कल झारखंड बंद कराने सड़क पर उतरेगा संताल समाज, पारंपरिक हथियार व ढोल-नगाड़ों के साथ रहेंगे
4 जुलाई को आहूत झारखंड बंद को सफल बनाने का निर्णय लिया गया. माझी बाबा भोक्ता हांसदा ने कहा कि आदिवासियत को बचाने के लिए ग्रामवासी सड़क पर उतरेंगे. इस दौरान संताल समाज के लोग पारंपरिक हथियार और ढोल-नगाड़े साथ रहेंगे.
जमशेदपुर. सुंदरनगर स्थित पुरीहासा में माझी बाबा भोक्ता हांसदा की देखरेख में ओलचिकी हूल बैसी की बैठक हुई. इसमें सर्वसम्मति से 4 जुलाई को आहूत झारखंड बंद को सफल बनाने का निर्णय लिया गया. माझी बाबा भोक्ता हांसदा ने कहा कि आदिवासियत को बचाने के लिए ग्रामवासी सड़क पर उतरेंगे. इस दौरान संताल समाज के लोग पारंपरिक हथियार और ढोल-नगाड़े साथ रहेंगे. रेल, रोड, व्यवसायिक प्रतिष्ठान और स्कूलों को बंद कराया जायेगा. झारखंड बंद ऐतिहासिक होगा. हर जोन पर बंदी की सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. सोमवार की शाम को सभी प्रमुख जोन पर मशाल जुलूस निकालने की अपील की जायेगी. बैठक में काफी संख्या में ग्रामवासी शामिल हुए.
गुडरुबासा पूजा स्थल में लगाया गया बोर्ड
गुडरुबासा में आदिवासी हो समाज के लोगों ने अपने पूजा स्थल पर आदिवासी जाहेरा पूजा स्थल लिखित बोर्ड लगाया. इस दौरान अपनी पुरानी सभ्यता-संस्कृति को संरक्षण व संवर्धन करने का संकल्प लिया. समाज के दिउरी (पुजारी) रेंगो सुंडी और संजय सामद ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में आदिवासी समाज भी शामिल है. इस वजह से वे अपने पुरखों के बनाये नीति-नियम को भूलकर समाज से अलग रह रहे हैं. कार्यक्रम में काफी संख्या में हो समाज के लोग शामिल हुए.
करनडीह में आदिवासी सेंगेल अभायन की बैठक
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि ओलचिकी हूल बैसी के नाम से झामुमो की बी टीम ने चार जुलाई को झारखंड बंद का आह्वान किया है. रविवार को करनडीह में आयाेजित अभियान की बैठक में सालखन मुर्मू ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन चाहते, तो अनुच्छेद-345 के तहत विधानसभा में संताली को प्रथम राजभाषा बनाने का प्रस्ताव पारित कर सकते हैं. इस तरह स्वत: ओलचिकी लिपि में पठन-पाठन आरंभ हो सकता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने ओलचिकी में लिखकर 30 जून को हूल संदेश दिया. लेकिन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को वोट बैंक की खातिर बांग्ला और उर्दू की चिंता सता रही है. बैठक में सोनाराम सोरेन, जूनियर मुर्मू, सुमित्रा मुर्मू, सीताराम माझी, डॉ सोमाय सोरेन, तिलका मुर्मू, ज्योति मुर्मू, मुनीराम हेंब्रम, बिरसा मुर्मू, बीरसिंह बोदरा, छीता मुर्मू, बिमो मुर्मू, अर्जुन मुर्मू, मंगल अल्डा, बाजुन टुडू, भगीरथ मुर्मू, आम्पा हेंब्रम, सनत बास्के आदि उपस्थित थे.