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झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन प्रभात खबर से बोले, सरकारी स्कूलों में मिलेंगी प्राइवेट जैसी सुविधाएं

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं होंगी. शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में तेजी लायी जाएगी. पूर्व की सरकार में बंद किये गये स्कूलों को फिर से शुरू किया जाएगा. बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.

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जमशेदपुर, दशमत सोरेन: झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सह निबंधन मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि सरकारी स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं में सरकार सुधार करेगी, ताकि राज्य के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं देने का प्रयास है. इसके लिए स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा और शीघ्र ही बहाली प्रक्रिया में तेजी लायी जायेगी. उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जायेगी. जल्द ही क्षेत्रीय भाषाओं में पठन-पाठन शुरू करेंगे. ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में बेहतर तरीके से सीख सकें. मंत्री बनने के बाद जमशेदपुर पहुंचने पर रामदास सोरेन ने प्रभात खबर से सरकार की योजनाओं पर विशेष बातचीत की. प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश.

सवाल: स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए आपकी क्या योजना है. इसके लिए किस तरह की पहल हो रही है?

जवाब : स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने पहले भी कई कदम उठाये हैं. हम शैक्षणिक गुणवत्ता को और बेहतर करने के लिए पाठ्यक्रम में सुधार कर रहे हैं. डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है. स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है. साफ-सफाई, पुस्तकालय और खेलकूद के संसाधन. शिक्षकों की ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि पठन-पाठन का बेहतर माहौल बन सके तथा बच्चों की प्रतिभाएं उभर कर सामने आये. इसके अलावा, हम सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके.

सवाल : तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में कई स्कूलों को बंद कर दिया गया था, क्या उनको खोलने की दिशा में पहल होगी?

जवाब : जी हां, तत्कालीन सीएम रघुवर दास के कार्यकाल में बंद किये गये स्कूलों को फिर से खोलने की दिशा में हम कार्य कर रहे हैं. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर बच्चे को नजदीक के स्कूल में शिक्षा मिले. बंद स्कूलों का फिर से संचालन किया जा रहा है, विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में हम संवेदनशीलता के साथ काम कर रहे हैं, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. हम इन स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के साथ-साथ शिक्षकों की भर्ती और उनकी ट्रेनिंग पर भी ध्यान दे रहे हैं.

सवाल : स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. कहीं-कहीं एक ही शिक्षक 60-70 बच्चों को पढ़ा रहे हैं. शिक्षकों की कमी कब तक दूर होगी?

जवाब : हम स्वीकार करते हैं कि शिक्षकों की कमी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में बड़ी बाधा है. सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है. शीघ्र ही शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जायेगा. हम विभिन्न जिलों और क्षेत्रों में रिक्त पदों को भरने के लिए अभियान चला रहे हैं. साथ ही, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर दे रहे हैं ताकि वे अपने दायित्वों को प्रभावी तरीके से निभा सकें. हमारी प्राथमिकता है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और हम सुनिश्चित करेंगे कि जल्द से जल्द शिक्षकों की कमी दूर हो.

सवाल : स्कूलों में संताली, हो समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई की मांग होती रही है. क्या इस दिशा में सरकार की ओर से कोई पहल हो रही है?

जवाब : बिल्कुल. हमारा मानना है कि क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देना बच्चों के लिए अधिक प्रभावी हो सकता है. संताली, हो और अन्य आदिवासी भाषाओं में शिक्षा की मांग को देखते हुए सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है. हम इन भाषाओं में पठन-पाठन जल्द शुरू करेंगे. ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में बेहतर तरीके से सीख सकें. इसके अलावा, हम इन भाषाओं में शिक्षकों की भर्ती भी करने जा रहे हैं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलायेंगे, ताकि शिक्षा का स्तर ऊंचा हो सके. हम शीघ्र ही इससे संबंधित योजना बनायेंगे.

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