जमशेदपुर, प्रमुख संवाददाता. जमशेदपुर पुलिस ने सनातन उत्सव समिति के अध्यक्ष चिंटू सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. इस गिरफ्तारी से एक बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है. हालांकि, पुलिस अब भी इस खेल के बड़े खिलाड़ियों तक नहीं पहुंच पायी है. चिंटू की तरह सूदखोरी के कई बड़े कारोबारी अब भी पर्दे के पीछे अनैतिक लाभ अर्जित कर रहे हैं. पुलिस ने आरोपी चिंटू के पास से अलग-अलग बैंकों के साइन किये हुए करीब एक दर्जन से ज्यादा चेक बुक बरामद किये हैं. पूछताछ में यह भी पता चला है कि चिंटू सिंह अवैध तरीके से सूदखोरी के कारोबार में संलिप्त था. करीब 10 से 15 फीसदी ब्याज पर लोगों को पैसा देता था. समय पर ब्याज और पैसा नहीं देने वालों के वाहन जब्त कर लेता था. दावा यह भी किया जा रहा है कि वह लोगों के घरों पर कब्जे के खेल में भी शामिल था. जांच में कई बड़े नाम भी सामने आये हैं.
शहर के लगभग सभी बाजारों में चल रहा धंधा
सूदखोरी का कारोबार शहर के लगभग सभी बाजारों तक फैला हुआ है. बिष्टुपुर, साकची, कदमा, सोनारी, मानगो, जुगसलाई और बारीडीह में धड़ल्ले से धंधा चल रहा है. सूदखोरी का काम करने वाले लोगों को अलग-अलग जगहों पर अड्डेबाजी करते हुए बड़ी आसानी से देखा जा सकता है. सूत्र दावा कर रहे हैं कि कई कारोबारियों ने अलग-अलग बाजारों में दुकानदारों को कर्ज के जाल में फंसाकर उनकी दुकानों तक पर कब्जा कर लिया है.
करोड़ों का है सूद का अवैध कारोबार
कानूनी तौर पर सूदखोरी का कारोबार करने के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होता है. शहर में करीब 110 लोगों ने इस कारोबार के लिए पंजीकरण करा रखा है. इसमें से अधिकतर सर्राफा कारोबार से जुड़े लोग हैं. खास बात यह है कि पंजीकरण के समय ही कारोबार के लिए रकम निर्धारित कर दी जाती है. इसके साथ ही कारोबार के लिए बनाए गए कड़े नियमों का उन्हें पालन करना पड़ता है. सूद के कई अवैध कारोबारी तो रोजाना की ब्याज दर पर कर्ज बांटते हैं. उनके गुर्गे रोज घूमकर कर्जदार से वसूली करते हैं. ब्याज देने में असमर्थता जताने वालों के साथ मारपीट और गाली-गलौज होती है. जमशेदपुर शहर में अवैध तरीके से करोड़ों का कारोबार चल रहा है.
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सरकार ने 2017 में झारखंड साहूकारी अधिनियम किया था लागू
सूद के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने 2017 में झारखंड साहूकारी अधिनियम लागू किया था. इस अधिनियम में कारोबार करने के लिए नियम-कायदे लागू किए गए हैं. कोई भी सूदखोर बैंक के ब्याज दर से अधिक ब्याज नहीं वसूल सकता, किसी भी स्थिति में मूलधन से दो गुना ब्याज की वसूली नहीं हो सकती, वसूली के लिए सूदखोर कभी भी कर्जदार के कार्यस्थल के आसपास भी नहीं जाएगा, अधिनियम में कर्ज वसूली के लिए कर्जदार किसी भी तरह से शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न को गैर कानूनी करार दिया गया है और इन निर्देशों का उल्लंघन करने पर अधिनियम में कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान है.
छोटे से बड़े दुकानदार तक फंसे
दरअसल सूदखोरी का यह कारोबार शहर में चाैतरफा फैला हुआ है. कंपनियों के कर्मचारी लेकर छोटे-बड़े दुकानदार तक सूदखोरों के चंगुल में फंस हुए हैं. कई युवाओं को भी कर्ज में जाल में फंसाकर अनैतिक रूप से धनउगाही की जा रही है. शहर में बढ़ते आत्महत्या के मामलों में सूदखोरी बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है. कई सफेदपोश पीछे से इस धंधे को फाइनेंस कर रहे हैं.अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कई बार ये लोग कारोबारियों को अनैतिक संरक्षण देते हैं.