घर में भरपेट खाना नहीं मिलता था इसलिए कैंप ज्वाइन करना तय किया, कुछ ऐसी है तीरदांज दीपिका की सफलता की कहानी

दीपिका ने इस दौरान अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि छोटी उम्र से ही माता-पिता के लिए कुछ करना चाहती थी. इसलिए सबसे पहले सरायकेला आर्चरी ट्रेनिंग कैंप ज्वाइन करना तय किया. वहां मुझे भरपेट भोजन मिलता था. फ्री में रहना था. साथ ही आर्चरी किट भी मिलता था. बस करना सिर्फ एक काम था, अौर वह खेलना. दीपिका ने बताया, जब वह बहुत छोटी थी, तभी से ही सपने देखा करती थी. उन सपनों को पूरा करने के लिए घर से बाहर निकली. कई बार तो पड़ोस के लोग पापा को यह भी कहते थे कि बेटी है, घर में रखो.

By Prabhat Khabar News Desk | February 20, 2021 11:52 AM

Jharkhand News, Jamshedpur News, Deepika Kumari Success Story जमशेदपुर : एक्सएलआरआइ की ओर से शुक्रवार को टेडेक्स 2021 कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कोरोना संक्रमण की वजह से कार्यक्रम वर्चुअल मोड में हुआ. एक्सएलआइ के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए तीरंदाज पद्मश्री दीपिका कुमारी ने कहा कि पापा के पास पैसे नहीं होते थे. कई बार ऐसा भी हुआ कि घर में भरपेट भोजन भी नहीं मिला. पैसों की कमी की वजह से घर में झगड़ा होता था.

दीपिका ने इस दौरान अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि छोटी उम्र से ही माता-पिता के लिए कुछ करना चाहती थी. इसलिए सबसे पहले सरायकेला आर्चरी ट्रेनिंग कैंप ज्वाइन करना तय किया. वहां मुझे भरपेट भोजन मिलता था. फ्री में रहना था. साथ ही आर्चरी किट भी मिलता था. बस करना सिर्फ एक काम था, अौर वह खेलना. दीपिका ने बताया, जब वह बहुत छोटी थी, तभी से ही सपने देखा करती थी. उन सपनों को पूरा करने के लिए घर से बाहर निकली. कई बार तो पड़ोस के लोग पापा को यह भी कहते थे कि बेटी है, घर में रखो.

ओलंपिक में मेडल नहीं मिले, क्योंकि 50% मेहनत की

दीपिका ने कहा कि पहली बार लंदन 2012 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया. वह ग्रेट ब्रिटेन की एमी ओलिवर से हार गयी. उस प्रतियोगिता के लिए काफी मेहनत की थी. लेकिन अोलंपिक में बेहतर प्रदर्शन के लिए जिस स्तर की तैयारी चाहिए थी, उसके सिर्फ 50 प्रतिशत ही की थी. कई बार जीवन में नयी चुनौतियां आती रहती हैं. किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए आत्म विश्वास सबसे जरूरी है.

Posted By : Sameer Oraon

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