नक्शा विचलन की जद में जमशेदपुर, रांची, धनबाद, फिर हो सकती है कार्रवाई

झारखंड के जमशेदपुर, रांची, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग में शहरों में बीते दो दशक में तेजी से नक्शा विचलन कर इमारतें बनने पर साल 2011 में झारखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान (डब्ल्यूपी पीआइएल 1076/ 2011) लेते हुए आदेश पारित कर नक्शा विचलन करने वाले पर कार्रवाई करने को कहा था.

By Prabhat Khabar News Desk | May 26, 2024 11:53 PM

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर

झारखंड के जमशेदपुर, रांची, धनबाद, बोकारो और हजारीबाग शहर में बीते दो दशक में तेजी से नक्शा विचलन कर इमारतें बनने पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. साल 2011 में झारखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान (डब्ल्यूपी पीआइएल 1076/ 2011) लेते हुए आदेश पारित कर नक्शा विचलन करने वालों पर कार्रवाई करने को कहा था. इसके बाद जमशेदपुर, रांची, धनबाद सहित अन्य शहरों में कार्रवाई भी हुई. बाद में मामला ठंडे बसते में चला गया और पूरे राज्य में अवैध निर्माण जारी रहा. नक्शा विचलन कर भवन बनाने वालों और पार्किंग की जगह को व्यावसायिक दुकानों में तब्दील करने वालों पर हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करने पर पुन: साकची निवासी ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका (2078 /2018) दाखिल की है. झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश आर मुखोपाध्याय और न्यायाधीश दीपक रौशन की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अक्षेस द्वारा नक्शा विचलन कर भवन बनाने वालों और पार्किंग की जगह को व्यवसायिक दुकानों में तब्दील करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की व फटकार लगायी. हाइकोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर से जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में नक्शा विचलन करने वाले भवनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई, लेकिन लोकसभा चुनाव की वजह से अभियान रुक गया. अब पुन: जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है. फिलहाल जमशेदपुर को छोड़ मानगो, जुगसलाई, रांची, धनबाद सहित राज्य के अन्य शहरों में नक्शा विचलन करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. इसके खिलाफ अब झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी चल रही है. ऐसे में इन शहरों में भी अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है.

फर्जी कागजातों पर खुल गयी सील भवनें

हाइकोर्ट के आदेश पर जमशेदपुर, मानगो, जुगसलाई सहित पूरे राज्य में नक्शा विचलन करने वाले भवनों पर कार्रवाई की गयी. बाद में सील किये भवनों को राहत देने के लिए झारखंड अपार्टमेंट एक्ट -2011 में बदलाव कर और जुर्माना की वसूली के आधार पर भवनों का नियमित करने का प्रावधान लागू किया गया था. जुर्माना की राशि ज्यादा होने से नक्शा का विचलन करने वालों ने फर्जी कागजातों का सहारा लेकर सील भवनों को खुलवाने में सफल रहे. नक्शा विचलन के खेल से मानगो नगर निगम, जुगसलाई नगर परिषद सहित राज्य के अन्य नगर निकाय क्षेत्र अछूते नहीं हैं. मानगो और जुगसलाई इलाके में भी लगभग दो सौ से अधिक इमारतों में नक्शा विचलन किया गया है.

ग्राउंड फ्लोर, सेमी बेसमेंट व बेसमेंट में पार्किंग की सुविधा अनिवार्य

किसी भी भवन में ग्राउंड फ्लोर, सेमी बेसमेंट व बेसमेंट में पार्किंग की सुविधा अनिवार्य है, लेकिन बिल्डर नगर निकाय से पारित नक्शा का विचलन कर निर्माण करते हैं. कम पार्किंग दिखाने के लिए एक बेडरूम वाले अपार्टमेंट का नक्शा पारित कराते हैं और निर्माण दो या तीन बेडरूम और अपार्टमेंट जी प्लस टू की जगह 5 से 6 तल्ला तक बना देते हैं.

ज्यादातर भवनों में फायर एनओसी तक नहीं

भवन के आस-पास खाली जमीन छोड़ना और अग्निशामक यंत्र अनिवार्य है. लेकिन शहर के ज्यादातर भवनों में फायर एनओसी तक नहीं है. किसी भी भवन की ऊंचाई वहां के पहुंच पथ पर निर्भर करती है. सड़क की चौड़ाई 4.50 मीटर से कम है, तो वहां 9 मीटर यानी, जी प्लस-2 से ज्यादा ऊंचे भवन का निर्माण नहीं हो सकता है. 4.80 से 6 मीटर चौड़ी सड़क पर जी प्लस-3 भवन का निर्माण हो सकता है. 6 से 9 मीटर चौड़ी सड़क हो, तो जी प्लस-4 भवन बनाया जा सकता है. 9 मीटर से ज्यादा चौड़ी सड़क पर बहुमंजिली इमारत का निर्माण हो सकता है. जी प्लस-3 या 18 फ्लैट से ज्यादा संख्या वाले अपार्टमेंट में लिफ्ट होना आवश्यक है.

जमशेदपुर भूकंप जोन में है, इसलिए भवन निर्माण के बाद स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य, लेकिन यहां इन नियमों का पालन नहीं होता है.

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