– जमीन दान करने वाला परिवार प्लॉट पर बनायेगा स्मारक
प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर
जैन समुदाय की प्रमुख प्रवर्तनीय साध्वी शशि प्रभा (80) का गुरुवार को खड़गपुर में अंतिम संस्कार कर दिया गया. खड़गपुर के चौरंगी स्थित वीटीआर में जैन समुदाय परिवार के सदस्य महेंद्र गांधी ने अपने एक प्लॉट को साध्वी शशि प्रभा के नाम दान कर दिया. उसी स्थान पर उनकी चिता सजायी गयी. निकट भविष्य में वहां साध्वी शशि प्रभा के नाम स्मारक बनेगा, जो आनेवाले दिनों में तीर्थ यात्रियों के लिए एक ठहराने का स्थल भी होगा. इस स्मारक का सारा खर्च मोहन गांधी परिवार द्वारा ही वहन किया जायेगा.बुधवार के सड़क हादसे में शशि प्रभा की मौत हो गयी थी
गौरतलब हो कि पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिला के मुख्य बाइपास के पास बुधवार की सुबह लगभग पांच बजे सड़क हादसे में जैन साध्वी शशि प्रभा की मौत हो गयी थी. उनके साथ अन्य दो शिष्या गंभीर रूप से घायल हुईं हैं, जिनका इलाज कोलकाता में चल रहा है. अंतिम यात्रा में देश भर के विभिन्न प्रांतों से करीब पांच हजार लोगों ने शिरकत की. सुबह साढ़े नौ बजे गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों ने एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाया.बैठक में तय हुआ कि घटना को अंजाम देनेवाले कार चालक को माफ कर दिया जाये
जुगसलाई जैन समाज के हेमेंद्र जैन हन्नू ने बताया कि घटना में प्रयुक्त वाहन चालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर उसके वाहन को जब्त कर लिया. घटना को लेकर समाज के प्रमुखजनों की बैठक में तय हुआ कि घटना को अंजाम देनेवाले कार चालक को माफ कर दिया जाये. समाज के प्रमुखजनों ने कहा कि जो जिंदगी चली गयी, वह वापस नहीं आनी है, जो होनी था वह हो गया. नाहक गाड़ी चालक को सता कर क्या लाभ.साध्वी शशि प्रभा कई बार लौहनगरी आयी
जमशेदपुर में साध्वी शशि प्रभा 1993, 2000 और 2008 में चतुर्मास में शामिल होने के लिए आयी थी. 2024 में जुगसलाई जैन भवन में आयोजित चतुर्मास में चौथी बार इन्हें शामिल होना था, जिसके क्रम में वे पैदल यात्रा करते हुए कोलकाता से जमशेदपुर के लिए आ रही थीं. जैन समुदाय के प्रमुखजनों का जमशेदपुर-झारखंड का दौरा कम होता है, लेकिन साध्वी शशि प्रभा कई बार लौहनगरी आयी हैं, उन्हें यहां के लोगों से खासा लगाव था. जुगसलाई जैन भवन में 15 जुलाई से चतुर्मास प्रस्तावित था. राजस्थान के जोधपुर जिला के फलौदी गांव में जन्मी साध्वी शशि प्रभा ने 66 साल पूर्व दीक्षा ली थी, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ कर साध्वी जीवन अपना लिया था.
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