रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में वर्तमान शैक्षणिक सत्र में नामांकन को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए प्रतिवादियों की अोर से जवाब दायर नहीं होने पर फटकार लगायी.
अदालत ने माैखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि प्रतिवादी गंभीर नहीं है. यह जनहित से जुड़ा मामला है. विद्यार्थियों का भविष्य जुड़ा हुआ है. आदेश के बावजूद शपथ पत्र दायर नहीं किया जाना गंभीर मामला है. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य निदेशक, नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को शपथ पत्र दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.
साथ ही शपथ पत्र पर रिजवाइंडर दायर करने के लिए प्रार्थी को एक सप्ताह का समय दिया. अदालत ने प्रार्थी की दलील सुनने के बाद यह भी निर्देश दिया कि यूजीसी के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने क्या निर्णय लिया व उसकी क्या स्थिति है. शपथ पत्र में उसकी भी जानकारी दी जाये. मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व प्रशांत पल्लव ने कोर्ट को बताया कि यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि वह एक प्रस्ताव बना कर केंद्र सरकार को दिया है.
2017 के रेगुलेशन में अॉफ कैंपस सेंटर के बारे में जिक्र ही नहीं है. कैसे अॉफ कैंपस चलेगा, इसका वर्णन नहीं किया गया है. इसके बाद यूजीसी ने इस पर प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज की अोर से याचिका दायर की गयी है.
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