्रावास की मरम्मत के कार्य को अतिआवश्यक मानकर इस मद में “आकस्मिकता निधि” से व्यय का उपबंध किया जा सकता है या स्वास्थ्य सचिव को निर्देशित किया जा सकता है कि विभाग में विभिन्न मदों की अप्रयुक्त राशियों को छात्रावास मरम्मत मद में स्थानांतरित कर आवश्यक राशि का उपबंध करने का प्रस्ताव वे वित्त विभाग को भेजें. ये दोनों ही विकल्प वित्त विभाग की सहमति से ही कार्यरूप में लाये जा सकते हैं.

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