Loading election data...

झारखंड हाईकोर्ट: जमशेदपुर में नक्शा विचलन कर अवैध निर्माण मामले की जांच के लिए तीन अधिवक्ता नियुक्त

झारखंड हाईकोर्ट में साकची निवासी राकेश झा की ओर से दायर जनहित याचिका (2078/2019) पर मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में सुनवाई हुई. खंडपीठ ने कहा कि उभय पक्षों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं को सुनने के बाद हमारी राय है कि जमीनी स्तर से एक रिपोर्ट प्राप्त की जानी चाहिए.

By Guru Swarup Mishra | October 1, 2023 6:44 AM

जमशेदपुर, अशोक झा: झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) क्षेत्र में नक्शा विचलन कर बने अवैध निर्माणों और अनियमितताओं की जांच के लिए तीन अधिवक्ताओं को एक आयोग के रूप में नियुक्त किया है, जो शहर का दौरा करेंगे और जमीनी हकीकत का आकलन करेंगे. अदालत ने जिले के डीसी, कोल्हान आयुक्त के साथ-साथ एसएसपी को निर्देश दिया कि अधिवक्ताओं को सभी सहयोग और सहायता प्रदान करें. अधिवक्ताओं के आयोग का पैनल अपने दौरे की तारीख की पूर्व सूचना जिले के डीसी, जमशेदपुर अक्षेस को देंगे. उनके परिवहन, रहने और अन्य संबद्ध खर्च जमशेदपुर अक्षेस वहन करेगा. इस बीच न्यायालय की रजिस्ट्री को जवाबी हलफनामे, पूरक हलफनामे, अंतरिम आवेदन आदि सहित डब्ल्यूपी (पीआईएल) की प्रतियां तीन प्रतियों में तैयार करने और अधिवक्ताओं के आयोग को सौंपने का भी निर्देश दिया गया.

राकेश झा की ओर से दायर की गयी है जनहित याचिका

19 सितंबर को झारखंड हाईकोर्ट में साकची निवासी राकेश झा की ओर से दायर जनहित याचिका (2078/2019) पर मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में सुनवाई हुई. खंडपीठ ने कहा कि उभय पक्षों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं को सुनने के बाद हमारी राय है कि जमीनी स्तर से एक रिपोर्ट प्राप्त की जानी चाहिए. इसलिए पार्टियों की ओर से उठायी गयी दलीलों को ध्यान में रखते हुए अधिवक्ताओं को एक आयोग के रूप में नियुक्त करते हैं. जो जमशेदपुर शहर का दौरा करेंगे और जमीनी हकीकत का आकलन करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर 2023 को होगी. पिटीशनर के तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिन्हा, मंजरी सिन्हा और इमरान हसन ने जिरह की.

Also Read: झारखंड: शूटर तारा शाहदेव धर्म परिवर्तन मामले में रंजीत सिंह कोहली समेत तीन आरोपी सीबीआई की अदालत से दोषी करार

क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता साकची निवासी राकेश झा ने जमशेदपुर अक्षेस, डीसी और टाटा स्टील के खिलाफ बिल्डिंग बाइलॉज 2016 का उल्लंघन करते हुए नक्शा पास करने, बिना कम्पलीशन और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी किये बिजली-पानी का कनेक्शन देने, बिल्डरों द्वारा नक्शा और स्वीकृत योजना का गंभीर उल्लंघन कर निर्माण करने, पार्किंग की जगह को कमर्शियल भवन (दुकान-शॉपिंग कॉम्प्लेक्स) उद्देश्यों के लिए बेच देने मामले और रिट पिटीशन 1076 /2011 में अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के खिलाफ याचिका दायर की है.

Also Read: झारखंड: पानी के तेज बहाव में फंसीं दो छात्राएं, सीआरपीएफ के जवानों ने ग्रामीणों की मदद से ऐसे सुरक्षित निकाला

आयोग की तीन सदस्यीय टीम के सदस्य

सीनियर अधिवक्ता राज नंदन सहाय, अधिवक्ता सुदर्शन श्रीवास्तव और अधिवक्ता पांडेय नीरज राय को नियुक्त किया गया है.

Also Read: झारखंड: पुलिस इंस्पेक्टर का रीडर 5 हजार रुपये रिश्वत लेते अरेस्ट, एसीबी के दबोचते ही हुआ बेहोश

इन चार बिंदुओं पर तीन सदस्यीय आयोग करेगा कार्य

1. क्या भवनों के निर्माण में अनुमतियों, बिल्डिंग बाइलॉज 2016 (भवन उपनियमों) और स्वीकृत योजनाओं (नक्शा ) का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है ?

2. क्या प्रतिवादी संख्या 2 (उपायुक्त) और साथ ही प्रतिवादी नंबर 4 (जमशेदपुर अक्षेस ) आवासीय और वाणिज्यिक मकानों के निर्माण को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुपालन के लिए कोई कदम उठा रहे हैं ?

3. क्या यातायात नियमों का कोई उल्लंघन हुआ है और क्या प्रत्येक बाजार के पास वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है? अगर अनाधिकृत पार्किंग पायी गयी तो उसकी सूचना दी जाये.

4. क्या रिट पिटीशन (पीआईएल ) 1076/2011 में पारित 28 फरवरी 2011 एवं 12 जुलाई 2011 के आदेशों का उत्तरदाताओं ने अनुपालन किया गया है अथवा नहीं? अदालत ने निर्देश दिया कि छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाये.

Also Read: आजसू पार्टी महाधिवेशन: स्थानीय नीति के बहाने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन पर सुदेश महतो ने साधा निशाना

झारखंड हाईकोर्ट ने 2011 में अवैध निर्माण को तोड़ने का दिया था आदेश

याचिकाकर्ता साकची निवासी राकेश कुमार ने अपनी याचिका में जमशेदपुर में नक्शा विचलन कर लगभग तीन सौ भवनों का निर्माण करने की सूचना दी थी. उसने अधिसूचित क्षेत्र समिति द्वारा बिल्डरों से सांठगांठ कर अवैध निर्माणों को नहीं तोड़ने की शिकायत की थी. हाईकोर्ट ने 2011 में इसे तोड़ने का आदेश जारी किया था. अपने रिट में यह भी आरोप लगाया है कि जमशेदपुर में बिल्डरों, टाटा और अधिसूचित क्षेत्र समिति के पदाधिकारियों की सांठगांठ से नक्शा विचलन कर सैकड़ों भवन बनाये गये हैं, जो नगर निकाय ( टाउन प्लानिंग ) के नियमों का उल्लंघन, अपार्टमेंट/फ्लैट के मालिकों और आम लोगों के बुनियादी और कानूनी अधिकारों का हनन होने के साथ ही पर्यावरण कानूनों का भी उल्लंघन है. जमशेदपुर में सैकड़ों अपार्टमेंट बने हैं. जिनमें से अधिकतर को जमशेदपुर अक्षेस ने पूर्णता प्रमाणपत्र नहीं दिया है.

Also Read: झारखंड: जमशेदपुर के युनाइटेड क्लब के कर्मियों को 20 फीसदी बोनस, अधिकतम 56,075 रुपये

534 बेसमेंट हुए सील, बाद में खुले

साल 2011 में रांची हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस भगवती प्रसाद के आदेश पर शहरी नगर निकायों की ओर से नक्शा विचलन कर बनाये गये फ्लैट व व्यावसायिक भवनों से अतिक्रमण हटाने को लेकर सीलिंग की कार्रवाई की गई थी. जमशेदपुर अक्षेस ने साल 2011 में करीब 534 बेसमेंट को सील किया था. हालांकि बाद में बेसमेंट का पार्किंग के लिए उपयोग करने का शपथ पत्र देने के बाद सील खुले. धीरे-धीरे फिर स्थिति जस की तस हो गयी.

Next Article

Exit mobile version