Jharkhand News, Jamshedpur News जमशेदपुर : घाघीडीह सेंट्रल जेल में अपराधी परमजीत सिंह की गोली मार कर हत्या करने के मामले में शुक्रवार को एडीजे 13 प्रभाकर सिंह की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में अखिलेश सिंह को बरी कर दिया. मामले में दो मार्च को कोर्ट में अंतिम बहस हुई थी. कोर्ट ने 12 मार्च को फैसले की तिथि तय की थी. बहस में अभियोजन पक्ष से पूर्व पीपी जयप्रकाश ने अखिलेश सिंह और परमजीत सिंह के बीच चल रही लड़ाई की जानकारी कोर्ट को दी थी.
उन्होंने बताया कि ब्लू स्कोप में ठेका के लिए दोनों गिरोह के बीच लड़ाई थी. इसके अलावा और भी कई बार दोनों के बीच टकराव हुआ था. इसी को लेकर अखिलेश सिंह ने घाघीडीह जेल में अपने सहयोगियों की मदद से परमजीत सिंह की गोली मारकर हत्या करा दी थी.
वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जीके घोष और विद्या सिंह ने कोर्ट को बताया था कि ब्लू स्कोप कंपनी में हुई मारपीट व फायरिंग मामले में न तो अखिलेश सिंह और न ही परमजीत सिंह पर केस दर्ज है. ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि दोनों के बीच लड़ाई है. केस के वादी हरपाल सिंह हीरे ने भी कोर्ट में अखिलेश सिंह को पहचानने से इंकार कर दिया था. बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि परमजीत सिंह की हत्या के मामले में अखिलेश सिंह और अमलेश सिंह को साजिशकर्ता बताया गया था.
अमलेश सिंह को कोर्ट ने 2011 में बरी कर दिया था. फिर अखिलेश सिंह को साजिशकर्ता कैसे करार दिया जा सकता है?गौरतलब है कि वर्ष 2009 मार्च में घाघीडीह केंद्रीय कारा में परमजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. परमजीत सिंह की हत्या मामले में हरपाल सिंह हीरे ने अखिलेश सिंह, गौतम, मनोरंजन सिंह लल्लू, मनोज सिंह व अन्य के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी परसुडीह थाना में दर्ज करायी थी.
Posted By : Sameer Oraon