पोरान कृष्ण सोरेन व उनके परिवार को पारंपरिक रीति-रिवाज से उम-नड़का कराया व उन्हें नये वस्त्र प्रदान किया
फकीर सोरेन ने कहा कि आदिवासी संताल समाज पाेरान कृष्ण सोरेन के समस्त परिवार का स्वागत करता है. समाज उनके कुशल मंगल जीवन की कामना करता हैं. इस अवसर पर भारोत दिशोम संताल महल परगना-करण हांसदा, सुनील टुडू, रमेश बेसरा, लव किशोर हांसदा, श्रवण बेसरा, शेखर मुर्मू, तिलक टुडू, सोमाय माझी, सीताराम टुडू, लंबू किस्कू समेत काफी संख्या में ग्रामवासी शामिल हुए.
दादा व परदादा चले गये थे दूसरे धर्म में : पोरोनपोरान कृष्ण सोरेन बताते हैं कि उनके दादा व परदादा के समय किन्हीं कारणों से दूसरे धर्म स्वीकार कर लिये थे, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी मूल पहचान संताल व सरना से है, इसलिए उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से परगना व दिशोम नायके के समक्ष सरना धर्म में लौट आने की बात को रखा था.
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