ट्रांसफर-पोस्टिंग में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के पेच से शिक्षकों में आक्रोश, हाइकोर्ट जाने की दी धमकी

शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में एक के बाद एक नये नियमों से शिक्षकों के गुस्से का गुबार फूट पड़ा है. एक शिक्षिका ने कहा कि जब उनकी नियुक्ति हुई, उस वक्त वह अविवाहित थीं. वर्षों के इंतजार के बाद अंतर जिला स्थानांतरण नियमावली बनी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 4, 2023 6:31 AM

जमशेदपुर, संदीप सावर्ण : झारखंड के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग धीरे-धीरे अबूझ पहेली बन गयी है. करीब चार साल से ट्रांसफर-पोस्टिंग की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक यह पूरी नहीं हो सकी है. सरकारी स्तर पर पहले नियमावली नहीं बनी थी. जब नियमावली बन गयी और उस नियमावली के आधार पर शिक्षकों ने पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर दिया, तो अचानक 29 सितंबर को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार ने एक पत्र जारी किया, जिसमें राज्य के अलग-अलग जिले के जनजातीय भाषा व क्षेत्रीय भाषाओं की सूची जारी की. इस सूची के अनुसार, शिक्षक अपना अंतर जिला स्थानांतरण राज्य के सभी जिले में नहीं करवा सकेंगे. शिक्षकों के सामने अंतर जिला स्थानांतरण में सिर्फ उसी जिले का विकल्प होगा, जिस जिले में उनकी नियुक्ति वाले जिले की जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. इसे लेकर राज्य के शिक्षकों में आक्रोश है.

मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है विभाग : शिक्षक

शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में एक के बाद एक नये नियमों से शिक्षकों के गुस्से का गुबार फूट पड़ा है. एक शिक्षिका ने कहा कि जब उनकी नियुक्ति हुई, उस वक्त वह अविवाहित थीं. वर्षों के इंतजार के बाद अंतर जिला स्थानांतरण नियमावली बनी. अब एक उम्मीद थी कि पारिवारिक जीवन बेहतर हो सकेगा, लेकिन जिस प्रकार से अब भाषा के पेच को जोड़ा गया है, इससे स्पष्ट है कि विभाग शिक्षकों को प्रताड़ित करना चाह रहा है. पूर्व में भी इस प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी थी. विभाग के नियमों के खिलाफ हाइकोर्ट जाएंगे.

शिक्षकों की नियुक्ति जिला कैडर पर हुई है, भाषा की अनिवार्यता रखनी होगी : शिक्षा सचिव

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति जिला कैडर पर हुई है. इसलिए संबंधित जिले की भाषा की अनिवार्यता को बरकरार रखी जाएगी. नियमावली में फिलहाल किसी प्रकार का कोई संशोधन नहीं होगा. यह पूर्व घोषित है.

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जिलावार जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं की सूची (झारखंड प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 के अनुसार)

जिला- जनजातीय भाषा- क्षेत्रीय भाषा

  • रांची : कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी – नागपुरी, पंचपरगनिया, कुरमाली, बांग्ला

  • पूर्वी सिंहभूम : मुंडारी, हो, भूमिज, संथाली, कुड़ुख – कुरमाली, बांग्ला, ओड़िया

  • पश्चिमी सिंहभूम : हो, भूमिज, मुंडारी, कुड़ुख, संथाली – कुरमाली, ओड़िया

  • सरायकेला-खरसावां : संथाली, मुंडारी, भूमिज, हो – पंचपरगनिया, ओड़िया, बांग्ला, कुरमाली

  • लोहरदगा : कुड़ुख- नागपुरी

  • गुमला : कुड़ुख, खड़िया, असुर, बिरहोर – नागपुरी

  • सिमडेगा : खड़िया, मुंडारी, कुड़ुख – नागपुरी

  • लातेहार : कुड़ुख, असुर – नागपुरी, मगही, भोजपुरी

  • पलामू : कुड़ुख, असुर- नागपुरी, मगही भोजपुरी

  • गढ़वा : कुड़ुख – नागपुरी, मगही भोजपुरी

  • दुमका : संथाली, माल्तो – खोरठा, बांग्ला, अंगिका

  • जामताड़ा : संथाली – खोरठा, बांग्ला, अंगिका

  • साहेबगंज : संथाली, माल्तो – खोरठा, बांग्ला, अंगिका

  • पाकुड़ : संथाली, माल्तो – खोरठा, बांग्ला, अंगिका

  • गोड्डा : संथाली, माल्तो – खोरठा, अंगिका

  • हजारीबाग : संथाली, कुड़ुख, बिरहोर – नागपुरी, कुरमाली, खोरठा

  • कोडरमा : संथाली – कुरमाली, खोरठा

  • चतरा : संथाली, कुड़ुख, मुंडारी, बिरहोर – नागपुरी, खोरठा

  • बोकारो : संथाली – नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, बांग्ला

  • धनबाद : संथाली – नागपुरी, खोरठा, कुरमाली, बांग्ला

  • गिरिडीह : संथाली – खोरठा, कुरमाली

  • देवघर : संथाली – खोरठा, अंगिका

  • रामगढ़ : संथाली, कुड़ुख, बिरहोर – नागपुरी, कुरमाली, खोरठा

  • खूंटी : कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी – नागपुरी , पंचपरगनिया, कुरमाली

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