जमशेदपुर, संदीप सावर्ण : झारखंड शिक्षा परियोजना में प्लानिंग और उसे धरातल पर उतारने के बीच गहरी खाई है. यह खाई इतनी चौड़ी है कि इसे पाटने में पूरा सिस्टम लगने के बावजूद नतीजा सिफर है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने राज्य के कुल 4481 स्कूलों के जर्जर भवनों को चिन्हित किया था, जिसमें 3428 स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा की खातिर तोड़ने का निर्देश दिया गया. विभागीय निर्देश मिलने पर स्कूल के भवन आनन-फानन में तोड़ तो दिये गये, लेकिन कई जगहों पर उसे तोड़ कर बनाना भूल गये.
पांच साल पहले तोड़ा गया था स्कूल, लेकिन अबतक नहीं बना भवन
ताजा उदाहरण पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर के उड़िया मध्य विद्यालय केरा का है. इस स्कूल के छह कमरों को 2019 में जर्जर घोषित करते हुए तोड़ दिया गया. इन छह कमरों को तोड़े हुए करीब पांच साल बीत गये, लेकिन भवन का निर्माण नहीं किया गया. नये भवनों के निर्माण नहीं होने से स्कूल के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. वहीं, बारिश के दिनों में बरामदे में कक्षाएं लगती हैं.
दर्जनों मर्तबा अधिकारियों को लिखा पत्र, लेकिन स्थिति जस की तस
वर्ष 2019 में स्कूल भवन तोड़ने के बाद नया भवन नहीं बनने से बच्चों को हो रही परेशानियों को लेकर दर्जनों मर्तबा विभाग के वरीय अधिकारियों से पत्राचार किया गया है, लेकिन नतीजा अभी तक सिफर है. स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल शीला कुमारी ने बताया कि क्षेत्रीय शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर कई अन्य वरीय अधिकारियों तक पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस है.
बच्चे नहीं ले रहे दाखिला, दो कमरे में चलती हैं आठ कक्षाएं
उड़िया मध्य विद्यालय, केरा में पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. स्कूल में पहले 10 कमरे थे, जिसमें से छह कमरे तोड़ दिये गये. बाकी के बचे चार कमरों में से दो में कक्षाएं लगती हैं. बाकी के दो कमरों में से एक में साइंस और मैथ लैब है, जबकि एक कमरे में ऑफिस और एमडीएम के लिए स्टोर रूम बनाया गया है. कमरे नहीं होने की वजह से मौसम अच्छा रहने पर बच्चों को पेड़ के नीचे या फिर बारिश में बरामदे में पढ़ाया जाता है. स्कूल की स्थिति को देखते हुए अब आसपास के बच्चे दाखिला नहीं ले रहे हैं. पूर्व में स्कूल में 363 बच्चे थे, जो घटकर 222 रह गये हैं.–
बिहार, झारखंड व बंगाल का है सबसे पुराना स्कूल
चक्रधरपुर का केरा स्थित उड़िया मध्य विद्यालय बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सबसे पुराने ओड़िया स्कूलों में से एक है. स्कूल की स्थापना 1912 में हुई थी. स्कूल की स्थापना के लिए सिंहदेव परिवार की ओर से जमीन दान स्वरूप दी गयी थी, ताकि ओड़िया भाषी बच्चों को बेहतर शिक्षा दी मिल सके.
प्रिंसिपल ने क्या कहा ?
स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल शीला कुमारी वर्ष 2019 में स्कूल के कमरे तोड़े गये थे, जो अब तक नहीं बने हैं. पांच साल के बाद भी कमरे नहीं बनने की वजह से बच्चों को बरामदा और बाहर आंगन में पढ़ाना पड़ता है. यह देख कर अब बच्चे एडमिशन लेने भी नहीं आ रहे हैं.