जमशेदपुर: कहा जाता है बेटी पिता की लाडली होती है. जब भी बेटी की डोली घर से उठती है तो पिता बच्चों की तरह फूट फूट रोते हैं. लेकिन अगर वही बेटी पिता के मौत इंतजार करने लगे तो उसे आप क्या कहेंगे. हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर के आदित्यपुर निवासी कन्हैया सिंह हत्याकांड की. जहां एक तरफ वो अपनी बड़ी की शादी की तैयारी 3 साल से कर रहे थे तो दूसरी ओर उनकी छोटी बेटी उनकी हत्या कराने की योजना बना रही थी. वह अपने प्रेमी मानगो डिमना रोड निवासी राजवीर सिंह के साथ साजिश में शामिल होकर अपने पिता कन्हैया सिंह की हत्या कराने की योजना बनाने में जुटी हुई थी.
इस बीच जब अपर्णा पिता के साथ सोनपुर गयी तो अपना लोकेशन राजवीर को भेजा, ताकि सोनपुर में ही पिता की हत्या की जा सके. लोकेशन मिलने के बाद प्रेमी राजवीर अपने साथी निखिल गुप्ता व कदमा निवासी कांग्रेस नेता छोटराय किस्कू के बेटे के साथ कार से सोनपुर गया.
इससे पूर्व कांग्रेस नेता के बेटे ने पटना के साथी आशीष कुमार से साढ़े आठ हजार रुपये में एक देसी कट्ठा और एक गोली खरीदा. फिर सोनपुर 21 जून को पहुंचा. लेकिन भीड़- भाड़ होने के कारण राजवीर व उसके साथी कन्हैया सिंह की हत्या नहीं कर सके. इसके बाद सभी हथियार लेकर लौट गये और मौका का इंतजार करते रहे.
29 जून को अपर्णा ने फोन कर प्रेमी राजवीर और हत्यारे निखिल गुप्ता को बताया कि पापा (कन्हैया सिंह) लेट से घर लौटेंगे. यही सही मौका है उनकी हत्या का. इसलिए तुमलोग जल्दी से आ जाओ. इसके बाद आदित्यपुर निवासी निखिल गुप्ता समेत उसके दो साथी राजू दिग्गी और रवि सरदार देसी कट्टा के अलावा भुजाली व चापड़ लेकर कन्हैया सिंह के बिल्डिंग की छत पर पहुंच कर इंतजार करने लगे.
ज्योंहि कन्हैया सिंह अपनी कार से घर पहुंचे तो अपर्णा ने फोन कर निखिल को सजग कर दिया. जब कन्हैया सिंह सीढ़ी के रास्ते अपने प्लैट तक पहुंचे तो निखिल गुप्ता व उसके साथी छत से नीचे की ओर उतर कर घेर लिया. निखिल को देख कन्हैया सिंह ने फटकार लगायी और भाग जाने को कहा. जिसके बाद निखिल गुप्ता ने कमर से कट्टा निकालकर कन्हैया सिंह पर गोली दाग दी. जिससे कन्हैया सिंह वहीं ढेर हो गये.
Posted By: Sameer Oraon