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देश के 3 नये आपराधिक कानूनों में आज से बदलाव, जानें इससे जुड़ी खास बातें

Jamshedpur News: एक जुलाई से देश में 3 नये आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं. इसके तहत कई कानून बदल जाएंगे. जमशेदपुर इन बदलावों के लिए तैयार हैं.

By Mithilesh Jha | July 1, 2024 6:08 AM
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Jamshedpur News: एक जुलाई से लागू हो रहे 3 नये आपराधिक कानून लोगों के लिए राहत लेकर आ रहा है. इसके तहत भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारत साक्ष्य अधिनियम आज से देश भर में लागू हो जायेंगे.

जमशेदपुर में पुलिस-जांच अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा

जमशेदपुर में भी इन कानूनों को लागू करने के लिए प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण तथा जागरूकता कार्यक्रम चलाने के साथ ही इस संबंध में पुलिस और जांच अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के कार्यक्रमों को पूरा कर लिया गया है. लोगों में इस कानून को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से भी इस विषय पर चर्चाओं का दौर जारी है.

  • जांच, मुकदमा और अदालती कार्यवाही का आज से बदला तौर-तरीका, अब नहीं चलेगा तारीख पर तारीख वाला हिसाब-किताब

जन-जागरूकता अभियान और वेबिनार का दौर जारी

इसके साथ ही जन-जागरूकता अभियान, संवाद कार्यक्रम, सूचनात्मक वेबसाइट्स और वेबिनार के आयोजनों का दौर जारी है. इसके अतिरिक्त विद्यालय और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रम मॉड्यूल को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया है. नये आपराधिक कानूनों में जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही आज से बदल जायेगा.

  • अब धोखाधड़ी की धारा 420 के बदले 316 और हत्या की धारा को 302 के बदले 101 से जाना जायेगा
  • नये कानून में पहचान छिपाकर शादी करना या शादी का झूठा वादा कर यौन कृत्य करने को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया
  • धारा-70 के तहत सभी प्रकार के सामूहिक दुष्कर्म के लिए 20 वर्ष या आजीवन कारावास का प्रावधान
  • धारा-89 के तहत महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराने पर भी हो सकती है आजीवन कारावास

एनसीआरबी ने सीसीटीएनएस एप्लिकेशन में किये 23 संशोधन

इसके लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी ने मौजूदा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली-सीसीटीएनएस एप्लिकेशन में 23 कार्यात्मक संशोधन किये हैं. नयी प्रणाली में निर्बाध परिवर्तन के लिए यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है.

जागरूकता कार्यक्रमों पर विशेष जोर

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और सीएफआइएस के साथ-साथ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आज एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा, जिसमें सामूहिक चर्चा, वर्कशॉप, प्रश्नोत्तरी सत्र और नये आपराधिक कानूनों के प्रावधानों पर क्विज शामिल होंगे.

इन कानूनों की शुरुआत के साथ सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रत्येक पुलिस थाना प्रभारियों द्वारा भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा, जिसमें नये आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डाला जायेगा.

दुष्कर्म पीड़िता की बतायी गयी जगह पर पुलिस बयान दर्ज करेगी

अधिवक्ताओं ने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता अब अपनी सुविधानुसार जगह पर अपना बयान दर्ज करा सकेगी. थाने जाने की जरूरत नहीं होगी. पीड़िता द्वारा बतायी गयी जगह पर जाकर पुलिस उसका बयान दर्ज करेगी. उस दौरान पीड़िता के अभिभावक और महिला पुलिस की मौजूदगी अनिवार्य होगी. बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी, जिसे कोर्ट में अति सुरक्षित तरीके से दाखिल किया जायेगा.

कोर्ट में भी मामले की सुनवाई के दौरान किसी महिला का उपस्थित होना जरूरी होगा, चाहे वह महिला वकील हों या महिला पुलिस हों. दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले में जांच दो माह के भीतर पूरी करने की व्यवस्था की गयी है. नये कानून के तहत पीड़ित को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा.

सड़क हादसे में मौत पर चालक को 5 साल की सजा और जुर्माना

सड़क हादसे में मौत की स्थिति में अब तक आरोप सिद्ध होने पर दोषी चालक दो वर्ष की सजा से दंडित किया जाता था. नये कानून के तहत अब दोषी चालक पांच साल की सजा और जुर्माने से दंडित किया जायेगा. इसी तरह से यदि डॉक्टर के उपेक्षापूर्ण कृत्य से किसी मरीज की मौत होगी तो दोष सिद्ध होने पर दो वर्ष की सजा और जुर्माने से दंडित किया जायेगा.

दो महीने में होगी पूरी जांच

नये कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है, जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जायेगी. नये कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा.

नये कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में नि:शुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जायेगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले. आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा.

आज से कानून की नयी धाराओं पर बहस करेंगे अधिवक्ता

आज से तीन नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कोर्ट कार्यवाही होगी. इसके लिए अधिवक्ताओं ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. हालांकि जमशेदपुर शहर के अधिवक्ताओं का कहना है कि धाराओं में बदलाव से अधिवक्ताओं को थोड़ी परेशानी हो सकती है. लेकिन नयी धाराओं की किताब में पुरानी धाराओं का भी जिक्र किया गया है, जिससे समझने में अधिवक्ताओं को परेशानी नहीं होगी. हालांकि थोड़ी मेहनत करनी होगी.

नयी धाराओं में कुछ पुरानी धाराओं का समावेश किया गया है. नये कानून में साक्ष्य के लिए वैज्ञानिक महत्ता बढ़ा दी गयी है. इस कानून में पुलिस को अब छापेमारी और जब्ती के दौरान ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा. इसके अलावा एफएसएल जांच की महत्ता बढ़ा दी गयी है.

अधिवक्ताओं के अनुसार, पुरानी धाराओं को लोगों को समझाने में आसानी होती थी. लेकिन अब पहले खुद समझना होगा, फिर फरियादी को समझाना होगा. इसमें थोड़ी परेशानी होगी. हालांकि अधिवक्ता का काम ही अध्ययन करना है. चूंकि नये कानून को लेकर पिछले कई दिनों से प्रशिक्षण व चर्चाएं चल रही थीं. इस कारण अधिवक्ता पूर्व से ही तैयारी में जुटे हुए थे.

आधुनिक समय की नयी संहिताएं

  • 3 वर्ष में मुकदमे का निस्तारण करने की बाध्यता नये कानून में
  • पुराने 3 कानूनों में बदलाव से आम आदमी को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब किसी भी थाने में दर्ज करा सकेंगे एफआइआर
  • यह जरूरी नहीं होगा कि जहां अपराध हुआ है उसी से संबंधित थाने में तहरीर दी जाए. अब जीरो एफआइआर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के माध्यम से कानूनी मान्यता दे दी गयी है

3 नए क्रिमिनल लॉ पर क्या कहते हैं जमशेदपुर के वकील

नये कानून में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य पर फोकस किया गया है. लेकिन इसमें कुछ त्रुटि है. इसमें सुधार की आवश्यकता है. इलेक्ट्राॅनिक्स साक्ष्य में छेड़छाड़ भी किया जा सकता है. ऐसे में मूल साक्ष्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. नये कानून की धारा का अध्ययन कर रहे हैं. इसके लिए पूर्व से तैयारी में जुट गये थे.

प्रकाश झा, अधिवक्ता

नये कानून में आइपीसी और सीआरपीसी में बदलाव किया गया है. कुछ धारा में सजा को बढ़ाया गया है, जबकि कुछ धारा में सजा को कम किया गया है. नयी किताब में नयी और पुरानी धाराओं की पुरी जानकारी दी गयी है. जिसका अध्ययन करने से अधिवक्ताओं को कोई परेशानी नहीं होगी. वैसे शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किलें होंगी. लेकिन समय रहते उसे दुरुस्त कर लिया जायेगा.

अजीत अंबष्ठ, अधिवक्ता

जो पुराने व रेगुलर प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता हैं वे कानून की नयी धाराओं की जानकारी को लेकर पहले से तैयारी में थे. नये कानून में थोड़ा बदलाव किया गया है. कोई दिक्कत नहीं होगी. नया कानून काफी बेहतर है. इसमें साक्ष्य संकलन के अलावा अन्य कई चीजों को मजबूत किया गया है. यह कानून लोगों को राहत देने वाला है.

केएम सिंह, अधिवक्ता

पुरानी धाराओं में बदलाव किये जाने से शुरुआती दौर में दिक्कत होगी. लेकिन समय रहते इसे दुरुस्त कर लिया जायेगा. चूकिं पुरानी कई धाराएं बोलचाल में भी याद रहती थीं. लेकिन नयी धाराओं को थोड़ा पढ़ना व समझना होगा. लेकिन ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. नये अधिवक्ताओं को समझने में आसानी होगी.

बीरेन्द्र सिंह, अधिवक्ता

नये कानून को लेकर हमलोग पहले से तैयार हैं. अधिवक्ता का काम लगातार अध्ययन करना होता है. जिसका फायदा हमें मिलता है. शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किलें होंगी. लेकिन कोई दिक्कत नहीं है. उसे जल्द ही ठीक कर लिया जायेगा. इसके लिए किबातें भी बाजार में आ गयीं हैं. उसका अध्ययन कर रहे हैं.

संगीता झा, अधिवक्ता

नये कानून की धाराओं को समझना थोड़ा मुश्किल हो रहा है. हालांकि इसके लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं. समय रहते उसे ठीक कर लिया जायेगा. अभी शुरुआत है. इस कारण थोड़ी परेशानी होगी. नये कानून की कुछ धाराओं में पुरानी धाराओं का समावेश किया गया है. जबकि कई धाराओं को हटाया गया है. इसे समझना होगा.

निधि कुमारी, अधिवक्ता

अधिवक्ताओं को इसके लिए अबतक प्रशिक्षित नहीं किया गया है. जबकि पुलिस व मजिस्ट्रेट को प्रशिक्षण दिया गया है. अबतक पुरानी धाराओं में लगातार काम करने से कई धारा मानों जुबान पर याद हो गयी थीं. लेकिन नयी धाराओं को समझना होगा. इसके लिए लगातार अध्ययन किया जा रहा है. इसके लिए अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए.

नलिता कुमारी, अधिवक्ता

कई पुरानी धाराओं के तहत केस कोर्ट में चल रहा है. जबकि सोमवार से नयी धाराओं के तहत केस दर्ज होंगे. ऐसे में नयी और पुरानी दोनों धारा को याद रखना होगा. जो थोड़ा मुश्किल है. हालांकि इसके लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं. शुरुआती दौर में मुश्किल होगी, लेकिन समय रहते उसे ठीक कर लिया जायेगा.

संगीता शर्मा, अधिवक्ता

नये कानून को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है. इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है. नये कानून में पुलिस को ऑडियो और वीडियो साक्ष्य रखना होगा. इसके अलावा एफएसएल जांच पर भी फोकस किया गया है. किसी तरह की समस्या नहीं होगी. नये कानून के तहत काम करने के लिए सभी तैयार हैं.

सुनीलचंद्र श्रीवास्तव, लोक अभियोजक

बदलाव को आम लोगों ने सराहा

विकास के लिए बदलाव जरूरी है. यह अच्छा प्रयास है. लेकिन इसको लेकर लगातार लोगों को जागरूक करना होगा. इसके अलावा न्याय की नयी व्यवस्था के तहत सजा के प्रावधान में भी बदलाव जरूरी है.

कृष्णा हांसदा

न्याय की परिभाषा बदल गयी है. ग्लोबलाइजेशन के लिए बदलाव जरूरी है. लेकिन धाराओं के नाम बदलने से इससे जुड़े लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए सरकार को लगातार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करना होगा. ताकि लोग नयी धाराओं को समझें.

जसाई मार्डी

कानून की नयी व्यवस्था लागू होने से आम लोगों को काफी मदद मिलेगी. नयी व्यवस्था के तहत अब कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में जा कर एफआइआर करवा सकता है. इसके बाद पुलिस उसे संबंधित थाना में भेज देगी. इससे आम लोगों को सहूलियत होगी.

नीरज सिन्हा

महिलाओं के लिए जो कानून लाया गया है. वह काफी सराहनीय है. इसमें दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर उपलब्ध कराने की बात है. वो इसलिए क्योंकि अनुसंधान में देरी से पीड़िता मानसिक रूप से काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. इस कानून से ऐसी महिलाओं को राहत मिलेगी.

डाॅ निधी श्रीवास्तव, मनोवैज्ञानिक

नये कानून में बहुत सारा सेक्शन बदला गया है. वो सराहनीय है. ऑनलाइन प्रक्रिया को लागू करना काफी अच्छी पहल है. इससे सबसे ज्यादा आम लोगों को फायदा होगा. इसके अलावा सुझाव है कि केस के डिस्पोजल को जल्द से जल्द समाप्त करने की प्रक्रिया लागू होनी चाहिए.

सदन ठाकुर

कानून की धाराओं में बदलाव एक नया प्रयोग है. इससे सजग नागरिक बनने में आसानी होगी. नये कानून व्यवस्था में लोगों को केस दर्ज कराने और उसकी मॉनिटरिंग करने में आसानी होगी. इस व्यवस्था के तहत कम समय में अनुसंधान हो सकेगा.

मीरा शर्मा, शिक्षिका
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