हाइकोर्ट ने मृतका के भसुर की अपील खारिज की, ननद को किया रिहा

दस साल पुराना मामला, जमशेदपुर की निचली अदालत ने 13 मार्च 2014 को भैसुर अमिर मल्लिक व ननद को सश्रम उम्र कैद की सजा सुनायी थी.

By Prabhat Khabar News Desk | June 7, 2024 11:22 PM

दस साल पुराना मामला, जमशेदपुर की निचली अदालत ने 13 मार्च 2014 को भसुर अमिर मल्लिक व ननद को सश्रम उम्र कैद की सजा सुनायी थी. मुख्य संवाददाता, रांची/जमशेदपुर झारखंड हाइकोर्ट ने सजायाफ्ता अमिर मल्लिक व अन्य की ओर से दायर क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व प्रतिवादियों का पक्ष सुनकर कहा कि मरने के पूर्व मृतक या मृतका द्वारा यदि दो या दो से अधिक बयान दर्ज कराया जाता है और उस बयान में असमानता है, तो सीआरपीसी की धारा-164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये गये बयान को ही सही माना जायेगा. खंडपीठ ने मामले में अपीलकर्ता मृतका के भैसुर अमिर मल्लिक की अपील याचिका को खारिज कर दिया, जबकि मृतका की ननद को संदेह का लाभ देते हुए मामले से बरी करने का फैसला सुनाया. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान सूचक की ओर से अधिवक्ता आसिफ खान ने पैरवी की. मालूम हो कि मृतका ने माैत के पूर्व दो बयान दर्ज कराया था. एक बयान में उसने कहा था कि वह घटना के दिन अपने बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रही थी. उसी दौरान उसके भैसुर, सास व ननद ने उस पर केरोसिन तेल छिड़क कर आग लगा दी थी. वहीं सीआरपीसी की धारा-164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि उसके भैसुर व सास ने उस पर केरोसिन तेल छिड़क कर आग लगायी थी. घटना के समय मृतका का पति मॉर्निंग वॉक पर गया था, जबकि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रही थी. उसी दाैरान उस पर केरोसिन तेल छिड़क कर आग लगा दी गयी. उसके चिल्लाने पर आसपास के लोग जमा हुए थे तथा उसे मानगो गुरुनानक अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां उसने पुलिस के समक्ष बयान दिया था. बाद में सीआरपीसी की धारा-164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष उसका बयान दर्ज कराया गया था. पांच दिन के बाद उसकी मौत हो गयी थी. घटना लेकर जमशेदपुर के मानगो के आजाद नगर थाना में कांड संख्या-97/2012 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इस मामले में जमशेदपुर की निचली अदालत ने 13 मार्च 2014 को भैसुर अमिर मल्लिक व ननद को सश्रम उम्र कैद की सजा सुनायी थी. झारखंड हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर कर सजा को चुनाैती दी गयी थी.

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