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गागर में सागर है ””शहादतनामा””

जेपी सिंह की पुस्तक का हुआ विमोचन

जमशेदपुर. केडी फ्लैट मैदान कदमा स्थित ब्रह्मर्षि भवन में मंगलवार को जेपी सिंह की पुस्तक शहादतनामा का विमोचन हुआ. मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार जयनंदन ने कहा कि जमशेदपुर मजदूरों का शहर है. यहां मजदूर आंदोलन की सशक्त परंपरा रही है. इसकी शुरुआत मजदूर नेता हजारा सिंह से होती है, जिनका जिक्र पुस्तक में है. तिलका माझी, सिदो-कान्हू, बैकुंठ, जकी अनवर आदि का पुस्तक में उल्लेख है. उन्होंने कहा कि हजारा सिंह शहीद भगत सिंह के जूनियर थे. उन्हें अंडमान से लौटने के क्रम में पंजाब की सीमा पर रोक दिया गया था. बाद में वे यहां मणिफीट स्थित आजाद बस्ती में आकर रहे. जयप्रकाश नारायण ने उन्हें यूनियन में प्रवेश कराया. उन्होंने जब आंदोलन किया पूरा शहर उनके पीछे चल पड़ा, जिसके बारे में पुस्तक में बढ़िया से लिखा गया है. इस लिहाज से यह गागर में सागर जैसा काफी उपयोग पुस्तक है. वहीं, कार्यक्रम की शुरुआत में हजारा सिंह को श्रद्धांजलि भी दी गयी.

संक्षेप विवरण पर शोध हो

मुख्य वक्ता प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने कहा कि जेपी सिंह इस उम्र (वृद्ध) में भी लिख रहे हैं यह बहुत बड़ी बात है. उनके लेखक की यात्रा अभी जारी है. वे डिगे नहीं हैं. पुस्तक में कई विवरण संक्षेप में हैं, जिस पर शोध करने की जरूरत है. कई पुराने फोटो को जगह दी गयी है. 1979 के दंगे पर कम लिखा गया है. उन्होंने कहा कि ट्रेड यूनियन की पत्नी का क्या दर्द होता है, इस पर भी लिखा जाना चाहिए.

शहादत देने वालों को साइड में नहीं रखा जा सकता

पुस्तक के लेखक जेपी सिंह ने कहा कि शहादत देने वालों की महानता को साइड में रखकर कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता. शहीदों की फेहरिस्त में हजारा सिंह जैसों का नाम नहीं होना दोहरी मानसिकता है. वहीं, श्रमिक नेता राकेश्वर पांडेय ने कहा कि जमशेदपुर में वर्ष 1939 में मजदूर आंदोलन की शुरुआत हुई थी. साहित्यकार अरविंद विद्रोही ने कहा कि दिल्ली के अखबारों में लेख छपने के बाद देश हजारा सिंह को जान पाया. अशोक चौधरी व अन्य ने भी अपनी बात रखी. कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्मर्षि विकास मंच के अध्यक्ष राजकिशोर सिंह ने की. संचालन प्रेम कुमार ने किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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