जमशेदपुर : गुणवत्तापूर्ण स्टील उत्पादन के साथ अपने कर्मियों के हित में नयी पहल को लेकर टाटा स्टील की देश के औद्योगिक जगत में अलग पहचान है. बीते एक नवंबर से टाटा कंपनी में शुरू हुआ एजाइल वर्क मॉडल (लचीली कार्य पद्धति) भी देश के औद्योगिक जगत में एक नयी पहल के बतौर दर्ज हुआ है.
इसके तहत फिलवक्त टाटा कंपनी प्रबंधन ने अपने विभिन्न विभागों के 7000 से अधिक अधिकारियों-कर्मियों के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ यानी अपने घर से ही ऑफिस का कार्य निष्पादित करने की व्यवस्था करायी है. यह वर्क मॉडल फिलहाल एक साल के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है. सफल होने की दशा में इस वर्क मॉडल को आगे या हमेशा के लिए लागू रखने पर विचार होगा. कोरोना काल में जहां देश-दुनिया की कंपनियां कार्य संचालन व उत्पादन को लेकर चिंतित रही हैं, वहीं टाटा स्टील ने लंबी अवधि के ‘वर्क फ्रॉम होम’ का प्रयोग कर एक मिसाल कायम की है.
टाटा स्टील के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि कोरोना काल में लागू इस नयी व्यवस्था में यह अनुभव किया गया कि कंपनी के कई ऐसे कार्य हैं, जो अधिकारी घर या देश-दुनिया के किसी भी कोने में अपने परिवार के साथ रहकर कर सकते हैं. इससे कर्मियों के साथ कई स्तर पर कंपनी को भी काफी लाभ होगा. ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में टाटा स्टील के वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी कहते हैं-‘यह वर्क मॉडल इंडस्ट्री को एक नयी दिशा देगा.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह वर्क मॉडल टैलेंट को रोक पाने में सफल होगा. कई बार अधिकारियों का तबादला होने की स्थिति में वह शहर या परिवार को छोड़ कर जाने की स्थिति में नहीं होते हैं. कई बार ऐसी स्थिति में कंपनी एक बेहतर टैलेंट को खो देती है. अब यह समस्या नहीं होगी.’
एजाइल वर्क मॉडल में अधिकारियों को समय के बंधन से भी मुक्त रखा गया है. बस निर्धारित काम को पूरा करना है. कर्मी अपने हिसाब से अपने कार्य को कर पायेंगे. यह कर्मी तय करेंगे कि वह अपने एक दिन के काम को किस समय में पूरा करते हैं. इसका असर उनकी छुट्टी या तय अवकाश पर नहीं पड़ेगा.
एजाइल वर्क मॉडल को लेकर कंपनी प्रबंधन के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. काम पर नजर रखना, काम की गुणवत्ता, तत्काल अधिकारियों की उपस्थिति की अनिवार्यता, टीम वर्क की जरूरतवाले पहलू को लेकर चुनौती हो सकती है. कारण सारे काम रिमोट से कर पाना क्या आसान होगा? इस वर्क मॉडल की समीक्षा होगी और फीडबैक के आधार पर जरूरत के हिसाब से कार्ययोजना में बदलाव होगा.
कंपनी प्रबंधन को डाटा सिक्योरिटी की चिंता है. चूंकि इस वर्क मॉडल में सभी वरीय अधिकारी ही शामिल होंगे, जो कंपनी की योजना, प्रोजेक्ट-प्लानिंग से जुड़े होंगे, ऐसे में गोपनीयता भी बड़ी चुनौती होगी. हालांकि, कंपनी प्रबंधन ने इन सभी बिंदुओं पर विमर्श करने के बाद ही इस वर्क मॉडल को लागू किया है.
कंपनी ने इसके लिए एक बड़ा आइटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है. कंपनी की डाटा सिक्योरिटी को उसमें प्रमुख स्थान दिया गया है. कौन क्या एक्सेस कर सकता है? किसे क्या पावर होगा? यह तय किया गया है. इसमें सबसे मुख्य कार्य आइटी सेल का होगा. जिस पर कंपनी प्रबंधन ने काफी मेहनत व खर्च भी किया है.
कंपनी प्रबंधन का मानना है कि एजाइल वर्क मॉडल के तहत आनेवाले समय में घर से काम करते-करते कई कर्मियों के बोझिल महसूस करने की समस्या आ सकती है. वर्क प्लेस व साथियों के साथ काम करनेवाले बहुत दिनों तक अकेले काम कर मानसिक रूप से तनाव में आ सकते हैं.
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए कंपनी प्रबंधन ऐसे कर्मियों के रिफ्रेश के लिए भी कई स्तर पर कार्यक्रम तैयार कर रहा है, जो आनेवाले वक्त में जरूरत के अनुसार लागू किया जायेगा.
1912 में सबसे पहले टाटा स्टील में ही आठ घंटे ड्यूटी का प्रावधान किया गया, जिसे 1948 में सरकार ने कानून का रूप दिया और सभी कंपनी के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया.
1915 में टाटा स्टील ने कर्मियों के लिए फ्री मेडिकल एड लागू किया. कंपनी के इस नियम को भी सरकार ने वर्ष 1948 में हू -ब- हू कानून के तौर पर लागू किया, जिसे आज एम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस एक्ट नाम से जाना जा है.
1920 में टाटा कंपनी में लीव विद पे का प्रावधान लागू किया गया, जिसे 1948 में फैक्ट्री एक्ट में शामिल किया गया.
1920 में टाटा कंपनी में वर्कर्स प्रोविडेंट फंड स्कीम लागू की गयी. 1952 में सरकार ने कंपनी के इस नियम को उसी तरह कानून का रूप देते हुए लागू किया, जिसे आज एम्पलाई प्रोविडेंट फंड एक्ट के नाम से जाना जाता है.
1920 में टाटा कंपनी में दुर्घटना में कर्मियों के घायल होने पर उन्हें या मृत्यु होने पर उनके परिवार की मदद के लिए वर्कर्स एक्सीडेंट कम्पन्सेशन स्कीम लागू किया, जिसे 1924 में सरकार ने कानून का रूप दिया.
1928 में टाटा कंपनी ने महिला कर्मियों के लिए मैटरनिटी बेनिफिट की सुविधा शुरू की. बाद में 1961 में सरकार ने मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट लागू किया.
वर्क फ्रॉम होम की सुविधा पहले व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार वरीय अधिकारियों की अनुमति पर दी जाती थी. लेकिन कोरोना काल में लागू इस मॉडल ने एक नयी राह दिखायी है. इस प्रैक्टिस से कई स्तर पर कर्मियों व कंपनी ने लाभ का अनुभव किया. यह तय किया गया कि क्यों ने अपने कर्मियों के लिए भी कहीं से भी काम करने की व्यवस्था बनायी जाये. इसी सोच के साथ इसे लागू किया गया है. यह सही है कि इसमें कई तरह की चुनौतियां आयेंगी. लेकिन इस पर मंथन कर उसका हल निकालने का प्रयास किया गया है.
सुरेश दत्त त्रिपाठी, वीपी एचआरएम, टाटा स्टील एजाइल वर्क मॉडल
फ्लेक्सी वर्क फ्रॉम होम के तहत अधिकारी अपने घर से ही काम का निष्पादन करेंगे. लेकिन वह उसी लोकेशन में रहेंगे, जहां उनकी पोस्टिंग है. यह वैसे काम होंगे, जिसमें जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को ऑफिस बुलाया जा सकेगा.
इस कार्य प्रणाली में अधिकारी देश-दुनिया के किसी भी शहर में रहकर अपना काम कर पायेंगे. सबसे अधिक फायदा उन कर्मियों को होगा, जिनका तबादला दूसरे शहर में किया जायेगा, पर वे परिवार को छोड़ कर नहीं जा सकते हैं.
अधिकारी परिवार के साथ रहकर काम कर पायेंगे. पति-पत्नी दोनों के काम करते हैं और अगर किसी एक का तबादला दूसरे शहर में हो जाता है, तो भी कर्मी को दिक्कत नहीं होगी.
दिव्यांग अधिकारी को सबसे अधिक लाभ होगा. वह बिना किसी बाधा के अपने घर से काम कर पायेंगे. बुजुर्ग माता-पिता, छोटे बच्चों को अकेले छोड़ने की चिंता भी समाप्त हो जायेगी.
कंपनी भी तबादला होने की वजह से परिवार छोड़ न पाने की समस्या के कारण नौकरी छोड़ने वाले योग्य कर्मियों को कहीं से काम करने की आजादी देकर रोक पाने में सफल होगी.
इस नियम से कंपनी को भी लाभ व बचत होने की उम्मीद है. यह बचत ऑफिस पर होने वाले खर्च हैं. बिजली, चाय, नाश्ता व अन्य कई तरह के खर्च, जो ऑफिस में कर्मियों की उपस्थिति में होते हैं.
एजाइल वर्क मॉडल में शत-प्रतिशत काम कंप्यूटर के जरिये ऑनलाइन होगा. यानी यह मॉडल पेपरलेस वर्क को बढ़ावा देगा.
posted by : sameer oraon