संदीप सावर्ण, जमशेदपुर: झारखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गयी है. सियासी पार्टियां अपने-अपने तरीके से वोटरों को साधने में जुट गयी हैं. वहीं विभिन्न पार्टियों के नेताओं की आपसी जोर-आजमाइश भी शुरू हो गयी है. इसी क्रम में जमशेदपुर पूर्वी सीट से पूर्व सांसद सह वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ अजय कुमार ने दावा ठोक दिया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर पार्टी मौका देती है तो वे जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ेंगे.
उनकी इस घोषणा से यह सीट एक बार फिर झारखंड की सबसे हॉट सीट के रूप में उभरने लगी है. यहां कांटे की लड़ाई होगी, इसके संकेत मिलने लगे हैं. भाजपा व कांग्रेस के साथ ही वर्तमान विधायक सरयू राय भी अपनी दावेदारी अभी छोड़ी नहीं है. उनके रुख से भी इस सीट का सियासी दशा और दिशा तय होगी. अगर कांग्रेस पार्टी से इस सीट के लिए दावेदारों की बात करें तो इसकी संख्या आधा दर्जन से अधिक है. सभी अपने-अपने स्तर पर टिकट की दावेदारी को लेकर जुगाड़ में जुटे हुए हैं.
डॉ अजय कुमार
डॉ अजय कुमार वर्तमान में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं तथा झारखंड में कांग्रेस के बड़े चेहरों में से एक हैं. वर्ष 2011 में राजनीति में प्रवेश किया तथा जमशेदपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को हराकर सांसद बने. पुडुचेरी से जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से 1985 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. वर्ष 1986 में आइपीएस बने. डॉ अजय को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. राजनीतिक चेहरा बनने से पूर्व एक आइपीएस पदाधिकारी के रूप में डॉ अजय अपनी अलग छाप छोड़ चुके थे. जमशेदपुर में क्राइम कंट्रोल करने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. टाटा स्टील के तत्कालीन एमडी जेजे ईरानी के विशेष अनुरोध पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बतौर एसपी डॉ अजय कुमार को जमशेदपुर भेजा था. स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर डॉ अजय कुमार ने 1994 से 1996 के बीच जमशेदपुर में बतौर एसपी सेवा की. इसके बाद उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर में टाटा मोटर्स में ज्वाइन किया.
अशोक चौधरी
अशोक चौधरी राजनीति में 1977 से सक्रिय हैं. वर्तमान में एआइसीसी मेंबर हैं. 1989 में श्री चौधरी जमशेदपुर आये. इनकी दो पीढ़ियां कांग्रेस से जुड़ी रही हैं. इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे. अशोक चौधरी प्रदेश अध्यक्ष छोड़ कर कांग्रेस के अन्य सभी पदों पर रह चुके हैं. पिछली कमेटी में वे जोनल को ऑर्डिनेटर रह चुके थे. अशोक चौधरी की पहचान अनुभवी व सुलझे हुए नेता की है.
रघुनाथ पांडेय
रघुनाथ पांडेय शुरू से मजदूरों की राजनीति करते आ रहे हैं. वर्ष 1984 से इन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की. दो-दो बार टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रहे. साथ ही वर्तमान में इंटक के राष्ट्रीय सचिव है. रघुनाथ पांडेय के मुताबिक उन्होंने हमेशा मजदूरों के हितों में कार्य किया. अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में मजदूरों के शहर में मजदूर हित में जो कुछ भी हो सकता था, उन्हें फायदा दिया.
रामाश्रय प्रसाद
रामाश्रय प्रसाद जिला कांग्रेस के अनुभवी व बुजुर्ग नेताओं में से एक हैं तथा उम्र के इस पड़ाव पर भी काफी सक्रिय व ऊर्जावान हैं. वर्ष 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जब जुबिली पार्क का उद्घाटन करने शहर आये थे. उस वक्त रामाश्रय प्रसाद छात्र राजनीति में सक्रिय थे. छात्रों की ओर से रामाश्रय प्रसाद को ही पंडित जवाहरलाल नेहरू को गुलाब फूल देकर स्वागत करने को कहा गया था. पंडित नेहरू से प्रभावित होकर 1962 में ये सक्रिय राजनीति में आये. दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. 1980 में तो सिर्फ 115 वोट से हारे थे. 2009 में रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. इंदिरा गांधी जब गिरफ्तार हुई थी, तब रामाश्रय प्रसाद भी 105 लोगों के साथ जेल गये थे.
विजय खां
विजय खां ने वर्ष 1986 में सिदगोड़ा प्रखंड अध्यक्ष से राजनीति शुरू की. वर्तमान में इंटक के राष्ट्रीय सचिव हैं. न्यूवोको कंपनी के मजदूर यूनियन के महासचिव, सिंहभूम असंगठित कामगार यूनियन के अध्यक्ष, टाटा ब्लूस्कोप के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ-साथ कई मजदूर यूनियन में सक्रिय हैं. कांग्रेस में फिलहाल प्रदेश महासचिव के पद पर हैं. विभिन्न सामाजिक कार्यों के लेकर भी ये क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं. इससे पूर्व वे लगातार नौ वर्षों तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. इस बार विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए चिट्ठी लिख कर समर्थन जुटा रहे हैं.
संजीव चौधरी उर्फ टुन्नु
ये टाटा वर्कर्स यूनियन में दूसरी बार अध्यक्ष बने हैं. इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि ट्रेड यूनियन की रही है. इनके पिता स्वर्गीय रामानुज चौधरी वीजी गोपाल के कार्यकाल में यूनियन उपाध्यक्ष रह चुके थे. इसके अलावा इनके भाई पीके चौधरी टाटा पिगमेंट में तीन बार अध्यक्ष रह चुके है. इन्होंने टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस के माध्यम से 1990 बैच में इंट्री की. को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की है. छात्र राजनीति में ये काफी सक्रिय रहे. यूनियन में पहली बार 2002 में कमेटी मेंबर बने, फिर 2006 में सहायक सचिव बने और 2009 से 2011 तक पदाधिकारी छोड़कर वे डिप्टी प्रेसिडेंट व अध्यक्ष भी रहे.
आनंद बिहारी दुबे
आनंद बिहारी दुबे भारतीय सेना के जवान रह चुके हैं. 1983 से 1990 तक सेना की नौकरी की. इसके बाद वीआरएस लिया. वर्ष 1991 में गोलमुरी 10 नंबर बस्ती में झामुमो के शाखा समिति के सदस्य के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की. इसके बाद झामुमो में नगर अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने के साथ ही पूर्व सांसद स्व सुनील महतो के प्रतिनिधि भी रह चुके हैं. वे दो बार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. 2009 में निर्दलीय चुनाव लड़े. इसके बाद आजसू का दामन थामा. हालांकि, 2012 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की, पार्टी ने 2014 में इन्हें टिकट दिया. लेकिन मोदी लहर में चुनाव हार गये. पिछले साल कांग्रेस ने इन्हें जिलाध्यक्ष बनाया. श्री दुबे स्टील स्ट्रीप्स ह्वील्स के मजदूर यूनियन के अध्यक्ष हैं. साथ ही बॉक्सिंग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष भी हैं.
राकेश्वर पांडेय
राकेश्वर पांडेय वर्ष 1985 से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने टाटा ग्रोथ शॉप में कमेटी मेंबर से राजनीतिक करियर की शुरुआत की. करीब डेढ़ साल के बाद जेनरल सेक्रेट्री बन गये. वर्तमान में करीब दो दर्जन कंपनियों की यूनियनों के अध्यक्ष हैं. साथ ही कई ट्रस्ट, एनजीओ, सामाजिक संगठन के माध्यम से बच्चों के पठन-पाठन को लेकर कार्य करते हैं. राकेश्वर पांडेय इंटक के राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष हैं.