झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षक अब क्लास रूप में मोबाइल नहीं ला जा सकेंगे. कक्षा में जाने से पहले उन्हें मोबाइल प्रधानाध्यापक के पास जमा कराना अथवा लॉकर में रखना होगा. शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार ने इस आशय की गाइडलाइन जारी की है.
दरअसल, यह शिकायत मिल रही थी कि क्लास रूम में शिक्षक पढ़ाने के बजाय मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं. इसके बाद सभी प्रिंसिपलों को यह निर्देश दिया गया है कि वे शिक्षकों का क्लास रूम में प्रवेश करने से पूर्व मोबाइल फोन अपने पास जमा कर लेंगे.
यह निर्णय सचिव ने 29 दिसंबर को राज्य के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों एवं क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक में लिया गया. बैठक में सरकारी स्कूलों की दशा दिशा सुधारने पर चर्चा हुई. शिक्षा सचिव ने शिक्षकों को पढ़ाने को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया.
सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा सुधारने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग लगातार नये प्रयोग के साथ ही बैठक कर उसे धरातल पर उतारने का प्रयास कर रही है. इसी को लेकर सचिव ने बैठक की थी.
इसमें सभी अधिकारियों को बताया गया कि सरकार सरकारी स्कूल में एक बच्चे पर प्रतिवर्ष 1.58 लाख रुपये का खर्च करती है. लेकिन उसके बाद भी जिस प्रकार का आउटकम आना चाहिए वह नहीं मिल रहा है. शिक्षकों को अपने कर्तव्यों का पालन बखूबी से करने का निर्देश दिया गया. खुले कॉलेज और स्कूल, 23 से 25 तक नैक की टीम करेगी निरीक्षण
20 मार्च तक वर्ग 3 के सभी बच्चे पढ़ना सीख जाएं , शैक्षणिक बुनियाद को मजबूत करें
शिक्षकों की बेस्ट प्रैक्टिस शेयर की जाए, पदाधिकारी प्रतिदिन उपस्थिति की जांच करें
सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक 6 माह पूर्व ही पेंशन पेपर भरें
शिक्षक प्रतिदिन बायोमेट्रिक उपस्थिति बनाएं.
प्रतिदिन निश्चित रूप से छात्र उपस्थिति बनायी जायें.
ई विद्यावाहिनी पर एमडीएम का रिपोर्ट प्रतिदिन चढ़ाया जाए
ई विद्यावाहिनी में हाजिरी नहीं बनाने वाले पर कार्रवाई हो
ई विद्यावाहिनी े सेवानिवृत्त/ मृत शिक्षकों के नाम हटाया जाए.
स्मार्ट क्लास में एलसीडी/ टीवी को ब्लैकबोर्ड के ऊपर न लगाये
शिक्षकों के सभी प्रकार के दावे यथा वेतन /पेंशन /अर्जित अवकाश /जीपीएफ /प्रोन्नति/ संपुष्टि इत्यादि समय पर दी जाएं.
खेल सामग्री निश्चित रूप से खरीदा जाय , खेल सामग्री के साथ-साथ बच्चों का ट्रैक सूट और बूट भी खरीदा जाए.
3 बजे छुट्टी होने के बाद खेल की घंटी लगाई जाए और इसका दायित्व बाल संसद को दिया जाएं.
बाल विवाह पर रोक लगाई जाए, बाल विवाह के बारे में बच्चों को जागरूक किया जाए. इसके कानूनी पक्ष की जानकारी, सजा इत्यादि के बारे में भी जागरूक किया जाए.
जर्जर भवन को विद्यालय प्रांगण से हटाया जाए.
आउट ऑफ स्कूल बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाए और ध्यान रहे कि किसी भी स्थिति में बच्चे आउट ऑफ स्कूल न हो.