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Jharkhand Chunav 2024: कोल्हान का असली टाइगर कौन ? इस बार बदल चुके हैं सियासी समीकरण और मुद्दे

Jharkhand Chunav 2024: कोल्हान की सभी सीटों पर इस इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच सीधी टक्कर है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां से खाता भी नहीं खोल पायी थी.

Jharkhand Chunav 2024, जमशेदपुर : झारखंड में वर्ष 2024 का चुनावी बिगुल बज चुका है. सियासी दलों व गठबंधनों की नजर झारखंड की सभी 81 सीटों पर हैं. वे अधिकतम सीटें जीत कर सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं. पिछले चुनाव के मुकाबले यह चुनाव कुछ अलग सा है जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रहे हैं. इंडिया गठबंधन बनाम एनडीए के इस जंग में दोनों ही गठबंधन की नजरें खास तौर से कोल्हान पर टिकी हुईं हैं. वर्ष 2019 के विधान सभा चुनाव में कोल्हान की 14 में से एक भी सीट भाजपा (पिछली बार अकेले चुनाव लड़ी थी) नहीं जीत पायी थी. उस चुनाव में झामुमो ने 11, कांग्रेस ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गयी थी. इस बार पूरे राज्य की निगाहें कोल्हान पर हैं. इसकी वजह ये है कि सियासी समीकरण और चुनावी मुद्दे बदल चुके हैं. सभी सीटों में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधी टक्कर है.

बीजेपी ने इस बार प्रत्याशी चयन में बरती सावधानी

साल 2019 विधान सभा चुनाव के परिणाम का सीधा असर यह हुआ कि सत्ता में रहते हुए भी भाजपा बहुमत से पिछड़ गयी और सत्ता से बाहर हो गयी थी. पिछली गलतियों को सुधारते हुए भाजपा ने इस बार प्रत्याशी चयन में काफी सावधानी बरती है, और हर तरह के समीकरण का ख्याल रखा है. जहां इस बार इंडिया गठबंधन में कांग्रेस-झामुमो-राजद-वामदल शामिल है, वहींं भाजपा एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है. गठबंधन के तहत कोल्हान की तीन सीटें (ईचागढ़-मनोहरपुर व जमशेदपुर पश्चिम) अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ा है.

सियासी समीकरण और चुनावी मुद्दे अलग-अलग

पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार सियासी समीकरण और चुनावी मुद्दे अलग-अलग हैं. दोनों तरफ से प्रत्याशी चयन से लेकर एजेंडा सेट करने में पूरी सावधानी बरती गयी है. ऐसे में इस बार कोल्हान समेत पूरे झारखंड में कौन सा मुद्दा हावी रहने वाला है और किस पार्टी या गठबंधन को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलती हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हुईं हैं. कोल्हान का चुनावी समीकरण, मुद्दे व तैयारियों आधारित संजीव भारद्वाज की रिपोर्ट

संथाल और कोल्हान पर भाजपा का फोकस

2019 के चुनाव में भाजपा ने किसी भी दल से गठबंधन नहीं किया था. इस वजह से कई स्तर पर उसे चुनौती मिली थी. यहां तक कि झाविमो-आजसू से भी उसे मुकाबला करना पड़ा था. लेकिन इस बार झाविमो का भाजपा में विलय हो चुका है. आजसू गठबंधन का सहयोगी है और लोजपा-जदयू का भी साथ है. ऐसे में एनडीए गठबंधन के रूप में पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा इस बार ज्यादा मजबूत दिख रही है. संथाल और कोल्हान पर झामुमो और भाजपा दोनों का फोकस है. पिछले चुनाव में कोल्हान में मिली जीत की वजह से झामुमो को सत्ता मिल गयी थी. इस बार कोल्हान की सभी सीटों पर काफी उलटफेर हुआ है. इससे दोनों ही गठबंधन में सीधे मुकाबला की स्थिति बन रही है.

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भाजपा को कोल्हान से ज्यादा उम्मीद

भाजपा चुनावी मुद्दे भी काफी सोच-समझ कर उठा रही है. संथाल में जहां बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज के मुद्दे के जरिये झामुमो पर अटैक कर रही है वहीं कोल्हान में पिछले चुनाव में मामूली अंतर से गंवा चुकी सीट को पुन: हासिल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रही है. कोल्हान की 14 में से कम से कम सात सीटें ऐसी हैं, जहां के परिणाम पिछली बार तत्कालीन राजनीतिक स्थिति-परिस्थिति के कारण अनुकूल नहीं आये थे. इसलिए भाजपा यह मानकर चल रही है कि इस बार कोल्हान में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर होगा, वहीं झामुमो व सहयोगी दल भी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहते हैं.

भाजपा ने सीट शेयरिंग में दिखाया लचीलापन

2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान की 12 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी. आजसू-झाविमो के उम्मीदवार एक-एक सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे. इस बार एनडीए-महागठबंधन में सीधा मुकाबला है. आजसू व जदयू से तालमेल, झाविमो का भाजपा में विलय समेत कई तरह के तालमेल की वजह से इस बार एनडीए के वोटों में बिखराव कम होगा, ऐसी संभावना है

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कोल्हान की सभी सीटों का हाल

जमशेदपुर पूर्वी

पूर्वी जमशेदपुर सीट 2019 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास हार गये थे. उस समय माहौल ऐसा बना कि निर्दलीय सरयू राय को भाजपा के लोगों ने भी वोट किया था. 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे रघुवर दास को एक लाख से अधिक मत मिले थे. झारखंड बनने के बाद भाजपा चार बार यह सीट जीती. 2019 में रघुवर दास 15,833 मतों से पराजित हो गये थे. उन्हें 58, 112 मत मिले, जबकि मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी रहे सरयू राय ने 73, 945 वोट पाकर जीत दर्ज की थी. तीसरे स्थान पर कांग्रेस के गौरव बल्लभ को 18, 986 और झाविमो के अभय सिंह को 11, 772 मत मिले थे. वर्तमान में सरयू राय जदयू में हैं, गौरव बल्लभ भाजपा में शामिल हो चुके हैं, झाविमो का भाजपा में विलय हो गया है.

जमशेदपुर पश्चिमी

जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर भाजपा बनाम कांग्रेस का पिछले पांच चुनाव से सीधा मुकाबला होता आया है. इसमें 2000, 2005 व 2014 में भाजपा, जबकि 2009 और 2019 में कांग्रेस पार्टी का विधायक चुना गया. 2014 में भाजपा के सरयू राय को 95, 346, कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 84, 829 व झामुमो के उपेंद्र सिंह 2, 899 मत मिले थे. 2019 में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 96, 778 भाजपा के देवेंद्र नाथ सिंह 74, 195 और एआइएमइएम के रेयाज शरीफ 8000 मत मिले थे. 2024 में एक बार फिर मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है जमशेदपुर पूर्वी की सीट बदलकर फिर सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला पुराने प्रतिद्वंद्वी रहे बन्ना गुप्ता से होगा. एनडीए ने यह सीट जदयू ( सरयू राय) के लिए छोड़ी है.

जुगसलाई

जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर भाजपा बनाम कांग्रेस का पिछले पांच चुनाव से सीधा मुकाबला होता आया है. इसमें 2000, 2005 व 2014 में भाजपा, जबकि 2009 और 2019 में कांग्रेस पार्टी का विधायक चुना गया. 2014 में भाजपा के सरयू राय को 95, 346, कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 84, 829 व झामुमो के उपेंद्र सिंह 2, 899 मत मिले थे. 2019 में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 96, 778 भाजपा के देवेंद्र नाथ सिंह 74, 195 और एआइएमइएम के रेयाज शरीफ 8000 मत मिले थे. 2024 में एक बार फिर मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है जमशेदपुर पूर्वी की सीट बदलकर फिर सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला पुराने प्रतिद्वंद्वी रहे बन्ना गुप्ता से होगा. एनडीए ने यह सीट जदयू ( सरयू राय) के लिए छोड़ी है.

जुगसलाई

जुगसलाई सीट पर झामुमो बनाम एनडीए के बीच पिछले पांच विधान सभा चुनाव से जंग जारी है. इसमें 2000, 2005 में झामुमो और 2009-2014 में आजसू (एनडीए उम्मीदवार), 2019 में झामुमो को जीत मिली. 2019 में मुकाबला त्रिकोणीय हुआ था. झामुमो के मंगल कालिंदी ने 88, 581 मत पाकर भाजपा के मुचीराम बाउरी को 21, 934 मतों से हराया था. भाजपा को 66,647 मत मिले. इस सीट पर आजसू उम्मीदवार के रूप में रामचंद्र सहिस को 46,779 वोट मिले थे. इस बार गठबंधन के तहत यह सीट आजसू पार्टी को मिली है. झामुमो से मंगल कालिंदी उम्मीदवार हैं.

पोटका

भूमिज बहुल पोटका सीट पर इस बार भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को प्रत्याशी बनाया है. वर्ष 2000 से हुए पांच चुनाव में भाजपा की मेनका सरदार ने तीन बार (2000, 2009, 2014 ) झामुमो ने दो बार (2005 में अमूल्यो सरदार व 2019 में संजीव सरदार) जीत मिली है. 2019 के चुनाव में झामुमो के संजीव सरदार को 1,10,753 मत मिले, जबकि भाजपा की मेनका सरदार को 67, 643 व आजसू की बुलू रानी सिंह को 5, 735 मत मिले थे. इस बार झामुमो से संजीव सरदार प्रत्याशी हैं.

घाटशिला

2019 में घाटशिला विधानसभा चुनाव में आजसू उम्मीदवार को जितने मत मिले थे, उससे कम मत (6724) से भाजपा उम्मीदवार लखनचंद्र मार्डी चुनाव हार गये थे. झामुमो उम्मीदवार रामदास सोरेन को 63, 531, लखन मार्डी को 56, 807 और आजसू उम्मीदवार प्रदीप बलमुचू को 31, 910 मत मिले थे. इस सीट पर इस बार चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. बाबूलाल सोरेन पिछले पांच साल से लगातार सक्रिय थे. प्रदीप बालमुचु के चुनाव नहीं लड़ने से उनके समर्थकों का सीधा सहयोग रामदास सोरेन को मिलेगा.

जगन्नाथपुर

यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा-गीता कोड़ा की परंपरागत सीट रही है. इस सीट से मधु कोड़ा व गीता कोड़ा जीत चुके हैं. 2019 में गीता कोड़ा के सांसद बनने के बाद यह सीट महागठबंधन तहत कांग्रेस प्रत्याशी सोनाराम सिंकू को मिली थी, जिसमें उन्होंने झाविमो के मंगल सिंह बोबोंगा को हराया था. कांग्रेस प्रत्याशी को 32, 499 वोट मिले थे. इस सीट से झाविमो प्रत्याशी बोबोंगा 20, 893 मत पाकर 11, 606 मतों से चुनाव हार गये थे. भाजपा उम्मीदवार सुधीर कुमार सुधि 16, 450 वोट पाकर तीसरे और आजसू प्रत्याशी मंगल सिंह सुरीन 14, 223 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे. कोड़ा दंपती (गीता कोड़ा-मधु कोड़ा) के कांग्रेस का साथ छोड़ने पर यहां की राजनीतिक परिस्थितियां बदल गयी हैं. गीता कोड़ा भाजपा में हैं तो झाविमो का भाजपा में विलय हो चुका है, जबकि आजसू भी एनडीए का हिस्सा बन गयी है.

मनोहरपुर

मनोहरपुर जोबा माझी की परंपरागत सीट बन गयी है. इस बार यहां भाजपा ने अपना प्रत्याशी नहीं देकर यह सहयोगी आजसू पार्टी के लिए यह सीट छोड़ दी है. झारखंड बनने के बाद हुए पांच चुनाव में सिर्फ 2009 में भाजपा के गुरुचरण नायक को यहां से जीत मिली थी, बाकी चार चुनाव में दो बार जोबा माझी यूजीडीपी और दो बार झामुमो के टिकट पर जीती. 2024 में चाईबासा लोकसभा सीट जीतने के बाद जोबा माझी के स्थान पर उनका बेटा जगत माझी यहां से झामुमो के प्रत्याशी बनाये गये हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में सभी परिस्थितियां अनुकूल होते हुए भी वह 50,945 वोट लाकर 16,019 मतों से जीती थी. भाजपा को 34,936 वोट मिले थे. आजसू उम्मीदवार बिरसा मुंडा को 13,468 और झाविमो के सुशीला टोप्पो को 3557 मत मिले थे.

चक्रधरपुर

चक्रधरपुर सीट पर 2019 में चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष रहे लक्ष्मण गिलुवा झामुमो प्रत्याशी सुखराम उरांव से चुनाव हार गये थे. लक्ष्मण गिलुवा को 31,598 मत मिले, जबकि सुखराम को 43, 282 मत मिले. झामुमो ने इस सीट पर अपने सीटिंग विधायक शशिभूषण सामड का टिकट काट कर सुखराम को प्रत्याशी बनाया था. 2019 के चुनाव में शशिभूषण सामड को 17, 487 वोट और आजसू के रामलाल मुंडा को 17, 232 मत मिले थे. झाविमो, आजसू को मिले वोट बता रहे हैं कि भाजपा किन कारणों से हारी. इस बार भाजपा ने शशिभूषण सामड को यहां से प्रत्याशी बनाया है.

ईचागढ़

महतो बाहुल इस सीट पर भाजपा-झामुमो के बीच ही मुकाबला होता आया है. इस बार भाजपा ने अपने सहयोगी आजसू को यह सीट दे दी है. 2019 के चुनाव में झामुमो की सविता महतो को 57, 546 मत मिले थे. वह 18,710 मतों से जीती थीं. उस चुनाव में आजसू उम्मीदवार हरेलाल महतो को 38836 मत, भाजपा के साधु चरण महतो को 38475 और निर्दलीय अरविंद कुमार सिंह को 32204 मत मिले थे.

सरायकेला

पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन के इस बार चुनाव पूर्व भाजपा में शामिल होने के बाद पूरे प्रदेश में यह सीट सुर्खियों में आ गयी है. इस सीट पर 2005 में भाजपा के अनंत राम टुडू जीत चुके हैं. पिछले चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी के रूप में चंपाई सोरेन ने 15667 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. चंपाई सोरेन को 1,11554 मत मिले, जबकि भाजपा के गणेश महली को 95887 मत मिले. आजसू उम्मीदवार अनंत राम टुडू को 9, 956 मत मिले थे. बहरागोड़ा, खरसावां, मझगांव और चाईबासा सीट पर लगातार झामुमो जीतती रही है. पिछले चुनाव में बहरागोड़ा से झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती, खरसावां से दशरथ गागराई, मझगांव से निरल पूर्ति और चाईबासा से दीपक बिरुवा ने जीत दर्ज की थी. इस बार झामुमो ने अपने सीटिंग विधायक पर भरोसा जताया है और उन्हें टिकट दिया है. जबकि एनडीए की ओर से इन सीटों पर अलग-अलग प्रत्याशी दिया गया है.

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